नई दिल्ली : एक केंद्र शासित प्रदेश और 13 राज्यों में विधानसभा की 29 और लोकसभा की तीन सीटों पर शनिवार को उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। लोकसभा की जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें दादरा और नगर हवेली, हिमाचल की मंडी और मध्यप्रदेश की खंडवा शामिल हैं। असम की पांच, बंगाल की चार, मध्यप्रदेश, हिमाचल व मेघालय की तीन-तीन, बिहार, राजस्थान व कर्नाटक की दो-दो और आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिजोरम व तेलंगाना की एक-एक विधानसभा सीट के लिए वोट डाले जा रहे हैं। ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच है। निर्वाचन आयोग ने कोरोना वायरस के मद्देनजर उपचुनाव में कई पाबंदियां लगाई हैं।
मध्यप्रदेश में चार सीटों पर मतदान
मध्य प्रदेश में खंडवा संसदीय क्षेत्र सहित पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए शनिवार को सुबह सात बजे से मतदान जारी है। चारों सीटों पर कुल 26 लाख 50 हजार मतदाता 48 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। 865 मतदान केंद्रों को संवदेनशील केंद्रों की सूची में रखा गया है।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बिहार में दो सीटों पर मतदान…
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बिहार विधानसभा की कुशेश्वरस्थान और तारापुर में सुबह सात बजे से वोटिंग हो रही है। मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लोग लाइन में लगे हुए हैं। मतदान शाम चार बजे तक होगा। लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल पालन करने की अपील की जा रही है। यहां प्रचार के लिए खुद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पहुंचे थे।
पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटों दिनहाटा, नदिया जिले की शांतिपुर, उत्तर 24 परगना की खरदा और दक्षिण 24 परगना की गोसाबा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। दिनहाटा और शांतिपुर उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। दो अन्य सीटों पर विजयी उम्मीदवारों के निधन के चलते उपचुनाव हो रहा है।
दो नवंबर को मतों की गणना होगी। नगालैंड में भी विधानसभा की एक सीट पर उपचुनाव की घोषणा की गई थी लेकिन यहां 13 अक्टूबर को नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के एक उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था। अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है।कोविड महामारी के बीच इन सीटों के लिए हो रहे चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने कई प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें नामांकन से पहले और उसके बाद जुलूस निकालने, सभा स्थल पर अधिकतम 50 फीसद उपस्थिति, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के लिए अधिकतम 20 स्टार प्रचारक की सीमा तय करने जैसे नियम शामिल थे। इसके अलावा मतदान के 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार संबंधी गतिविधियों पर रोक भी लगाई गई थी।