रणजीत भोंसले ( वरिष्ठ पत्रकार / मास मीडिया एक्सपर्ट ) क्या किसान सिर्फ उसे ही कहा जायेगा जो #धान उगाता है । सच तो ये है कि ज्यादातर छोटी छोटी जमीनों पर #सागसब्जी उगाने वाला भी किसान है और जरूरतमंद #किसान है तभी वो अपने परिवार जिसमे बड़े बूढ़े से बच्चो तक को लेकर । सुबह से शाम ढले तक कमर झुका कर काम करता है ।
इतनी मेहनत धान उगाने वाला किसान नही करता ना उसकी फसल में इतना #रिस्क है जितना सब्जी उगाने वाले किसानों की फसल को मौसम का होता है ।
मज़ाक बना लिया गया है #छत्तीसगढ़ के #अधिकारियों ने इन किसानों को मज़ाक बना लिया है और खुद किसान रहे #नेता जब चुनाव जीत कर सत्तासुख लेते है उस वक्त वो भी इन किसानों की पीड़ा भूल जाते है ।
पता है क्यो ?
क्योकि सब्जी उगाने वाले मेहनती किसान कम है बनिस्बत धान उगाने वाले मजबूत अर्थव्यवस्था के मालिक किसानों से ।
तो जाहिर है #वोटबैंक के मामले में सब्जी उत्पादक किसान की गिनती ही नही । इसलिए उन्हें ना तो #KCC का लाभ मिल पाता है ना ही #MSP का लाभ मिल पाता है और ना ही ये छत्तीसगढ़ सरकार जो योजना चला रही उसमे इन्हें कोई फायदा है ।
धान उगाने वाला तो साल में एक बार #सहकारीमंडी में धान तौला कर रुपये गिन लेता है लेकिन अपने सर पर उठा कर साल भर #सब्जीउत्पादक #छोटाकिसान दर दर #बाजार बाजार घूमते रहता है जहां उसकी नहीं बाजार की आवश्यकता के अनुसार सब्जी का रेट तय होता है ये हर कोई जानता है लेकिन किसी को दिखता नहीं ये शर्म की बात है ।
सीधी सी बात है कि #छत्तीसगढ़सरकार जो धान उगा रहे उन्हें ही लाभ दे रही उसका नाम चाहे वो जो भी दे ।
जो किसान सब्जी उगा रहे उन्हें तो इस बारिश में #बाढ़ से फसल नुकसान की जो हर साल थोड़ा बहुत #बाढ़राहत की सहायता राशि मिलती थी वो भी नही मिल पायी है ।
हमारे देश के अधिकारी कर्मचारीयो को इससे कोई मतलब नही।
ना तथाकथित #नेताओ को इससे मतलब है बल्कि कई तो ऐसे है जो उन किसानों की बदहाली पर अपना भविष्य देख रहे कि कब इनकी जमीन बिके तो खरीदे य्या अपने भाई बन्धुवों के माध्यम से #दलाली करवाये।
रही बात #मीडिया की तो जो #पत्रकार अपने खुद के मेहताना के लिए अपने #मालिक #प्रेसमालिक और इनका खर्च चलाने वाले दोनों प्रकार के मालिकों से कुछ बोल नही सकते वो खाक इनकी आवाज़ उठाएंगे ?
उसके बाद #सोशलमीडिया के हम जैसे #स्वघोषितपत्रकार तो घण्टा घर मे तो बीबी बच्चे बेरोजगार हो समझ के सुनते नहीं सरकार क्या खाक सुनेगी ?
( ये लेेेखक के निजी विचार हैं )