नई दिल्ली : अपने ग्राहकों की सुविधाओं के लिए देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) आए दिन कोई न कोई एलान करता रहता है। साथ ही सुरक्षित बैंकिंग के नियों से भी ग्राहकों को अवगत कराता है। कोरोना काल में अब ज्यादातर लोग ऑनलाइन माध्यम से ही अपने कार्य पूरी कर रहे हैं। लेकिन बैंक के कई ऐसे नियम हैं, जिनका ग्राहकों को पालन करना जरूरी होता है। अगर ग्राहकों ने ऐसा नहीं किया तो उनका बैंक खाता इनएक्टिव भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कब इनऑपरेटिव होता है बैंक खाता?
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, जब किसी खाते में लगातार दो साल या उससे ज्यादा समय तक कोई लेन-देन नहीं होता है, तो वह खाता इनऑपरेटिव हो जाता है। यानी आप इस बैंक खाते से कोई भी लेनदेन नहीं कर पाएंगे।
बैंक में जमा पैसों का क्या होगा?
वहीं अगर ऐसा 10 साल तक होता है यानी अगर इनऑपरेटिव अकाउंट में भी 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं होता है, तो उसमें जमा पैसे और उसके ब्याज को एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर कर दिया जाता है। हालांकि, ऐसा करने से पहले बैंक अपने ग्राहक को सूचना देता है।
दोबारा कैसे एक्टिव होगा अकाउंट?
एसबीआई के अनुसार, इनऑपरेटिव बैंक खाते को दोबारा ऑपरेटिव करने के लिए आपको केवाईसी अपडेशन करना होगा। आपको सभी केवाईसी दस्तावेज बैंक में जमा करने होंगे। इसके अलावा ग्राहकों बैंक में जाकर एक डेबिट लेनदेन भी करना होगा।
ऐसी परेशानियों से बचने के लिए ग्राहकों को नियमित रूप से कोई ना कोई लेनदेन करते रहना चाहिए। अगर आपने लंबे समय तक बैंक खाता का इस्तेमाल नहीं किया है तो बैंक में जाकर इसे बंद करवा दें और उसमें जमा राशि निकलवा लें, वरना कुछ समय बाद वो राशि एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर हो जाएगी।