{किश्त 47}
0अन्य राज्यों को बिजली
बेचकर आर्थिक स्थिति सुधारी गई थी !
छत्तीसगढ़ में हर निर्वाचित सरकार,निवृतमान सरकार पर आर्थिक स्थितिबिगाड़ने का आरोप लगाती ही है। छ्ग की विष्णु देव साय सरकार का भी कहना है कि भूपेश सरकार ने उन्हें खाली खजाना और बड़ा कर्ज विरासत में सौंपा है।ऐसे में नया छ्ग राज्य बनने के समय के हालात की चर्चा भी करना जरुरी है। एक नवम्बर 2000 को ज़ब मप्र से विभाजित होकर नया छत्तीसगढ़ बना तो यहाँ की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।बंटवारे में खाली मिला था खजाना…..।तब के सबसे बड़े दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल में मंत्रालय और सचिवालय बनाया गया तो राजकुमार कालेज में टेंट लगाकर पहलाविधान सभा सत्र निपटाया गया।तब के पूर्वआईएएस तथा पहले सीएम अजीत जोगी से इस बारे में कई बार बात चीत भी होती रहीं थी।छ्ग राज्य बनने के बाद समय के हालात केअनुसार डीकेएस अस्पताल को मंत्रालय,सचिवालय बनाया गया था।तो उस समय के आयुक्त कार्यालय के बगल की एक शैक्षणिक संस्था को पुलिस मुख्यालयबनाया बनाया गया था।अस्पताल भवन में सीएम, सीएस, मंत्रियों सहित प्रमुख सचिव सचिव के चेम्बर सहित स्टाफ के लिये व्यवस्था की गई थी।सीएम निवास के लिये शंकरनगर स्थित ‘पहुना विश्राम भवन’ को तय किया गया था,बाद में पुराने कलेक्टर बँगले को सीएम हॉउस,जोगी ने बना दिया था,वे 14 नवम्बर 1978 से 26 जून 1981 तक बतौर कलेक्टर वहाँ रह चुके थे।तो कमिश्नर बँगले को मुख्य सचिव के लिये आरक्षित किया गया।सिविल लाईन,शंकर नगर स्थित कुछ सरकारी. आवासों को मंत्रियों तथा बड़े अफसरों के लिये तय किये गये। समस्या यह थी कि विधान सभा की कार्य वाही कहां की जाए…। बाद में केंद्र सरकार के एक भवन को विधानसभा के लिये तय किया गया।तय भवन में समुचित व्यवस्था के लिये समय लगना तय था।14 दिसम्बर,2000 को छग विधानसभा का प्रथम ऐतिहासिक सत्र रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज के ”जशपुर हॉल” में संपन्न हुआ।जशपुर हाल के पास टेंट लगाकर किसी तरह सत्र निपटाया गया बाद में द्वितीय सत्र 27 फरवरी 2001से नवनिर्मित केंद्र सरकार के भवन को विधानसभा भवन में तब्दील किया था।अजीत जोगी ने एक बार चर्चा में बताया था किसी तरह नये राज्य की स्थापना की औपचारिकता तो पूरी हो गई थी पर छ्ग की आर्थिक स्थिति चिंता जनक थी। मप्र के सीएम दिग्विजय सिँह ने छांट के अफसर भेजे थे।दिग्गी राजा ने बंटवारा की कई शर्ते अपने अनुसार बनाई थी,तब वही एक पक्ष थे,छ्ग का पक्ष रखने तो कोई था ही नहीं? मप्र ने सभी का बंटवारा किया था बस बिजली का नहीं किया था,लगभग सभी बिजली उत्पादन इकाई छ्ग में थी। मैंने छ्ग का नया बिजली बोर्ड बनाने के लिये पहले सीएस अरुण कुमार से कहा था तो उन्होंने बंटवारा के लिये केंद्र के क़ानून का उल्लंघन का हवाला देकर लिखकर असमर्थता जाहिर कर दी थी तब मैंने खुद आदेश देकर 11नवम्बर 2000 (नया छ्ग 1 नवम्बर को बनने के 10 दिन के भीतर)अलग बिजली बोर्ड बना दिया गया,जाहिर था कि शिकायत सोनिया गांधी से भी हुई,मैंने कहा की हम मप्र को बिजली देने तैयार है पर पैसा लेकर ही देंगे? सोनिया ने इस पर सहमति भी जाहिर की थी।दिग्गी ने तत्काल मप्र को बिजली देने कहा तो मैंने ‘आज नगद कल उधार की बात की’ और बाद में पंजाब, कर्नाटक और गुजरात को बिजली बेची और मिले पैसों से छ्ग की आर्थिक स्थिति मजबूत की।किसानों से धान खरीदीआदि की। हम बहुत कुछ और भी करना चाहते थे पर उस समय बजट ही 4हजार करोड़ का था,बाद में घाटे में चल रहे राज्य परिवहन निगम को भी भंग कर दिया और निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया।