सर पे सूरज की सवारी मुझे मंज़ूर नहीं…. अपना कद धूप में छोटा नज़र आता है मुझे….

शंकर पाांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )     

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने छह बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उनके इस कीर्तिमान (16साल 286दिन मृत्यु तक) के निकट आ पाना फिलहाल किसी भारतीय के लिए संभव नहीं है…. आजादी के तत्काल बाद पंडितजी का भाषण (आधी रात को आजादी…. )दिया था, नेहरू का यह भाषण 20वीं सदी के 11महानतम भाषणों में शामिल माना जाता है… भारत जाग रहा है और स्वतंत्र है…खैर नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो उनका कद इतना विशाल था कि जनवरी 1964 ( देहांत से लगभग 4 महीने पहले ) बीमारी के कारण दो सप्ताह के लिए वे कार्यरत नहीं रहे तो इतनी हलचल हुई कि न्यूयॉर्क टाइम्स में 19 जनवरी को लेख छपा : India’s Big Question … Who aftar nehru…?
किसी के पास निश्चित उत्तर नहीं था क्योंकि उनके समकक्ष कोई खड़ा ही नहीं होता था…। पर लाल बहादुर शास्त्री उनके देहांत के उपरांत प्रधानमंत्री बने और गंभीर चुनौतियों के बावजूद देश मजबूती से खड़ा रहा…..भयंकर अन्न संकट और पाकिस्तान से युद्ध… दोनों परिस्थितियों से देश मजबूत होकर ही बाहर निकला। आज उस समय के प्रतिद्वंदी भी उन्हें सम्मान से देखते हैं। शास्त्री जी की असमय मृत्यु के पश्चात इंदिरा गांधी 3 बार (11साल 59 दिन तक )लगातार प्रधानमंत्री बनीं और 1980में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनी और 31अक्टूबर 84तक (हत्या किये जाने तक) प्रधानमंत्री रहीं इस तरह 5829दिनों तक आसीन रही… पाकिस्तान को विभाजित कर बांग्लादेश देश बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही…हाल ही में बांग्लादेश की स्थापना के 50 साल पर भारत में भी कार्यक्रम हुए पर सत्ताधारी भाजपा ने इंदिरा का नाम लेने से भी परहेज किया……खैर अब फिर पीछे चलते हैँ.. जैसे तैसे 1967 में कांग्रेस केंद्र में तो जीत गई परंतु अनेक राज्यों में हार का सामना करना पड़ा….राजनीतिक स्थिति डांवाडोल रही पर शीघ्र ही इंदिराजी ने अपने तेवर दिखाए और केवल देश में अपने विरोधियों को ही नहीं बल्कि युद्ध और विदेश नीति में भी अपना सिक्का जमा दिया.
1974 – 75 में इंदिरा विरोधी आंदोलन में यह प्रश्न उठा कि इंदिरा को हटा दें तो लाएं किसे….?1977 में इंदिरा गांधी की हार हुई और दो अस्थायी सरकारें बनी ढाई साल में…. आपातकाल के बाद के चुनाव में मिली जुली जनता पार्टी की जीत हुई तो भी सवाल उठा कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा… पर मोरारजी भाई देसाई पीएम बन गए…ढाई साल बाद फिर हुई इंदिरा गांधी की वापसी…. बाद में इंदिराजी की हत्या और राजीव गांधी का सत्ता में आना हुआ…। जब राजीव गए 1989 में तो 25 वर्षों तक अपेक्षाकृत अस्थिर मिली – जुली सरकारें रहीं….। परिणाम अगले 10 वर्षों में में छह प्रधानमंत्री बने । पर क्या देश बिखरा…..?
उदारीकरण और वैश्वीकरण की नई आर्थिक नीति , परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध इतना कुछ हुआ देश में….पर देश ने सब झेल लिया…..।      
मोदी ने 15लाख सभी के खातों में आने,नोटबंदी, जीएस टी, तीन किसान बिल, बढ़ती मॅहगाई सहित कुछ विवादित मामलों को लेकर निशाने पर हैँ…?आज फिर यह चर्चा अभी से उठ रही है कि मोदी का विकल्प कौन है….? राहुल गांघी, शरद पवार, ममता बेनर्जी या कोई अन्य….? तो एक बात तो तय है कि प्रकृति शून्यता की अनुमति नहीं देती… जहां वातावरण में शून्यता की स्थिति आती है तो कहीं ना कहीं से तेज़ हवा का झोंका आता ही है। देश में जब गर्मी अधिक होती है और वायु का दबाव कम हो जाता है तो हजारों किलोमीटर दूर मेडागास्कर से पानी से भरी हवाएं देश में मानसून ले कर के आती है हर साल….!
देश के इतिहास में पांच / दस साल की अस्थिरता से कोई फर्क नहीं पड़ता यदि देश की सोच स्थिर रहे तो……। अंग्रेजों ने भी हमें यह कह कर डराया था कि उनके जाने के बाद देश बिखर जाएगा….. वे जाते – जाते देश के दो टुकड़े कर गए पर उनके जाने के बाद देश बिखरा नहीं बल्कि और मजबूत हो कर उभरा ….क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम में तप कर ( भीख मांग कर नहीं…. कंगना ) देशभक्ति का जबरदस्त भाव बन चुका था।आज देश जिस असहिष्णुता की स्थिति में है उसमें अधिक दिन रहा तो बहुत लंबे अरसे के लिए गर्त में चला जाएगा…! मनमोहन सिंह ने जाते-जाते कहा था ‘ It will be disastrous to have Narendra Modi as Prime Minister of India.’ विनाश होने लगा है। इससे पहले अस्थिरता होती थी पर बर्बादी नहीं…? फिर एक बार मनमोहन सिंह के शब्दों को याद करें जो उन्होंने नोटबंदी के समय कहे थे: ‘ It is an organised loot and legalised plunder ‘ : कानूनी और संगठित लूट…..?
बहरहाल समय तेजी से भाग रहा है। विपक्ष चाहता है कि स्पीड ब्रेकर बनाना ही होगा भले ही गाड़ी एक बार जोर से उछले…..? इसलिए किसके बाद कौन…. इस पर विचार करने की जरुरत नहीं है.. विकल्प आ ही जाता है…..?

भूपेश सरकार के तीन साल……      

रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी। उनके साथ ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव ने मंत्री पद की शपथ ली थी। करीब एक सप्ताह बाद बघेल ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। 25 दिसंबर को नौ और विधायकों को राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 29 जून 2019 को बघेल कैबिनेट का विस्तार हुआ और अमरजीत भगत ने 13वें मंत्री के रूप में शपथ ली।
भूपेश सरकार के 3 साल पूरे होने पर यह तो कहा ही जा सकता हैं कि यह पूरी तरह छत्तीसगढ़ीयों य
की सरकार है, शराब बंदी, बेरोजगारी भत्ता जैसे दो प्रमुख वादों को छोड़ दें तो सरकार ने जो कहा, वो किया. प्रदेश के लोगों को सरकार पर विश्वास है, इसलिए छत्तीसगढ़ में नारा बन गया कि ‘भूपेश है, तो भरोसा है.’ 3 साल से यह चर्चा होती है कि…
“बात है अभिमान की…छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की”
3साल की सबसे बड़ी उपलब्धि छत्तीसगढ़ी अस्मिता की पहचान की है.छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार 17 दिसंबर को 3 साल पूरे कर रही है . इस तीन साल के कार्यकाल में भूपेश बघेल की सरकार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. केंद्र से अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल रहा है…? केंद्र से राज्य को मिलनेवाला आर्थिक देय हिस्सा भी करोड़ों बकाया है….? फिर भी इस दौरान कांग्रेस का उपचुनाव और नगरीय निकाय के साथ ही पंचायत चुनाव में भी प्रदर्शन सुधरा है. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की 90 में से 67 (अब 70 सीट )सीटों पर जीत दर्ज की थी. अब भूपेश बघेल की सरकार के तीन साल में सरकार ने 11 लाख किसानों का 9 हजार करोड़ रुपए ऋण माफ किया है. साथ ही किसानों के धान 2500 रुपये प्रति क्विंटल खरीदे गए हैं. सरकार ने लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापसी करा दिया था.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मानें तो आदिवासियों, किसानों, महिलाओं और युवाओं को सशक्त किया है. इसलिए आज छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा देश भर में है. गोधन न्याय योजना शुरू की गई है. साथ ही कई कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है.कोरोना काल में भी छग सरकार, सहित यहाँ के निवासियों की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहत्तर रही… नरवा, गरुवा,घुरुवा और बाड़ी योजना तो सराही जा रही है वहीं आम जनता को एक रुपए में चाँवल देकर 2रूपये में गोबर खरीदी की योजना भी पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनी हुई है है…. छग की कई योजनाओं तथा केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र द्वारा कई पुरस्कार मिलना भी उपलब्धियों में शामिल किया जा सकता है…इधर ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री के कयास का भी लगभग अंत हो गया है…. अब तो लगता है कि ऐसा कुछ था ही नहीं……?नौकरशाही पर नियंत्रण के लिए भी समुचित प्रयास हुए… दो एडीजी मुकेश गुप्ता, जी पी सिंह का निलंबन, जनता से दुर्व्यव्हार में एक कलेक्टर, एक सिपाही से असभ्य व्यवहार के चलते एक एसपी को हटाना चर्चा में रहा तो बार बार कलेक्टर, एसपी के तबादले को लेकर भी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है…कुल मिलाकर भूपेश सरकार का 3 साल का कार्यकाल को 10 में 7नम्बर तो दिये ही जा सकते हैँ…..

छत्तीसगढ़ के 19 आईएएस के खिलाफ अपराध दर्ज…

विधायक कृष्णमूर्ति बांधी के एक सवाल पर राज्य सरकार ने विधानसभा में जवाब दिया है कि रघुनाथ प्रसाद तत्कालीन अध्यक्ष रायपुर विकास प्राधिकरण,जी वैकन्ना,आर पी यादव तत्कालीन कलेक्टर रायपुर, अजय नाथ तत्कालीन सीईओ रायपुर विकास प्राधिकरण, एन पी तिवारी तत्कालीन कलेक्टर रायपुर, एम के राउत, एच पी किंडो, राबर्ट हिरंगडोला, नारायण सिंह, सुब्रत साहू, टी एस छतवाल, आर पी बगई, बाबूलाल अग्रवाल, राजेश टोप्पो, व्ही के ध्रुर्वे, डॉ आलोक शुक्ला, अनिल टूटेजा, रणवीर शर्मा और जनक पाठक के नाम आर्थिक अनियमितता को लेकर मामले बने हैं।इनमें एम के राउत, सुब्रत साहू, रॉबर्ट हिरंगडोला और नारायण सिंह के खिलाफ मामला खत्म हो चुका है।विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार सबसे पुराना मामला 23 फ़रवरी 1995 का है जिसमें रघुनाथ प्रसाद, जी वैंकेय्या, आर पी यादव, अजय नाथ और एन पी तिवारी का है। इसमें धारा 409, 420, 467, 468, 120-B,13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएँ प्रभावी हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए आवासीय भवनों और भूखंडों के आबंटन के खिलाफ कार्य कर शासन को क्षति पहुँचाई है और यह मामला विवेचना के स्तर पर लंबित है।
एच पी किंडो के खिलाफ छ मामले हैं, जो विवेचना में लंबित है हालाँकि उनकी मृत्यु हो चुकी है। राजेश सुकुमार टोप्पो के विरुध्द तीन मामले हैं जिनमें अभियोजन स्वीकृति लंबित होने की जानकारी सरकार ने दी है। राजेश सुकुमार टोप्पो के खिलाफ धारा 120 बी ,7 (सी) और 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं।अनिल टूटेजा और आलोक शुक्ला के विरुद्ध चालान पेश किया जा चुका है।

और अब बस…
0मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अगले चुनाव में सभी विधायकों को जिताने की जिम्मेदारी लेने की बात क्यों की…..?
0क्या वर्तमान प्रदेश नेतृत्व को लेकर भाजपा अगली बार सरकार बनाने में सफल होगी …?
0कुछ एडीजी, आईजी को नए साल में नई जिम्मेदारी मिल सकती है…?90बैच के आईपीएस राजेश मिश्रा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से छग लौट चुके हैँ.
0प्रेमिका :- ते मोला बहुत प्यार करथस ना
प्रेमी :- हव
प्रेमिका :- शाहजहाँ ह मुमताज बर ताजमहल बनवाये रिहिस तै मोर बर का बनवाबे…
प्रेमी :- गरीबी रेखा के कार्ड रे पगली….

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