पार्षद,विधायक,केंद्रीय मंत्रिमंडल से राज्यपाल तक ..

{किश्त 20}

अर्जुन सिंह और वोरा भी
बन चुके हैं राज्यपाल..

छत्तीसगढ़ की राजनीति में रमेश बैस का रिकार्ड बन चुका है।पार्षद से अपनी राजनीति की शुरुवात करने वाले रमेश बैस विधायक सांसद,केंद्रीय मंत्री,त्रिपुरा, झारखंड के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल बन गये हैं। हालांकि रमेश बैस के पहले मोतीलाल वोरा भी उ.प्र. के राज्यपाल बन चुके हैं। यदि खरसिया छग से विस उप चुनाव में जीतने वाले अर्जुन सिंह को भी जोड़ दे तो वे भी पंजाब के राज्यपाल रह चुके हैं।भाजपा के बड़े नेताओं में रमेश बैस की गिनती होती है।ब्राम्हणपारा वार्ड से उन्होंने पार्षद बतौर अपनी राजनीति शुरू की यह बात 1978 के आस पास की है।उसी के बाद 1980 में रमेश बैस को मंदिर हसौद विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया और उन्होंने अपनी जीत दर्ज की,म.प्र. विधानसभा में पहुंच गये थे।1989 में रायपुर लोस के लिए चुने गये।यह 9 वीं लोकसभा थी।उसके बाद 11 वीं,12 वीं,13 वीं,14 वीं,15 वीं तथा 16 वीं लोकसभा में निर्वाचित होते रहे। हालांकि 91 के लोस चुनाव में बैस को विद्या चरण शुक्ल से मात्र 959 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा पर 1998 के लोस चुनाव में विद्याचरण शुक्ल को 83379 मतों से पराजित कर पिछली हार का बदला ले लिया वहीं 2014 के लोस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल को 1 लाख 71 हजार 646 मतों से पराजित किया था। शुक्ल बंधुओं को पराजित करने के साथ ही छग के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी लोस चुनाव में पराजित कर चुके हैँ। वैसे विद्याचरण शुक्ल रायपुर/महासमुंद से 8 बार सांसद बन चुके थे तो रमेश बैस 7 बार एक ही लोकसभा रायपुर से सांसद बन चुके हैं।एक ही लोकसभा से 7बार जीतने का रिकार्ड तो अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी का भी नहीं है…2019 में रमेश बैस को लोकसभा प्रत्याशी नहीं बनाया गया यदि वे बनते और जीत जाते तो विद्याचरण शुक्ल की जीत के रिकार्ड की बराबरी कर लेते….खैर बैस,अटल बिहारी मंत्रिमंडल में इस्पात एवं खान,रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भी 1998 से 2003 तक बने थे।29 जुलाई 2019 को रमेश बैस को त्रिपुरा, झारखण्ड के बाद हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है। छग के मूलनिवासी का 3 राज्यों का राज्यपाल बनने का रिकार्ड बन चुका है। वैसे स्व. मोतीलाल वोरा ने भी 1955-60 से राजनांदगांव से राजनीति शुरू की थी बाद में दुर्ग आकर वार्ड पार्षद बने,मप्र में विधायक,राज्यमंत्री, मुख्यमंत्री से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल फिर केंद्रीय मंत्री तक का सफर पूरा किया। वे भी राजनीति के अजात शत्रु माने जाते थे।यदि छग के खरसिया उपचुनाव में स्व. अर्जुन सिंह की जीत को भी आधार माना जाए तो विधायक,मंत्री अविभाजित म.प्र. के मुख्यमंत्री,केंद्रीय मंत्री, पंजाब के राज्यपाल का सफर अर्जुन सिंह ने तय किया था। छत्तीसगढ़ के प्रति उनका अपार स्नेह था। आज छग में जो सरकार चल रही है उसके कई मंत्री, विधायक निश्चित ही उनके राजनीतिक शिष्य रहे हैं।

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