विश्वविद्यालय में बांग्ला भाषा में शिक्षा की मांग,मातृभाषा बांगला एवं शिक्षा संग्राम समिति ने निकाली रैली, लेखापाल को ज्ञापन सौंपा।

बिप्लब् कुण्डू,पखांजूर : मातृभाषा बांगला एवं शिक्षा संग्राम समिति ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं बंग्लाभाषा के माध्यम में प्राथमिक शाला में शिक्षा के मांग पर रैली पशचात अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कार्यलय लेखापाल के हाथों ज्ञपन सौंपा।कार्यक्रम का शुभारंभ कमेटी पदाधिकारी वुद्धिजीवी एवं उपस्थित अतिथियों ने शहीदों को नमन कर पुष्पार्पीत कर श्रद्धांजलि दिया हैं।

सभा का अभिवादन करते हुए निबास अधिकारी ने सभा का धन्यवाद करते कहां है कि आमजन देश की शासन की शोषण के खिलाफ में बलिदान देते है श्रमिक मजदूर किसान कर्मचारी आदि उनकी हक अदायगी आन्दोलन में बलिदान हुए है परंतु सिर्फ भाषा के खातिर बलिदान दे सकते हैं।यह सोच समझ से परे हैं ।उस नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए हजारों ने मातृभाषा बोलने लिखने पढ़ने सिखने के लिए जान कुर्बान कर दिया हैं।मातृभाषा बंग्लाभाषा को भुलाने एवं बंगाली समुदाय की बंग्लाभाषा ,उनकी सांस्कृतिक शिष्टाचार को जबरन पतन व लुफ्त करने के लिए।उनसे उनकी मातृभाषा बंग्लाभाषा को छिनने की बेतहाशा कोशिश की और उर्दू भाषा को तानाशाही रुप से जबरन थोपने के खिलाफ मातृभाषा सुरक्षित रगने का आन्दोलन क्रांतिकारी आन्दोलन में तबदील होगया।और सन 1971 में भाषा आन्दोलन जो क्रांतिकारी आन्दोलन सफल हुआ और नविन एक आजाद देश का सृष्टि हुआ। जो दुनिया का प्रथम भाषा के नाम पर बांग्ला देश है ।शहीद मीनार , ढाका मेडिकल कॉलेज कैम्पस, बांग्लादेश में स्थित शहीद स्मारक में 21 फरवरी 1952 पर बांग्ला (बंगाली ) भाषा के लिए बलिदान की स्मृति में शहीद स्मारक निर्मित हुआ है।बांग्लादेश में तब से मातृभाषा दिवस’ 21 फरवरी को मनाया जाता है। 17 नवंबर (नवम्बर), 1999 को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति दी।अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समस्त भाषा की सुरक्षा रखने का आधिकार का नाम अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से परिचय हुआ।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में समस्त भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा की से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस (बांग्ला भाषा आन्दोलोन दिवस) को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली।2008 को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है।भाषा आन्दोलन के ऐतिहासिक आन्दोलन से प्रेरणा लेकर एवं मातृभाषा में शिक्षा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350 (अ) के अनुसार यह प्रावधान है शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुभाग 29 (2) के अनुसार शैक्षणिक संस्थाओं से मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का उल्लेखित हैं।

छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शालाओं में मातृभाषा बंग्लाभाषा माध्यम में शिक्षा प्रदाय का मांग वर्षों से कर रहे थे ।छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शालाओं में मातृभाषा बंग्लाभाषा माध्यम में शिक्षा प्रदाय का मांग शासन – प्रशासन ने 2019-2020 द्वारा पहली एवं दुसरी कक्षा की शीक्षा देना प्रारंभ किया।बंग्लाभाषा-भाषी एवं बंगाली समुदाय के हित में सरकार की अहम कदम उठाने का निर्णय को समिति ने धन्यवाद ज्ञापित किया और शासन- प्रशासन से मांग किया है कि 2021-2022की शैक्षणिक वर्ष में प्राथमिक स्तर की तिसरी ,चौथी, पांचवीं आदि कक्षाओं में बंग्लाभाषा कि किताबें छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की प्रकाशन में प्रकाशित कर शिक्षा दिया जाए।मातृभाषा एवं बांग्लाभाषा में पढ़ाने के लिए स्थानीय बोली भाषा शिखाने की शिक्षकों कि नियुक्त किया जाए।तमाम भाषाओं की स्तरों में दुनिया में बंग्लाभाषा का अलग एवं महत्वपूर्ण स्थान है ।रविन्द्रनाथ टैगोर ने राष्ट्र गान एवं बंकिमचन्द्र चटर्जी राष्ट्र गीत को बंग्ला भाषा में लिखा। इस मद्देनजर से हिन्दी और बांग्लाभाषा पुस्तक को एक साथ जोड़ने के बजाए बांग्लाभाषा की पुस्तक को अलग हिंदीभाषा पुस्तक अलग मुद्रित किये जाए।
महाराष्ट्र की विश्वविद्यालय के तर्ज पर छत्तीसगढ़ की विश्वविद्यालय में भी बांग्लाभाषा में स्त्नातक स्तर की शिक्षा प्रदाय करने की व्यावस्था किया जाए।देश के विभिन्न राज्यों एव विश्व के विभिन्न देशो की भांति छत्तीसगढ़ में बांग्लाभाषा में शिक्षा प्रदाय करने का बंग्ला बोर्ड का गठन किया जाये।शिक्षा प्रणाली में पास – फेल प्रणाली की व्यवस्था पुनः लागू किया जाए आदि मांग किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुमेधा, दीया, तनीषा, शिल्पा, भूमिका, मधुलका,माही, रिया, इशिका, अनामिका, दिशा, एकता, अनीशा, अंकिता, , प्रताप, अंशु, प्रियांशी, रितिका आदि ने देश भक्ति गीत, प्रेरणादायक गीत एवं रविन्द्र संगीत आदि गीतो पर नृत्य कि प्रस्तुति दिया। जयंत ढाली, कृत्तिका सिकदर संगीत की प्रस्तुती दिया ।मनमोहन मल्लिक, कवि ब्रजलाल साना आदि ने कविताएं पाठ किऐ।तपन रॉय, बिधान चंद्र ब्रह्मचारी, भूपति मंडल, बुद्धदेव सरकार, शिखा पांडे, आलोक विश्वास, आदि ने सभा को सम्भोदित किया।समिति अध्यक्ष अजीत मिस्त्री, संयुक्त सचिव मनमोहन मल्लिक, चंचल हलधर, कार्यालय सचिव आलोक विश्वास, सक्रिय सदस्य निबास अधकारी, नितीश पटारी, तरुण सरकार, प्रसनजीत मंडल, ब्रजलाल सना, मिहिर रॉय, ज्योत्स्ना अधिकारी, मनमोहन साहू, श्रीनिवास साहा, नंदलाल शील, अनिमेष बिस्वास, सदानंद विश्वास आदि प्रेरणा स्रोत कर्ता गोकुल मंडल, हल्लम राय, नालम रॉय, नाल रॉय ,जे.सी. मल्लिक, माधव रॉय, शांति रंजन दत्त, रवींद्रनाथ मिस्त्री, भूपति मंडल, अविनाश सरकार, नित्या मंडल, अजीत मंडल आदि । सांस्कृतिक कार्यक्रम का सुभारम्भ भाष शहीद आन्दोलन के शहीदों को याद में शहीद स्मारक पुष्पार्पीत समिति अध्यक्ष अजित मिस्त्री, संयुक्त सचिव मनमोहन मल्लिक ,चंचल हालदार ,कार्यालय सचिव आलोक विश्वास,उप सचिव खगेन्द्र नाथ मण्डल कोषाध्यक्ष ऋषिकेश मजूमदार, बुद्धिजीवी भूपती मण्डल, तपन राय,परितोष मण्डल, समित्र सरकार, जगदीश चक्रवर्ती, प्रणव किर्यनिया,बासुदेव विश्वास, तारक डे आदि उपस्थित जने ने श्रद्धांजलि दिया हैं।

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