रायपुर: झीरम घाटी संयोजक दौलत रोहड़ा ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को NIA जिसका अपराध से संबंधित क्र. RC 06/2013 NIA/DLI जांच से संबंधित दस्तावेज को SIT देने के लिये पत्र लिखा है।
पत्र में कहा है कि विगत 8 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमला हुआ था, जिसमें शहीद होने वालों में कांग्रेस पार्टी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री पं. विद्याचरण शुक्ल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल , महेन्द्र कर्मा सहित 27 लोगों की हत्या कर दी गई थी व कई घायल हुए थे। इसकी जांच उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एनआईए के द्वारा जांच के निर्देश दिए थे जो घटना के कुछ दिनों बाद दिनांंक 5.6.2013 से जांच करने छत्तीसगढ़ जगदलपुर के वन विभाग के रेस्ट हाउस को अपना कार्यालय बना कर जांच शुरू की थी।
मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि एनआईए ने अपना पहला आरोप पत्र उच्चन्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में 23.09.2014 को प्रस्तुत किया है व 16.9.2015 को अपनी आखरी पत्र भी पेश कर दिया है, जो संपूर्ण नहीं थी। क्योंकि हमारा आरोप है कि झीरम घाटी एक राजनीतिक साजिश थी और एनआईए द्वारा न हम लोगों और न घायल परिवार से पूछताछ की गई और न ही जमीनी स्तर में जांच की गई थी।
उन दिनों हम सब पीड़ित परिवार बहुत दुखी हो गए व जांच की मांग को लेकर भटकते रहे। दिनांक 16.4.2016 को तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का रायपुर प्रवास हुआ था हम पीड़ित परिवार उनसे मिलकर सीबीआई जांच की मांग के लिए समय मांगा था। लेकिन हमें नहीं मिलवाया गया तो हमने उनको देने वाला मांग पत्र जिलाधीश को सौंपा था।
जिसके बाद विधानसभा में भी सीबीआई जांच की मांग विपक्षी दल कांग्रेस के द्वारा उठाई गई थी परंतु उस पर भी कुछ नहीं हुआ। साल 2019 दिसंबर को कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनी तो झीरम घाटी की जांच जो एनआईए ने पूरी कर ली थी जिसमें सच सामने लाने में असफल रही थी उसके लिए एसआईटी का गठन फरवरी 2020 में किया गया। लेकिन एनआईए के द्वारा जांच के दस्तावेज न देने के कारण जांच शुरू नहीं हो पाई है।
अतः हम सभी झीरम घाटी छत्तीसगढ़ नक्सली हमले के शहीदों व घायलों के पीड़ित परिवार आपसे मांग करते हैं कि उपरोक्त विषयांकित संदर्भ में एनआईए इस जांच के दस्तावेज एसआईटी को दे ताकि झीरम घाटी का सच जनता के सामने व देश के सामने आ सके हमें न्याय मिले व षडयंत्रकारियों को सजा मिल सके।