चंडीगढ़ : हरियाणा में कोवैक्सीन के परीक्षण का तीसरा फेज शुरू हो गया है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को अंबाला कैंट स्थित नागरिक अस्पताल में वैक्सीन की पहली खुराक दी गई । वैक्सीन देने से पहले टीम ने एंटी बॉडी व आरटीपीसीआर जांच के लिए उनके सैंपल जुटाए। टीम में कोविड-19 के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. ध्रुव चौधरी, रिसर्च की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. सविता वर्मा, को-इन्वेस्टिगेटर डॉ. रमेश वर्मा, नर्सिंग स्टाफ व एलटी स्टाफ मौजूद रहे।
रोहतक, हैदराबाद व गोवा में शुरू हुआ ट्रायल…
कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पीजीआईएमएस रोहतक, हैदराबाद व गोवा में शुरू हुआ। इसके तहत तीनों संस्थानों में 200-200 वालंटियर्स को शुक्रवार से वैक्सीन की डोज दी जाएगी। यह डोज छह-छह एमजी की होगी। पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जाएगी और 48 दिन बाद उनके शरीर में एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। सही परिणाम मिलने पर देशभर में चिह्नित 21 संस्थानों में कुल 25,800 वालंटियरों को यह डोज दी जाएगी।
यह जानकारी बुधवार को पीजीआई के कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने दी। उन्होंने बताया कि कोवैक्सीन के खतरे काफी कम हैं। अभी तक की रिसर्च में एक दो वालंटियर को हल्का बुखार व टीके के स्थान पर दर्द जैसी समस्या आई है। हमारे सभी वालंटियर स्वस्थ हैं और अभी तक किसी को कोरोना होने की रिपोर्ट भी नहीं है।
फरवरी के बाद बाजार में आ सकती है वैक्सीन..
कुलपति ने बताया कि फरवरी के बाद वैक्सीन बाजार में आ सकती है। फिलहाल भारत बॉयोटैक कंपनी इस वैक्सीन पर शोध करवा रही है। शोध में सफल होने पर आईसीएमआर की ओर से वैक्सीन निर्माण का काम संबंधित कंपनी को दिया जाएगा। उसके बाद बाजार में वैक्सीन उपलब्ध होगी।
वैक्सीन से अधिक उम्मीद….
एक्सपर्ट मानते हैं कि विदेश में चल रही रिसर्च की तुलना में भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन अधिक कामयाब होगी। क्योंकि इसे देश में पाए जाने वाले वायरस के स्टेन के आधार पर तैयार किया गया है। हम इसे प्रयोग करेंगे तो अधिक प्रभावशाली रहेगा।
ऐसे समझे वैक्सीन का विज्ञान…..
वैक्सीन की रिसर्च के को-इन्वेस्टिगेटर डॉ. रमेश वर्मा बताते हैं कि कोवैक्सीन किल्ड वैक्सीन है। इसलिए इसके नुकसानदायक होने की आशंका नहीं रहती। रोहतक पीजीआईएमएस के पास तीसरे फेज के परीक्षण के लिए 200 वैक्सीन आ गई हैं। इसमें पहली डोज स्वास्थ्य मंत्री को दी गई। एक्सपर्ट ने बताया कि वैक्सीन दो प्रकार की होती है। एक लाइव व दूसरी किल्ड।
किल्ड वैक्सीन में जो मैटेरियल इंजेक्शन से शरीर में भेजा जाता है, उसके वॉल को केमिकल से किल कर दिया जाता है। वह शरीर के अंदर जाकर धीरे-धीरे एंटी बॉडी प्रोड्यूस करता है और शरीर को लड़ने लायक बनाता है। लाइव वैक्सीन में वॉल को केमिकल से हटा दिया जाता है और यह खतरा पैदा नहीं कर सकता। क्योंकि वॉल का आउटर एरिया ही परेशान करता है। वैक्सीन इसलिए सुरक्षित है, यह शरीर में जा कर धीरे-धीरे अपना प्रोडक्शन करती है।