ऑनलाइन दोस्ती में मानसिक रूप से हुआ प्रताड़ित
दंतेवाड़ा । युवा वर्ग में ऑनलाइन दोस्ती करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई बार लोगों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। अक्सर लोग सोशल साइट्स पर अनजान व्यक्तियों से दोस्ती कर अपनी निजी जानकारी तक साझा कर देते है जिसका उपयोग साइबर अपराधी अपने फायदे के लिए करते हैं। इस तरह के अपराध में गिरफ्त व्यक्ति समाज में बदनामी के डर से आत्महत्या तक करने के बारे में भी सोचने लग जाते है।
ऐसा ही कुछ दुर्ग में रहने वाले 32-वर्षीय आशीष (बदला हुआ नाम) के साथ हुआ जिन्होंने बीते दिनों सोशल साइट फेसबुक पर अनजान युवती का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया जिसे वह किसी परिचित का नाम समझकर उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया।
“कुछ दिनों तक सामान्य बातचीत के बाद एक दिन मेरे नम्बर में आपत्तिजनक मैसेज आया, उसके कुछ देर बाद वीडियो कॉल से अश्लील वीडियो किया गया। थोड़ी देर बाद व्हाट्सएप पर 20,000 रुपये की मांग करते हुए मेरी आपत्तिजनक वीडियो भेजी गई। रुपये नही देने पर सामने वाले व्यक्ति ने उस वीडियो को फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल साइट्स पर अपलोड करने की धमकी दी। नम्बर ब्लॉक करने पर अलग-अलग नम्बर से मैसेज कर पैसे की मांग की गई ऐसा नही करने पर सोशल मीडिया के माध्यम से छवि धूमिल करने की बात भी कही गई। कई दिनों तक हुई ब्लैकमेलिंग से मानसिक रूप से प्रताड़ित होने के बाद आत्महत्या करने जैसे विचार मन मे आने लगे थे,’’ आशीष ने बताया ।
मानसिक अस्वस्थता के कारण आशीष ने आत्महत्या से बचाव के प्रति जागरूक करने वाले सहयोगी को अपनी सारी स्थिति बताई, उनके द्वारा मिले उचित परामर्श ने आत्महत्या करने से बचाया। उन्होंने फिर पुलिस से सहायता भी ली ।
आत्महत्या रोकथाम और जागरूकता के प्रति कार्य कर रहे डॉ.सन्दीप ताम्रकर (जिला कार्यक्रम प्रबन्धक दन्तेवाड़ा) ने बताया: ” कुछ दिन पहले उन्हें ‘आत्महत्या रोकथाम परामर्श’ के लिये जारी किए गए नम्बर 94252 42707 पर आशीष का कॉल आया, शुरुआत में हिचकिचाहट के साथ उसने अपनी समस्या विस्तार से बताई। तदुपरान्त, ‘टॉक थेरेपी’ आत्मघाती विचारों का आकलन करने का एक प्रभावी तरीका अपनाते हुए आशीष के अवसाद के स्थिति की जानकारी ली और प्रश्नों को सावधानी, चिंता और करुणा के साथ पूछा गया। इस तकनीक से आशीष के उदासी को कम करके यह आश्वासन दिया गया कि अगर कभी ऐसे विचार आये तो अपना ध्यान किसी अन्य जगह पर केंद्रित करें। इसके बाद आशीष को साइबर अपराध सम्बन्धी सलाह के लिये साइबर विशेषज्ञ का नम्बर देकर पुलिस सहायता के लिये मदद की गई”
डॉ.ताम्रकर ने बढ़ते साइबर अपराध से बचाव के लिये अपील करते हुए कहा, ‘फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया में अपना मोबाइल नंबर न डालें। अपरिचित व्यक्ति से वीडियो कॉलिंग कभी न करें। यदि कोई व्यक्ति ब्लैकमेल करे तो अपना सोशल एकाउंट तुरन्त बन्द करे या पुलिस सहायता केंद्र में अपनी शिकायत दर्ज करें। गम्भीर स्थिति होने पर घबराएं नही, अगर मन मे आत्महत्या करने जैसे विचार आये तों निम्न नम्बर 94252 42707, 74772 62777 पर कॉल कर उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें।’
साइबर विशेषज्ञ शरद खरे ने बताया: ” साइबर अपराधियों द्वारा आजकल लड़कियों को पैसों देकर सोशल मीडिया में दोस्ती करके अंतरंग वीडियो कॉलिंग के जाल में फंसा रहे हैं। फिर उन अपराधियों द्वारा सोशल मीडिया में वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई माध्यम से रुपयों की मांग कर रहे है। लोगों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मौजूद अनजान लोगों के जाल में फंसने से बचना चाहिए। साथ ही अपनी निजी बातों को ऐसे लोगों से साझा न करें। अगर कोई व्यक्ति इस तरह ब्लैकमेलिंग से प्रताड़ित हो रहा हो तो तुरंत ही नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी समस्या बताएं।