रायपुर : छत्तीसगढ़ के सियासी गर्माहट की आहट अब दिल्ली पहुँच चुकी है, एक दिन पहले गुरुवार की शाम प्रदेश के 30 विधायकों दिल्ली में दस्तक दे चुके हैं, वहीं 20 से अधिक विधायक आज दिल्ली में दस्तक देने वाले है. ये सभी विधायक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में दिल्ली पहुंचे है और इन्होंने कल देर रात कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अपने कई मंत्रियों के साथ दिल्ली रवाना हो गए है |
चर्चाएं हैं कि आज करीब 50 विधायक कांग्रेस हाईकमान से मिलने का प्रयास करेंगे, सीएम भूपेश बघेल ने भी दिल्ली जाने से पहले राहुल गांधी से मुलाक़ात की बात स्वीकारी है
ये विधायक और मंत्री पहुंचे है दिल्ली…
मंत्री डॉ शिव डहरिया, अमरजीत भगत, अनिला भेड़ियां, विधायक चन्द्र देव राय, इन्दरशाह मंडावी, बृहस्पत सिंह, कुलदीप जुनेजा, पुरषोत्तम कंवर, मोहित केरकेट्टा, शिशुपाल शोरी, विनय जयसवाल, प्रकाश नायक, द्वारकाधीश यादव, कुंवर सिंह निषाद, चिंतामणि महाराज, विनोद चंद्राकर, देवेन्द्र यादव, ममता चंद्राकर, शकुंतला साहू, आशीष छाबरा, यूडी मिंज, गुलाब कमरों, उत्तरी गनपत जांगडे, भुवनेस्वर बघेल, गुरुदयाल बंजारे, अनीता शर्मा, लक्ष्मी ध्रुव, रश्मि आशीष सिंह, विकास उपाध्याय, किस्मत लाल नन्द।
टीएस सिंहदेव ने अपने बयान से बढ़ाई हलचल…
दिल्ली में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने बड़ा बयान देकर हलचल मचा दी. उन्होंने कहा कि ढाई साल मुख्यमंत्री की बात तो पार्टी ने कभी नहीं कही है. ये बात मीडिया की कयासबाजी है. सिंहदेव ने तो यहां तक कह दिया कि जो जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान देगी, उसको निभाना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि कहा, “पार्टी में किसको क्या काम करना है, ये हाईकमान तय करता है. क्या कोई व्यक्ति टीम में खेलता है तो क्या कप्तान बनने का नहीं सोच सकता? कोई बनने की बात नहीं है, जो जिम्मेदारी मिले उसको निभाने की है. क्या भूपेश बघेल पचास साल, दस साल या दो साल भी सीएम रह सकते हैं? यह तय नहीं है. जो जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान देगा, उसको निभाना चाहता हूं.”
सोनिया गांधी- राहुल गांधी जब कहेंगे तब पद छोड़ दूंगा…
मुख्यमंत्री बघेल ने छतीसगढ़ पहुंचकर कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आदेश से वह इस पद पर आसीन हुए हैं और उनके कहने पर तत्काल इस पद को त्याग देंगे. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री पद के ढाई—ढाई वर्ष के बंटवारे का राग अलाप रहे लोग प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वह कभी सफल नहीं होंगे.