अगर फ़ुर्सत मिले तो पानी की तहरीरों को पढ़ लेना…….. हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़साना लिखता है…….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

28 मई को देश को नया संसद भवन मिल जाएगा और इसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करने वाले हैं।ब्रिटिश राज में बना संसद भवन 97 वर्षों तक भारत के राजनीतिक इतिहास का गवाह बना और अब वह बूढ़ा हो चुका है। इमारत कमजोर हो गई हैऔर सुविधाएं कम पड़ गई हैं।पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की नींव रखी उस समय के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (अनुसूचित जाति वर्ग) थे तब उन्हें ही कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया था और अब नया संसद भवन बनकर तैयार है।अब मौजूदा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (अनुसूचित जनजाति वर्ग) हैं पर समारोह में उन्हें भी आमंत्रित नहीं किया गया है,विपक्ष इसे अजा/अजजा वर्ग का अपमान ठहरा रहा है?भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ के लिये एक संसद होगी,जो राष्ट्रपति और दोनों सदनों से मिलकर बनेगी,राष्ट्रपति,संसद का अनिवार्य अंग है,ज़ब नये संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है तो राष्ट्रपति को ही आमंत्रित नही करना,लोकार्पण नहीं कराना संविधान की अवहेलना है।दुनिया में लोकतंत्र की जननी कहलाने वाले भारत में राष्ट्रपति सबसे बड़ा पद होता है,जिसकेआदेश के बिना संसद का सत्र भी नहीं बुलाया जा सकता,किसी क़ानून या बिल को तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर न हो जाएं। तब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्ष के कुछ नेताओं ने कहा है कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए,न कि प्रधानमंत्री को।अब तो कांग्रेस सहित 21 राजनीतिक दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। खैर ,विवाद तारीख को लेकर भी है। 28 मई, 2023 को विनायक दामोदर सावरकर की 150वीं जयंती है वहीं इसी दिन देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू का अंतिम संस्कार भी हुआ था।सावरकर केंद्र में सत्तारूढ़ दल भाजपा के वैचारिक प्रेरणा स्रोत हैं। 26 मई, 2023 को मोदी सरकार के नौ साल पूरे हो गये हैँ। नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इधर प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं तो राष्ट्रपति विधायिका के अध्यक्ष होते हैं। बल्कि संसद का निर्माण ही लोस,राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर होता है। विरोधी इसी का हवाला देकर पीएम की जगह राष्ट्रपति से नये संसद भवन के उद्घाटन की मांग कर रहे हैं,छग के सीएम भूपेश बघेल और देश के प्रमुख आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भी राष्ट्रपति से नये संसद भवन का उद्घाटन कराने का समर्थन किया है।मौजूदा संसद भवन का उद्घाटन वाईसराय ने किया था।1926 से 1931 तक लॉर्ड इरविन भारत के वायसराय थे। इस कारण भारत में संसद भवन के उद्घाटन का सौभाग्य उन्हें ही हाथ लगा।18 जनवरी, 1927 को लॉर्ड इरविन ने मौजूदा संसद भवन का उद्घाटन किया था। तब उसे ‘हाउस ऑफ पार्लियामेंट’ कहा गया। इस हाउस ऑफ पार्लियामेंट में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी।

‘सेंगोल’ यानि राजदण्ड,
राजशाही का उदय…..?  

अंग्रेजों के जिस राजदंड को पंडित नेहरू ने इलाहाबाद संग्रहालय में दफना दिया था,उसे भारतीय संसद में स्थापित किया जा रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में राजदंड क्यों स्थापित किया जाएगा..? अगर राजदंड स्थापित होगा तो राजा कौन होगा…? क्या मध्ययुगीन राजशाही वापस आने वाली है..? गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है कि नई संसद में राजदंड स्थापित किया जाएगा। स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा,यह भी बताया कि जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने इसे पंडित नेहरू को सौंपा था। सत्ता हस्तांरण के समय जिस राजदंड को अंग्रेजों ने नेहरू को सौंपा,वह इलाहाबाद के संग्रहालय में क्यों रखा था…? क्योंकि राजदंड राजा की शक्ति का प्रतीक है। उस समय यह अंग्रेजों की राजशाही के प्रतीक के रूप में नेहरू को सौंपा गया, जिसका मतलब हुआ कि अब सत्ता भारत के हाथों में सौंपी जाती है।तब भारत में लोकतंत्र नहीं था। उसके बाद भारत लोकतंत्र बनाऔर उस “राजदंड” को नेहरू ने संग्रहालय में रखवा दिया। यह”सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक” था। उस समय सत्ता एक साम्राज्य से हस्तांरित हुई जिसे भारत की जनता ने लड़कर छीनी थी। आज कौन सा सत्ता हस्तांतरण हो रहा है?अभी कौन किसे सत्ता सौंप रहा है…?

छ्ग में सीमा तय,पर
आकाश तो हमारा है …?   

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अपने बयानों के साथ ही शौकीन अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं। बात चाहें उनके पहनावे की हो या सफर की,सभी जगह वो एक अलग ही छाप छोड़ते हैं। छ्ग के सीएम तो वो नहीं बन सके….? पर वे कहते हैँ कि आकाश की कोई सीमा नहीं होती है..? सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में वह पैराग्लाइडिंग और पैराजंपिंग करते हुए दिख रहे हैं। बता दें कि टीएस सिंहदेव इन दिनों ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने स्काई डाइविंग का आनंद लिया।मंत्री ने हजारों फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर रोमांचक स्काई डाइविंग काआनंद लिया। उन्होंने ऐसा करके यह साबित कर दिया कि एडवेंचर में उम्र कोई मायने नहीं रखती। सिंहदेव के अपने ट्विटर वीडियों में दिख रहा है कि वह हजारों फीट की ऊंचाई से छलांग लगाते हैं और फिर जमीन पर आते हैं। इस दौरान गाइड के सवाल पर कहते हैं कि यह उनके लिए बहुत सुखद अनुभव है, जिसे वह बार-बार करना चाहेंगे। सिंहदेव ने ट्वीट कर लिखा कि “आकाश की पहुंच की कोई सीमा नहीं होती”। मेरे पास स्काइडाइविंग करने का अविश्वसनीय अवसर था और यह वास्तव में एक असाधारण साहसिक कार्य था। यह एक बेहद अच्छा अनुभव था।

छ्ग में वनमैन आर्मी
भाई बृजमोहन….   

छ्ग में भाजपा के बड़े तथा वरिष्ठ नेताओं में बृजमोहन अग्रवाल की गिनती होती है। रायपुर विधानसभा के वे अपराजेय योद्धा हैं, उन्होंने आज तक कोई चुनाव नहीं हारा है? वो तो नंदकुमार साय (आजकल कॉंग्रेस में)को छ्ग का पहला नेता प्रतिपक्ष बनाने के विरोध के चलते नरेंद्र मोदी की नजर में आ गये हैं,खैर कर्नाटक हार के बाद अब छ्ग में अगले विस चुनाव में मोदी के साथ डॉ रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल को भी प्रमुख चेहरा बनाने की चर्चा शुरू हो गईं है.?आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस तकनीक से बनी यह कथित तस्वीर विधायक बृजमोहन अग्रवाल की है जो मीडिया में वायरल है वाकई में अगर सोल्जर होते तो ऐसे ही दिखते बृजमोहन…..?

जेल में व्हीआईपी के
लिये आरक्षण…. ?   

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सेंट्रल जेल में व्ही आईपी के लिये बैरकों का आरक्षण कर दिया गया है।बैरक नंबर दो की पहचान तो व्हीआइपी सेल के रूप में हो गई है। हाईप्रोफाइल आरोपितों के लिए बैरक नंबर एक से पांच को फिलहाल आरक्षित कर दिया गया है। महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द कहने वाले कालीचरण महाराज हों या फिर निलंबित आईपीएस जीपी सिंह, सभी को बैरक नंबर दो में रखा गया था। अब ईडी की गिरफ्त में आए आईएएस समीर बिश्नोई और कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को भी बैरक नंबर दो और तीन में रखा गया है। अब तो रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर भी यहीं पहुँच चुके हैं।उन्हें बैरक नंबर 5 में रखा गया है।वहीं कुछ लोगों का भी जल्दी ही जेल में पहुंचना तय है,इन बैरकों की यह खासियत है कि यहां आरोपियों को अकेले रहने दिया जाता है। इनको सुबह अखबार भी दिया जाता है। यही नहीं, यहां अलग से बाथरुम की व्यवस्था है और यह बैरक आम कैदियों के बैरक से काफी दूर अलग बनाया गया है।इधर चर्चित अफसर सौम्या चौरसिया को महिला जेल में एक अलग बैरक में रखा गया हैऔर एक महिला वार्डन उनके साथ अटैच है ?

और अब बस

0झिरमघाटी नक्सली वारदात में अब क़वासी लखमा,अमित जोगी,डॉ रमन सिंह, मुकेश गुप्ता आदि के नार्को टेस्ट की मांग जोर पकड़ रही है।
0छ्ग में 15 पुलिस अधिक्षकों का तबादला हो गया है वहीं 4आईजी सहित कुछ आईपीएस के प्रभार में जल्दी बदलाव हो सकता है।
0जैसे प्रधानमंत्री का रास्ता उप्र से होकर गुजरता है वैसे ही छ्ग की सरकार का रास्ता बस्तर से खुलता है।
0नेता प्रतिपक्ष भले ही नारायण चंदेल बन गये हैं पर धरमलाल कौशिक अभी भी फार्म में हैं?

 

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