नई दिल्ली : भारत अब दुनिया में तीसरा ऐसा देश बन गया है, जहां कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले दस लाख के पार हो चुके हैं। कोविड-19 के दस लाख मामले पार करने वाला अमेरिका सबसे पहला राष्ट्र बना था, अमेरिका में ये आंकड़ा 28 अप्रैल को ही पार हो गया था। अमेरिका में एक हजार से मामले बढ़कर दस लाख तक पहुंचने में करीब 49 दिन ही लगे थे।
इसके बाद 19 जून को ब्राजील दूसरा ऐसा देश बना था, जहां कोरोना वायरस के दस लाख मामले हुए। ब्राजील को एक हजार से दस लाख तक पहुंचने में 91 दिन लगे थे। हालांकि भारत ने एक हजार से दस लाख तक पहुंचने में ज्यादा समय लिया, भारत में दस लाख तक का आंकड़ा छूने में 110 दिनों का समय लगा। अब दस लाख के मामलों के साथ भारत, अमेरिका और ब्राजील के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है। एक मार्च को भारत 38वें स्थान पर था, एक अप्रैल को 35वें स्थान पर, एक मई को 16वें स्थान पर और एक जून को सातवें स्थान पर था।
अगर जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो चीन के बाद भारत का नंबर आता है, भारत में लगभग 130 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या है। अगर दस लाख आंकड़ों की तुलना कुल जनसंख्या से करें तो ये नंबर 0.07 फीसदी है, यानि कि 0.07 फीसदी जनसंख्या ही कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
संक्रमित मरीजों की ये संख्या उन पांच देशों में संक्रमित मरीजों की संख्या से कम हैं, जहां जनसंख्या के आधार पर कोरोना वायरस के मामले तुलनात्मक ज्यादा हैं। अगर बात करें यूरोपीय देशों की तो इटली, जर्मनी और फ्रांस में संक्रमित मरीजों की संख्या का प्रतिशत भारत से ज्यादा है।
अमेरिका में कोरोना वायरस के लगभग 37 लाख मामले हैं और वहां की जनसंख्या 33 करोड़ के आस-पास है, यानि कि अमेरिका की कुल जनसंख्या का 1.13 फीसदी हिस्सा कोविड-19 से संक्रमित हैं। ये आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है, अगर हर किसी का टेस्ट होना शुरू हो जाए। इस महामारी का एक दूसरा पहलू टेस्टिंग करना भी है।
भारत में अबतक 1.31 करोड़ लोगों के टेस्ट कर लिए हैं। अगर बात करें जनसंख्या के आधार पर तो भारत ने अब तक हर दस लाख लोगों पर 9,567 मरीजों का ही टेस्ट कर लिया है। वहीं अमेरिका ने प्रति दस आबादी पर 1,39,455 टेस्ट किए हैं। अमेरिका का पॉजिटिविटी रेट 8.1 फीसदी तो भारत की पॉजिटिविटी दर 7.7 फीसदी है।
भारत में अबतक कोविड-19 से 25,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे देश में कोरोना वायरस से मृत्युदर 2.5 फीसदी है। ये दर इटली, फ्रांस और स्पेन में मरने वाले मरीजों की संख्या से काफी कम है, जहां कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर नौ फीसदी से ज्यादा है।
लेकिन इस आंकड़े से भी ये साबित नहीं होता कि यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस कम घातक है। जानकारों का मानना है कि भारत में मृत्युदर इटली से कम है क्योंकि भारत एक युवा देश है और भारत में संक्रमित मरीजों में औसतन युवा ही हैं। युवाओं में कोरोना वायरस के लक्षण गंभीर स्थिति में कम आते दिखते हैं या फिर ऐसा कम देखा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से युवाओं की मृत्यु ज्यादा हो रही है।