{किश्त 100}
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी स्थित एशियाके दूसरे, भारत के सबसे बड़े चर्च “रोजरी की महारानी” महागिरजाघर के नाम से जाना जाता है। इसका इतिहास भी अद्भुत है। इस चर्च की नींव वर्ष 1962 में रखी गई थी।ज़ब चर्च को बनाया गया था,धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे।इस विशालकाय चर्च वाले भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया था।सिर्फ इसी काम में दो साल लग गए थे नींव तैयार होने के बाद भवन निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ।कहा जाता है कि उस वक्त ये जंगल,पहाड़ियों से घिरा हुआ था,समय के साथ-साथ सब बदलता गया।अब जिस जगह पर चर्च है वह क्षेत्र शहर के रूप में विकसित हो चुका है।छत्तीसगढ़ के जशपुर में कई प्राकृतिक,धार्मिक पर्यटन स्थल हैं…उन्ही में से एक कुनकुरी का यह चर्च एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च हैं जिसमें 8 से 10 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं।क्रिसमस में देश विदेश से लोग आकर प्रभु येशु की प्रार्थना करते हैं,क्रिसमस धूमधाम से मनाते हैं।चर्च कैथेड्रल(महागिरिजाघर) कुनकुरी,जशपुर से 16 किलो मीटर दूर कुनकुरी शहर में स्थित हैं।चर्च के सौन्दर्य को देखने प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख से अधिक सभी धर्मों के लोग,पर्यटक पहुंचते हैं।यह चर्च अर्ध गोलाकार में बना हुआ है ड्रोन कैमरे से देखने पर ऐसा लगता हैं मानो प्रभु येशु दोनों हाथों फैलाये हुए अपने पास बुला रहे।कैथोलिक समुदाय में सात (7)अंक का विशेष महत्व होता है इसी को ध्यान में रखते हुए इस चर्च का निर्माण किया गया है। इस चर्च में 7 छत,7 दरवाजें हैं, इनके दरवाज़ों पर संस्कारों (बपतिस्मा)पवित्र परम प्रसाद ग्रहण,पाप स्वीकार संस्कार, दृढ़ीकरण संस्कार, विवाह संस्कार,पुरोहिताई संस्कार और रोगियों का संस्कार )के चिन्ह अंकित हैं।इस चर्च को बनाने में ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।यह चर्च एक ही बीम पर टिका हुआ है यह वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इस चर्च के कई हिस्सों को अलग अलग जगह से लाया गया है जैसे, चर्च की छत को उड़ीसा के राउरकेला से,खिडकियों में बने संस्कार झारखण्ड से बनवाया गया है।इस चर्च में लगी घंटी केरल से,क्रॉस के उपर बने कबूतर(जिसे पवित्र आत्मा का प्रतीक माना जाता है)छत्तीसगढ़ के बस्तर से लाया गया है। इस तरह से कुनकुरी चर्च में सभी क्षेत्र के लोगों का सहयोग है।
कुनकुरी चर्च का इतिहास
इस चर्च को तब बिशप स्तानिसलास ने बेल्जियम के सुप्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कार्सी एसजे से इसका नक्शा बनवाया था।इस चर्च का निर्माण वर्ष 1962 में शुरू हुआ जो वर्ष 1979 मे पूरा हुआ।निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद महागिरजाघर का लोकार्पण 1982 मे हुआ।इस चर्च को पूर्ण रूप से बनने में 17 वर्षों का समय लगा,कहा जाता है कि इसकी नींव तैयार करने में ही 2 वर्षों का समय लगा था।कुनकुरी शहर बसने में इस चर्च की अपनी अहम भूमिका है।इस चर्च केबनने के बाद यहाँ लोयोला स्कूल, होली क्रॉस अस्पताल बना उसी के बाद से आसपास क्षेत्र में लोग बसने लगे। इससे पहले कुनकुरी एक छोटा सा गाँव था लेकिन आज के समय में यह शहर में तब्दील हो चुका है।