पटना : बिहार में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब लोगों को खासकर युवाओं को भारी पड़ सकता है। बिहार सरकार ने एक तुगलकी फरमान जारी करते हुए कहा कि राज्य में हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी।
इससे पहले, नीतीश सरकार की पुलिस ने सोशल मीडिया पर सोच समझ कर लिखने का फरमान जारी किया था। बिहार पुलिस ने सोशल मीडिया पर किसी जनप्रतिनिधि अथवा सरकारी अधिकारी पर अमर्यादित टिप्पणी करने पर कानूनी कार्रवाई का निर्देश दिया था। वहीं अब नीतीश सरकार की ओर से जारी फरमान में कहा गया है कि विरोध-प्रदर्शन, सड़क जाम या ऐसे किसी अन्य मामले में हंगामा हुआ और कानून व्यवस्था में बाधा डाली गई, तो प्रदर्शन में शामिल व्यक्तियों को न सरकारी नौकरी मिलेगी और न ठेका।
आदेश के मुताबिक होगी यह कार्रवाई
आदेश में कहा गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क जाम करने, हिंसा फैलाने या किसी भी तरह विधि व्यवस्था में समस्या उत्पन्न करने जैसे आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और अगर उसके खिलाफ पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देती है, तो उनके पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख होगा। ऐसे में न सरकारी नौकरी मिलेगी और न ही सरकारी ठेका ले सकेंगे।
राज्य सरकार से जुड़े ठेके में चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य किए जाने के बाद डीजीपी एसके सिंघल ने पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन (पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट) के संबंध में एक विस्तृत आदेश जारी किया है। इसकी जरूरत कई कार्यों के लिए होती है। वहीं चरित्र प्रमाण पत्र भी इसी रिपोर्ट के आधार पर जारी होता है। पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के दौरान किन बातों का ख्याल रखना है और किन बिंदुओं पर जांच करनी है, इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया है।
मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे
बेचारे 40सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे है? pic.twitter.com/h0TDkuR5vP
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 2, 2021
विपक्ष हुआ हमलावर, कहा- युवाओं को डराया जा रहा
बिहार के डीजीपी एस के सिंघल की ओर से जारी आदेश के बाद खलबली मच गई है। माना जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय इस तरह का आदेश निकाल कर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने में जुटा है। राजधानी पटना में विभिन्न मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन करने वाले सड़क पर उतरते हैं, तो फिर उन्हें नौकरियां सरकारी ठेके से वंचित कर दिया जाना कितना उचित होगा?
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस आदेश को लेकर नीतीश सरकार पर हमला बोला। तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया, तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे। बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे है?