तभी तक पूछे जाओगे जब तक काम आओगे… चिरागों के जलते ही… बुझा दी जाती है तिलियाँ…

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )      

भूपेश बघेल और टी एस बाबा सिंहदेव का यह फोटो संभवत: पिछले विधानसभा चुनाव के समय का है। छग के आदिवासी अंचल बस्तर के चित्रकूट जलप्रपात में भूपेश बैठे हैं और बाबा साहब खड़े हैं, इस फोटो में ही एक संदेश दिख रहा है कि भूपेश बैठे रहेंगे, बाबा साहब को खड़े ही रहने पड़ेगा … यह फोटो वर्तमान राजनीतिक हालात में सटीक लगता है। बहरहाल प्रसिद्ध लेखक शरद जोशी ने कहा था कि मुख्यमंत्री तीन किस्म के होते हैं … चुने हुए मुख्यमंत्री…रोपे हुए मुख्य मंत्री …तथा जो इन दोनो की लड़ाई में बन जाते हैं ….. छग के मुख्य मंत्री भूपेश बघेल चुने हुए हैं। एक नेता रोपे जाने की तैयारी में हैं या थे….वहीं दोनों की लड़ाई में तीसरे भी सीएम बनाने तैयार बैठे थे …. पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के अंदरूनी विवाद का नतीजा किस करवट बैठेगा, इसके संकेत अब मिलने लगे हैं। मुख्यमंत्री पद को लेकर सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच जारी झगड़े के बीच कांग्रेस आलाकमान के हालिया फैसलों से यह अंदाजा लग रहा है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना कम होती जा रही है….?भूपेश बघेल को कांग्रेस आलाकमान ने पहले उप्र विधानसभा चुनाव के लिए सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया। बाद में उन्हें हिमाचल प्रदेश में होने वाले उपचुनावों के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी शामिल किया गया। उन्हें इस लिस्ट में पहले नंबर पर रखा गया है। इन सबके बीच उप्र के लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई हिंसा के मामले में वे कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों में भी सबसे आगे खड़े दिखे। उप्र पहुंचने वाले कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों में वे सबसे आगे थे।मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक रहे सिंहदेव जहां रायपुर में बैठकर ट्वीट करते रहे, बघेल यह जताने में सफल रहे कि पार्टी आलाकमान का भरोसा उन्हें हासिल है। पार्टी विधायकों के बहुमत का समर्थन उन्हें पहले से ही हासिल है और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने वे इसका प्रदर्शन भी कर चुके हैं। उनके साथ 52 विधायक कुछ भी करने को तैयार हैं ….?ऐसे में सिंहदेव के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।सिंहदेव सीएम पद के लिए ढाई साल के कथित फार्मूले का हवाला देते हुए इस पर अपना दावा जता रहे हैं लेकिन उन्हें खुद भी यह अंदेशा है कि हालात उनके अनुकूल नहीं हैं…..! हाल ही में सिंहदेव का बयान भी यही इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा है कि परिवर्तन इतना आसान नहीं होता। किसी भी फैसले से पहले आलाकमान को हर पहलू का आकलन करना होता है। सिंहदेव भी समझने लगे हैं कि बघेल को गांधी परिवार का विश्वास हासिल है। ऐसे में यह संभावना बेहद कम है कि बघेल को सीएम पद से इस्तीफा देने को कहा जाएगा।

अखंड भारत निर्माण के दो योद्धा….    

31नवंबर का दिन…. सरदार पटेल की जयंती और इंदिरा गांधी का शहादत दिवस… केंद्र शासित भाजपा और उनके शासित राज्यों में सरदार पटेल को याद किया गया पर इंदिरा जी की अपेक्षा की गई क्यों….? जाहिर है कि सरकार समर्थक कुछ मीडिया समूह ने भी ऐसा ही आचरण दिखाया… नेहरू पर पाकिस्तान बनाने का आरोप मढ़ने वाले यह भी भूल गए कि इन्दिरा गांधी ने उसी पाक के दो टुकड़े कर बांग्ला देश बना दिया, खैर यह छोटी मानसिकता ही कही जाएगी…
एक लौह पुरुष थे, तो एक आयरन लेडी थीं। दोनों में समानता इस बात की थी कि दोनों ने अखण्ड भारत के निर्माण में अपना महती योगदान दिया।
सरदार बल्लभ भाई पटेल महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महात्मा गांधी के परम प्रिय सलाहकार थे। महात्मा गांधी के हर आंदोलन के आयोजक वही थे। छोटे-बड़े रियासतों को एक कर भारत भूभाग में सम्मिलित कराने का श्रेय सरदार पटेल को ही जाता है। बारडोली सत्याग्रह के बलबूते किसानों को उनका हक दिलवाया। अपने निर्णय पर अडिग रहने वाले सरदार पटेल को हृदय की गहराइयों से नमन….।
अपने फैसले पर अडिग रहने वाली दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब देने वाली भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश की एकता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिया। बोडोलैंड और खालिस्तान की मांग करने वालों से डटकर मुकाबला किया पर झुकी नहीं। 1971 में भारतीय सेना को लाहौर और कराची में घुसा दिया। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर डाले और अलग बंग्लादेश का निर्माण कराया। देश में बैंकिंग प्रणाली, नहर परियोजना और हरित क्रांति की मजबूती प्रदान कर उसे मूर्त रूप दिया। ऐसी महान शख्शियत इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस पर हम उन्हें हृदय की गहराइयों से स्मरण करते हैं।

उप चुनावों में भाजपा की हालत….     

देश की 3 लोकसभा सीटों और 29 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में गैर भाजपा शासित राज्यों में तो सत्तारुढ़ पार्टियों का दबदबा कायम रहा, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में अपने ही उम्मीदवारों को भाजपा आसानी से जीत नहीं दिलवा पाई।गौरतलब है कि ये चुनाव उस वक्त हुए जब देश में ये माहौल बनने लगा है कि केंद्र और कई राज्यों की सत्ता पर बैठी भाजपा के लिए अब हालात कठिन हो रहे हैं….। किसान आंदोलन पर तो भाजपा घिरी ही हुई है, इसके साथ ही महंगे पेट्रोल-डीजल, कमरतोड़ महंगाई, कोरोना का डर और पेगासस जासूसी कांड के बीच मोदी सरकार फंस सी गई है। हिंदु मुसलमान या हिंदुत्व का जादू अब चल नही रहा है।शायद भाजपा इसी मुगालते में रहती है कि उसे अब हराना मुश्किल है। लेकिन उपचुनावों के नतीजे कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। दादरा और नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश की मंडी और मध्यप्रदेश की खंडवा – इन लोकसभा सीटों में केवल खंडवा भाजपा के पास गई, मंडी में कांग्रेस की जीत हुई और दादरा और नगर हवेली में शिवसेना ने बाजी मारी। पश्चिम बंगाल में तो चारों सीटों पर टीएमसी ने आसान जीत दर्ज की है।
राजस्थान में दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ। महाराष्ट्र भी कांग्रेस के खाते में गई। बिहार में जदयू ने बाजी मारी। लेकिन असम, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा इन भाजपा शासित राज्यों में भाजपा उम्मीदवारों के लिए मुकाबला आसान नहीं रहा। असम में भाजपा ने पांच में से तीन सीटें जीतीं, जबकि छह महीने पहले ही भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर दूसरी बार सरकार बनाई थी। हरियाणा में किसान आंदोलन का नतीजा भाजपा को भुगतना पड़ा और इनेलो के प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला ने जीत हासिल की। हिमाचल प्रदेश की तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में गईं, जबकि कर्नाटक की दो सीटों में एक पर कांग्रेस जीती और सत्तारुढ़ भाजपा को एक पर जीत मिली। मध्यप्रदेश में 3 में से 2 सीटों पर भाजपा का कब्जा हुआ, एक सीट कांग्रेस को मिली। आंध्रप्रदेश में वायएसआरसीपी, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट, नागालैंड में एनडीपीपी की जीत हुई, मेघालय में दो सीटें नेशनल पीपुल्स पार्टी और एक सीट यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को मिली। जबकि तेलंगाना में भाजपा को जीत हासिल करने में सफलता मिली। तो कुल मिलाकर भाजपा को सात और जदयू की दो सीटें जोड़ लें, तो एनडीए को 9 सीटें मिलीं हैं, जबकि 20 सीटें दूसरे दलों के पास गई हैं। ये उपचुनाव सत्ता के क्वार्टर फाइनल जैसे हैं और इसमें मुकाबला जितना दिलचस्प रहा है, वैसा ही रोचक सेमीफाइनल यानी विधानसभा चुनाव भी रहेगा। जिसमें हिंदू-मुस्लिम की जगह जब असल मुद्दे सत्ताधारियों के सामने खड़े होंगे और उनके लिए टिकना आसान नहीं होगा।

महंगाई के साये में सहमी हुई दिवाली….      

दीपावली इस साल किसी तरह महंगाई के बीच निपट ही गई, पेट्रोल पर 30 और डीजल पर कोरोना काल में 33 रूपये लीटर की वृद्धि की गई है और अब 5रु पेट्रोल और डीजल पर 10रु की कमी कोई राहत नहीं है, हां कुछ भाजपा तथा समर्थक राज्यो में भी छूट दी गई है…. पर क्या गारंटी है कि 35पैसे लीटर लगभग रोज नही बढ़ेगा….?आजकल देश में हर तरफ महंगाई की चर्चा है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सब्जियों, दालों और अन्य रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। बहुत से लोगों के सामने संकट जैसे हालात पैदा हो गए हैं। खासकर मध्यवर्गीय परिवारों का, जिन्हें सरकार की तरफ से कुछ भी मुफ्त नहीं मिल रहा है, चाहे वह अन्न हो, सबसिडी, बिजली या फिर अन्य दूसरी चीजें। केंद्र और राज्य सरकारें भी महंगाई कम करने के लिए कोई खास रुचि नहीं दिखा रही हैं। मुफ्तखोरी का लालीपाप एक वर्ग को दे रही हैं। हर कोई किसी न किसी रूप में सरकारी खजाने में कर जमा कराता है, लेकिन इनमें से बहुत से महंगाई का दंश झेल रहे हैं। सरकारों को रोजमर्रा इस्तेमाल की वस्तुओं के दाम जल्द से जल्द कम करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि देश के हर वर्ग को महंगाई से राहत मिले पर प्रधान मंत्री मोदी से कौन भाजपा नेता यह कहने की हिम्मत करेगा….?महगाई डायन खाय जात है… पैट्रोल , डीजल, रसोई गैस,दाल, तेल, साग भाजी, सोना चांदी, बिजली, मोबाइल, रिचार्ज , मिठाई, नमकीन सभी महंगा, मकान निर्माण में लोहा, रेत, ईंट सीमेंट की कीमत बढ़ी….!बैंक में एफडी में ब्याज दरें कम, मोदी और उनके कट्टर समर्थक चुप, भाजपा के कुछ लोग तो कहते हैं कि महंगाई बढ़ी है तो लोगों की आमदनी भी बढ़ी है…. कैसे ?इसका जवाब नहीं देते हैं…. ?कोरोना में बेरोजगारी बढ़ी है यह किसी से छिपा नहीं है…. कोरोना वैक्सीन मुफ़्त, 5किलो आनाज मुफ्त…. इसलिए पैट्रोल, डीजल महंगा…. यही जवाब पेट्रोलियम मंत्री का जवाब है…..

और अब बस….
0आईपीएस उदय किरन के खिलाफ़ महासमुन्द थाने में जुर्म दर्ज….
0 रमन सिंह और भूपेश बघेल के बीच राजनीति की एबीसीडी सिखाने को लेकर आरोप प्रत्यारोप शुरू….
0नक्सल आपरेशन के एडीजी बने विवेकानंद, वहीं दुर्ग आईजी बने ओपी पाल…. कहीं यह पुलिस मुख्यालय में बड़े बदलाव का संकेत तो नही है….?
0 छग में पुलिस मुख्यालय सहित कुछ जिलों के एसपी बदले जाने की भी चर्चा तेज है….?

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