रायपुर। सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के बोर्ड की पूर्व विशेष आमंत्रित सदस्य व छत्तीसगढ़ समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व सदस्य, भाजपा नेत्री श्रीमती स्वाति शर्मा ने कृषि विधेयक 2020 का स्वागत करते हुए, इसे किसानों के हित में बताया है।
स्वाति शर्मा ने कहा कि, बिल किसानों के हितों की दूरदर्शिता लाभ को देखते हुए उचित तरीके से बनाया गया है, जिसके अच्छे परिणाम समय आने पर दिखेगा, विपक्ष या दूसरे लोगों को इसका विरोध करने या किसानों को गुमराह करने के बजाय, इस बिल में और जो सुधार या त्रुटि है, उसे सरकार तक पहुंचाना चाहिए, ताकि भविष्य में संशोधन विधेयक फिर सदन में लाकर, विधेयक में यदि कोई कमी रह गई हो, उसे ठीक किया जा सकता है। स्वाति शर्मा ने कहा, कि पूर्व में उद्योग मंत्रालय के बोर्ड में रहते हुए मेरे कई येसे सुझाव सरकार के द्वारा सुनी गई और उन्हें सरकार की नीतियों में भी शामिल किया गया।
स्वाति शर्मा जी ने कहा, मैं खुद किसानों के हितों में दो मांग आदरणीय प्रधानमंत्री जी से करूंगी,
“मेरी पहली माँग है, कृषि को उद्योग का दर्जा मिले और मेरी दूसरी मांग है, कृषि आयोग का गठन हो।” मुझे आशा है, किसानों के हित में मेरी इन दोनों माँगो पर, आदरणीय प्रधानमंत्री जी, जल्द ही निर्णय लेंगे। स्वाति शर्मा ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, विपक्ष सिर्फ़ जानबूझकर जनता को गुमराह करने की कोशिश करती है, जबकि वो अपनी बात सदन में कानूनी तरीके से बात रख सकती है, पर विपक्ष अपनी भूमिका सही रूप से ना निभाते हुए, सिर्फ भड़काऊ राजनीति में उतारू है, तभी विपक्ष सिमटते जा रही है।
स्वाति शर्मा ने कहा, कि कोरोना कि इस भयानक आपदा कि घड़ी में विपक्ष को जनता या किसानों को भड़काने की राजनीति नहीं करनी चाहिए, उससे देश और समाज का नुकसान होगा, जिसे की जनता भुगतेगी। स्वाति शर्मा ने जनता और किसानों से भी अपील की, कि किसी के भड़काने पर मत आयें, किसानों को गुमराह करने वालों को, सख्ती से निपटने हेतु तैयार रहें, मोदी जी ने साफ कहा है कि, किसानों की MSP खत्म नहीं हो रही है।
स्वाति शर्मा ने कहा कि, हम आदरणीय प्रधानमंत्री जी से किसानों के हित में कुछ निम्नलिखित माँग रखेंगे,
नए कृषि बिल के जरिये हुए संशोधन हेतु हम बात रखेंगे—
1- किसान मंडी के बाहर पहले भी बिक्री करता था, लेकिन नए बिल के जरिये मंडी की अनिवार्यता खत्म होने से निजी कंपनियां जरूरतमंद किसान से MSP से भी कम दाम पर खरीदारी करेंगे, और इस दशा में MSP का कोई मतलब नही रह जायेगा।
इसलिये सरकार को MSP से कम खरीद करने वाले व्यापारी पर आर्थिक दण्ड लागये और आर्थिक जुर्माना संबंधित किसान को देने का भी प्रावधान बिल में करना चाहिए।
2- आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके दाल अनाज आलू प्याज जैसे दैनिक जरूरत की वस्तुओं को आवश्यक वस्तु से बाहर कर दिया है, जिससे पूंजीपति इन वस्तुओं को स्टॉक (जमाखोरी) करके डिमांड बढ़ने पर उनके दामों पर बेचेंगे।
3- कॉरपोरेट व कांट्रेक्ट फार्मिंग से कोई समस्या नही है, बहुत से ऐसे लोग हैं, जो कि खेती नही कर पाते हैं, बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके पास खेती के लिए पर्याप्त पूंजी, जानकरी और श्रम नही होता है, ऐसे में कॉरपोरेट व कॉन्ट्रैक्ट खेती कोई बुरा नही है, बशर्ते किसानों को कभी भी कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलने की आज़ादी हो, MSP को अनिवार्य बनाया जाए, और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन न किया जाए।
क्योंकि उक्त दोनों संशोधन केवल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को ही बूस्ट करने के लिए लिया गया है, ताकि पूंजीपति मुनाफा कमा सकें।
4. कृषि को उद्योग का दर्जा मिलना चाहिए, ताकि किसानों को आगे बढ़ने का अवसर मिले
5. कृषि आयोग का गठन हो, ताकि किसानों की सुनवाई हो।
ये माँग मैं स्वयं प्रधानमंत्री से करूंगी और मुझे विश्वास है, मेरी इन माँगो को किसानों के हित में जल्द मान ली जायेगी,
परन्तु हमें विरोध करके, तोड़फोड़ करके, हड़तालया धरना प्रदर्शन आदि करके, देश के आर्थिक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले विपक्ष के एजेंडे को सफल नहीं होने देना है, इसलिए मैं सभी किसान भाई-बहनों से अपील करती हूं, अपनी बात व समस्या प्रधानमंत्री जी को स्वयं लिखें, अपनी समस्या मुझे बताएं, परन्तु विपक्ष के गुमराह करने की राजनीति का शिकार ना हों।
स्वाति शर्मा ने कहा, कि कई राजनीति पार्टी और भी हैं, जो किसानों को भड़काकर देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने के बजाय, हमारी सरकार को उचित सुझाव भी दे रहे हैं, देश की एक राजनीतिक पार्टी, भारतीय जन मानस पार्टी का सुझाव मुझे प्राप्त हुआ है, जिसे मैं सरकार तक पहुंचाउंगी जो कि सराहनीय कार्य है, हमारी सरकार हर पार्टी व व्यक्तियों का सम्मान करती है, व उचित सलाह पर ध्यान देती है।