भोपाल:मध्यप्रदेश सरकार ने जहरीली शराब बेचने वालों के लिए कानून लेकर आई है। मध्यप्रदेश कैबिनेट में आज नए कानून बनाए गए है। नए कानून के अनुसार अब जहरीली शराब बेचने वालों को अब आजीवन कारावास से लेकर फांसी की सजा तक सुनाया जाएगा। मध्य प्रदेश कैबिनेट ने आज अमानक और जहरीली शराब के निर्माण बिक्री को लेकर आबकारी कानून में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम में संशोधन के बाद अवैध शराब के कारोबार में लगे व्यक्तियों को फांसी और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान होगा। इसे लेकर आज कैबिनेटबैठक में सुझावों के लिए पेश किया गया, जिसे मंजूरी दे दी गई।
कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के बाद अब इसे विधानसभा के पटल पर रखकर कानून की शक्ल दे दी जाएगी। 9 अगस्त से मध्यप्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। फिलहाल अभी जो कानून मौजूद था, उसमें अनुपयुक्त मदिरा विक्रय का दोषी पाए जाने पर कम से कम 2 साल का कारावास, स्वास्थ्य को क्षति पहुंचने पर 2 साल का कारावास और मृत्यु के मामले में 10 साल तक की सजा हो सकती थी। वहीं 2 या उससे ज्यादा बार दोषी पाए जाने पर उम्र कैद तक की सजा हो सकती थी।
जहरीली शराब से लगातार हो रही है लोगों की मौत
हाल ही में मध्यप्रदेश में अलग-अलग मामलों में जहरीली और अमानक शराब पीकर लोगों की मौत हुई थी। अक्टूबर 2020 में उज्जैन में 14, जनवरी 2021 में मुरैना में 12, बीते कुछ दिनों में मंदसौर में 6, खंडवा में 4 और इंदौर में 4 लोगों की मौत हुई थी।
बोतलों पर लगेगा क्यूआर कोड
मध्यप्रदेश सरकार ने शराब की तस्करी और उसका अवैध कारोबार रोकने के लक्ष्य से शराब की बोतलों पर 20 से अधिक सुरक्षा मानक युक्त क्यूआर कोड वाले होलोग्राम लगाने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
जहरीली शराब के कारोबारियों पर कठोर कार्रवाई
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि जहरीली शराब से लोगों की मौत गंभीर अपराध है। लिहाजा कानून में संशोधन कर अवैध शराब के कारोबार में लगे व्यक्तियों के लिए कठोरतम दंड का प्रावधान किया जाए। वहीं अवैध शराब के कारोबार में संलग्न व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल कठोरतम कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पड़ोसी राज्यों से अवैध शराब की आवग रोकने के लिए सघन रूप से हर संभव प्रयास किए जाएं। इसके लिए संबंधित राज्यों से बातचीत करें।