मुंबई : शिवसेना पार्टी को आज 55 साल पूरे हो गए। आज के ही दिन यानी 19 जून को साल 1966 में बाला साहेब ठाकरे ने अपनी राजनीतिक पार्टी शिवसेना की नींव रखी थी। उन्होंने मराठी लोगों के अधिकारों के संघर्ष के लिए इस पार्टी का गठन किया गया। बाला साहेब खुद कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन वर्तमान में महाराष्ट्र में शिवसेना की गठबंधन सरकार है और उनके बेटे उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं।
बाला साहेब ने मार्मिक’ नाम से अखबार शुरू किया…
शिवसेना पार्टी के गठन से पहले बाला साहब ठाकरे एक अंग्रेजी अखबार में कार्टूनिस्ट हुआ करते थे। उनके पिता ने मराठी बोलने वालों के लिए अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। तब बाला साहेब ने भी बॉम्बे में दूसरे राज्यों के लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ‘मार्मिक’ नाम से अखबार शुरू किया था। अखबार में बाला साहेब भी इस विषय पर खूब लिखते थे।
मराठी मानुष के मुद्दे से हटकर हिंदुत्व की राजनीति…
बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना के गठन के समय नारा दिया था, ‘अंशी टके समाजकरण, वीस टके राजकरण।’ अर्थात 80 प्रतिशत समाज और 20 फीसदी राजनीति। अपने गठन के कुछ साल बाद ही शिवसेना काफी लोकप्रिय हो गई थी। हालांकि, महाराष्ट्र के मूल निवासियों के मुद्दे की वजह से दूसरे राज्यों से व्यापार करने महाराष्ट्र आए लोगों पर काफी हमले भी हुए। धीरे-धीरे पार्टी मराठी मानुष के मुद्दे से हटकर हिंदुत्व की राजनीति करने में लगी।
पार्टी ने लड़ा पहली बार चुनाव…
शिवसेना ने वर्ष 1990 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इसमें 183 में से पार्टी के 52 प्रत्याशियों को जीत मिली थी। इससे एक साल पहले वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में पहली बार शिवसेना का कोई नेता जीतकर संसद पहुंचा था। बॉम्बे नॉर्थ सेंट्रल सीट से जीते विद्याधर संभाजी गोखले शिवसेना के पहले सांसद थे।
‘किंग मेकर का बेटा बना किंग‘
शिवसेना के इस समय लोकसभा में 18 सांसद हैं। बाला साहेब ने खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। ठाकरे 90 के दशक में महाराष्ट्र की राजनीति में किंगमेकर रहे थे, लेकिन वर्ष 2019 में उनका परिवार किंगमेकर से किंग की भूमिका में आ गया। बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और पोते आदित्य ठाकरे ने विधानसभा चुनाव लड़ा।