शहादत दिवस पर राजा बख्तावर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण

अभा सर्व क्षत्रिय राजपूत एकता महासंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम  

इंदौर। देश की आजादी में 1857 में हुई क्रांति को मील का पत्थर कहा जाता है… 1857 की क्रांति के मालवा निमाड़ क्षेत्र के एकमात्र राजा क्रांतिवीर महाराजा बख्तावर सिंह अमझेरा का जन्म 14 दिसंबर 1824 को हुआ था… महाराजा बख्तावर सिंह ने अपने 27 वर्षीय सेनापति कुंवर भवानी सिंह को लेकर अपनी अल्प सैन्य शक्ति व भीलों को साथ में लेकर अंग्रेजों की सशक्त छावनी भोपावर, मानपुर एवं सरदारपुर पर विजयश्री प्राप्त की थी… महाराजा बख्तावर सिंह के तात्या टोपे से प्रत्यक्ष संपर्क थे महाराजा की पत्नी वीरांगना दोलत कुंवर अंग्रेजों से युद्ध करते समय झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ वीरगति को प्राप्त हुई थी.. अंततः अंग्रेजों द्वारा छल कपट व धोखे से बंदी बना कर महाराजा बख्तावर सिंह को महू के किले में रखा गया किंतु महाराजा द्वारा अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार न करने के कारण उन्हें और उनके सभी साथियों को 10 फरवरी 1858 को इसी स्थान पर इसी नीम वृक्ष के पर फांसी पर लटका दिया गया था… तभी से इंदौर के एम वाय रोड पर स्थित उक्त शहादत स्थल पर महाराजा बख्तावर सिंह को उनकी जयंती 14 दिसंबर एवं शहादत दिवस 10 फरवरी पर नमन किया जाता है। इस वर्ष भी 10 फरवरी बुधवार को इसी नीम वृक्ष के नीचे स्थापित प्रतिमा स्थल पर अखिल भारतीय सर्व क्षत्रिय राजपूत एकता महासंघ द्वारा अमझेरा महाराजा बख्तावर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें नमन किया गया… इस दौरान ध्वजारोहण करते हुए राष्ट्रगान भी गाया गया। इस अवसर पर सर्व क्षत्रिय राजपूत समाज एकता महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर कपिल सिंह चौहान, मुख्य अतिथि के रुप में सत्यशोधक समाज अंतर्राष्ट्रीय के राष्ट्रीय सचिव शिव कुमार सिंह बघेल दिल्ली, हरिओम ठाकुर, सत्यशोधक समाज अंतर्राष्ट्रीय के राष्ट्रीय प्रभारी हुकुमचंद जादम सैनी, सत्यशोधक समाज अंतरराष्ट्रीय एवं ओबीसी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सदाशिव यादव काका, सत्यशोधक समाज अंतरराष्ट्रीय के प्रदेश संयोजक दीपक मलोरिया रानू, सर्व क्षत्रिय राजपूत समाज एकता महासंघ के शहर अध्यक्ष संजू ठाकुर, महू शहर अध्यक्ष जसवंत सिंह ठाकुर, राकेश सिंह गौतम उज्जैन, अशोक नालिया, सुमित मल्होत्रा, एडवोकेट अशोक यादव जय गोपाला, एडवोकेट राजेश कुशवाह, दिनेश चौहान, यतीन्द्र चौहान मुख्य रूप से उपस्थित थे।      

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