सुहास भगत… और मध्यप्रदेश भाजपा

सत्य” से “साक्षात्कार”
✒️ संजय त्रिपाठी         

मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री बनते ही सुहाग भगत का पहला निर्णय सतना रीवा विंध्य क्षेत्र में खाटी संगठन मंत्री चंद्रशेखर कुमार को हटाकर प्रदेश सह संगठन मंत्री के रूप में अतुल राय की नियुक्ति चर्चा में रही और बाद में शिकायतों के बाद उनको अतुल राय को हटाना भी पडा–
* भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है.. अपने पसंद के संभागीय संगठन मंत्रियों की नियुक्ति के बाद सुहास भगत सीधे कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते थे …अपने अनुचर संभागीय संगठन मंत्रियों के माध्यम से और कुछ एक बड़े नेताओं से बात करके वे अपने निर्णय करने लगे… भारतीय जनता पार्टी की लगातार बन रही राज्य सरकार उनके कार्यकाल में पराजित हुई और कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ बने बाद में सिंधिया प्रसंग के चलते फिर भाजपा की सरकार बनी।*
* भोपाल के राजनीतिक गलियारों में अक्सर यह चर्चा होती रही— सुहास भगत की कभी भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और राकेश सिंह से नहीं बनी और उनकी छुट्टी कराने मै सुहाग भगत की ऊर्जा खत्म होती रही।
* उस दौर में भाजपा को ऐसी संगठन व्यवस्था की आवश्यकता थी जिसमें संगठन मंत्री मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले के एक-एक कार्यकर्ता से सीधा संपर्क कर अपने कार्यकर्ताओं की उर्जा को संगठन के हित में उपयोग ला सकें-  मीडिया में छपी रिपोर्टों को सही माने तो भाजपा में संवादहीनता इस स्तर पर बनी थी.. कई बार तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उन्हें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और राकेश सिंह के साथ बैठाकर संवाद प्रारंभ करवाना पड़ा।*
* भाजपा जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सबसे अधिक विवाद हुआ सुहास भगत ने 10 से अधिक जिला अध्यक्ष सिर्फ अपने पसंद के बना दिए है .. भाजपा के सबसे महत्वपूर्ण पद में नियुक्ति के दौरान वर्षों से उस क्षेत्र में काम कर रहे वरिष्ठ भाजपा नेताओं से सहमति भी नहीं ली गई थी।
*इंदौर ग्वालियर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में बड़ा हंगामा हुआ।*
*  पीडी परिवर्तन के नाम पर मध्य प्रदेश मैं किए गए इस प्रयोग का भाजपा के वरिष्ठ पुराने कार्यकर्ताओं ने प्रतिकार किया— *  हाल ही में प्रदेश भर के मीडिया में छाए रहने वाला घटनाक्रम हुआ भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर सरेआम सुहास भगत द्वारा इंदौर में नियुक्त किए गए भाजपा नगर अध्यक्ष के कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के कार्यकर्ता होते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को पिटवाने का आरोप लगाया व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भाजपा में नियुक्ति के आरोप लगाए उसके बाद उन्हें 7 दिन का कारण बताओ नोटिस दिया गया ….
* सुहास भगत के कार्यकाल के दौरान भाजपा के नियुक्त कुछ संभागीय संगठन मंत्रियों के व्यवहार को लेकर कार्यकर्ताओं ने कई बार नाराजगी जाहिर की कुछ अति समृद्ध… और जी हजूरी करने वालों को छोड़कर आम कार्यकर्ताओं से संगठन की दूरी के आरोप भी कई बार लगे.. भाजपा के कई पदाधिकारियों ने तो कार्यालय आना ही बंद कर दिया।
* सुहास भगत के कार्यकाल की अंतिम धमाका सभी संभागीय संगठन मंत्रियों की लाभ के पदों पर नियुक्ति चर्चाओं में रही दरअसल भाजपा में संगठन मंत्री का पद श्रद्धा का केंद्र होता है—- सबसे आश्चर्यजनक तो इंदौर में संगठन मंत्री रहते हुए गुटबाजी के आरोप और कार्यकर्ताओं से बुरे व्यवहार के लिए जाने जाने वाले देवास निवासी जयपाल सिंह चावड़ा की इंदौर विकास प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति रही जिसके बाद जमकर बवाल हुआ सोशल मीडिया पर सरेआम भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुहास भगत का नाम लेकर कई पोस्ट इस निर्णय की धज्जियां उड़ा दी।
* बरहाल यह भाजपा का आंतरिक मामला हो सकता है… पर इतना तो तय है कि कार्यकर्ताओं की दृष्टि से कुशाभाऊ ठाकरे- प्यारेलाल खंडेलवाल- कृष्ण मुरारी मोघे -कप्तान सिंह सोलंकी -भगवतशरण माथुर माखन सिंह और अरविंद मेनन की तुलना में सुहास भगत आम कार्यकर्ताओं में सबसे अलोकप्रिय संगठन मंत्री रहे ..और उनकी सबसे अधिक आलोचना सरेआम उनके ही दल के कार्यकर्ताओं ने की*।
* विशेष रुप से जमीनी स्तर पर संवाद हीनता और अपने द्वारा नियुक्ति की गई मंडली के अलावा अन्य कार्यकर्ताओं से न्यूनतम संवाद …उनकी सबसे बड़ी कमजोरी रहा। सालों से काम कर रहे भाजपा कार्यकर्ता इस दौरान उपेक्षित महसूस करने लगे.. 👉सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेताऔ की माने तो नई भाजपा के नाम से हुई नियुक्तियों ने भी कार्यकर्ताओं में नया प्रोफेशनलिज्म ला दिया है.. जिसमें स्वयं के हित अधिक मजबूत हो गए हैं …संगठन और विचारधारा का पक्ष पीछे छूटते जा रहा है।
* विशेष.. यह सत्य है कि श्री सुहास भगत संघ के कार्यकर्ता के रूप में त्यागी- समर्पित -और सतत सक्रिय रहे हैं .. आपकी वैचारिक प्रामाणिकता और त्याग अतुलनीय भी है —इसीलिए शायद संघ ने उन्हें भाजपा में आगे ना भेजते हुए पुनः संघ में ही दायित्व दिया है .👉.किंतु व्यावहारिक रूप में भाजपा जैसे विशाल राजनीतिक दल में संगठन महामंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की समीक्षा प्रस्तुत है..*

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