शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
खैरागढ़ में यशोदा वर्मा लोधी क़ी 20हजार से अधिक मतों से जीत के बाद कॉंग्रेस विधायकों की संख्या अब 71हो गईं है पर अभी रिकॉर्ड टूटा नहीं है।1977में आपातकाल क़े बाद 1980 क़े विधानसभा चुनाव में (तब मप्र का हिस्सा )कॉंग्रेस को छ्ग में 77सीटों पर जीत मिली थी तो भाजपा को 6सीटों से संतोष करना पड़ा था वहीं वर्तमान में 14सीटों पर भाजपा क़े विधायक हैं।…भूपेश बघेल की अध्यक्षता में पिछले आम चुनाव में कांग्रेस को 68सीटों पर जीत मिली थी वहीं 4 विस उप चुनाव में भी कॉंग्रेस ने अपनी जीत दर्ज की है।मरवाही, खैरागढ़ की सीटें जोगी कॉंग्रेस से छीनी है। मरवाही से पूर्व मुख्य मंत्री अजीत जोगी की मृत्यु से सीट रिक्त हुई थी। यह सीट लगातार जोगी परिवार क़े पास ही रही थी। अजीत जोगी, अमित जोगी इस विस सीट से जीतते रहे थे।वहीं खैरागढ़ विधानसभा सीट जोगी कॉंग्रेस क़े देवव्रत सिंह क़े निधन क़े कारण रिक्त हुई थी। वैसे यह कॉंग्रेस की परम्परागत सीट रही है। यह सीट राजनांदगांव लोकसभा क़े अंतर्गत आती है। वर्तमान में यहाँ भाजपा क़े संतोष पांडे लोस सदस्य हैं तो पहले पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह तथा उनके पुत्र अभिषेक सिँह लोक सभा सदस्य रह चुके हैं।दंतेवाड़ा विधानसभा से भाजपा क़े भीमा मंडावी विजयी हुए थे। नक्सली द्वारा उनकी हत्या क़े कारण यह सीट रिक्त हुई थी। उप चुनाव में कॉंग्रेस की देवती कर्मा यहां विजयी हुई थी वहीं चित्रकूट से कॉंग्रेस के विधायक दीपक बैज क़े सांसद बनने क़े बाद उप चुनाव में फिर कॉंग्रेस की झोली में गईं थी।इस तरह 71विस में कॉंग्रेस का कब्ज़ा हो गया है वहीं 15साल तक छ्ग में सरकार बनाने वाली भाजपा 14 सीटों में सिमट गईं हैं फिर भी छ्ग को कॉंग्रेस मुक्त बनाने का नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक का दावा हास्यास्पद ही लगता हैं……?छत्तीसगढ़ में 15 साल से जमी भाजपा की सरकार को 15 सीटों में सिमटाकर 68 सीटें जीतकर कांग्रेस की सरकार बनाने का श्रेय बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नाम ही दर्ज हो गया है। वे ही छग के मुख्यमंत्री भी बने हैँ । पर डॉ. रमन सिंह तथा छग के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जोगी कांग्रेस से दो तरफा हमले के बीच कांग्रेस को 68 सीटें (उपचुनाव के बाद 71) जिताना बड़ी उपलब्धि तो रही साथ ही देश में कॉंग्रेस की मौजूदा हालात में छ्ग में रिकार्ड भी बना….l छत्तीसगढ़ में मप्र के लिए हुए चुनाव के छ्ग क़ी पहली सरकार बनी तब कांग्रेस के 48 विधायक थे बाद के डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में 3विस चुनावों मे भाजपा के क्रमशः50,50,49 विधायक बने,वहीं पिछले 3 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 10 तथा कांग्रेस को एक ही सीट मिलती थी। वहीं वर्तमान लोस में मोदी की आंधी व्हाया पुलवामा व्हाया पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राईक के बीच छग में 2 लोकसभा सीटें मिली है। इसके एक बस्तर से दीपक बैज तथा कोरबा से ज्योत्सना चरणदास महंत की जीत भी हुई है जबकि पिछले लोस चुनाव में राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया (अब भाजपा में) जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गये हैं। एक बात उल्लेखनीय है कि बस्तर एवं सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा का कोई भी वर्तमान में विधानसभा का सदस्य नहीं है यानि बस्तर-सरगुजा भाजपा मुक्त हो गया है।अब खैरागढ़ को जिला बनाने क़ी घोषणा कभी भी हो सकती है।
बिम्बाजी भोसले की समाधि और सीएम की घोषणा…..
छत्तीसगढ़ क़े मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महासमुंद जिले क़े नर्रा गांव में स्थित छ्ग क़े पूर्व प्रशासक बिम्बाजी भोसले क़े समाधि स्थल और सती चौरा क़े सौन्दर्यीकरण क़ी घोषणा क़ी है… कौन थे मराठा प्रशासक बिम्बाजी भोसले और छ्ग क़े नर्रा गांव से क्या था उनका सम्बन्ध…..छ्ग में मराठो का भी शासन था जो नागपुर से संचालित होता था।1758 में बिम्बजी ने व्यवस्था बदली थी। रतनपुर और रायपुर का एकीकारण किया, यहाँ क़ी सामाजिक,संस्कृतिक और राजनीतिक दशा – दिशा बदली और कल्याणकारी नीतियाँ भी बनाकर नया रूप भी गढ़ा था।छत्तीसगढ़ में सबसे छोटी जमींदारी थी नर्रा। वर्तमान में यह ओडिशा से सीमा से लगा हुआ एक छोटा सा गांव है जो रायपुर से 120 किमी की दूरी पर स्थित है। बताते हैं कि अपने शासनकाल में सन 1787 में बिम्बाजी भोसले यहीं नर्रा में आकर रुके थे । उसके साथ उसकी तीन में से दूसरी पत्नी उमादेवी भी थी। यहां से 80 किमी उत्तर में पाइकमाल के पास संभवतः किसी विद्रोह को दबाने वह वहां गये थे जहां संघर्ष में उन्हें जहर लगा तीर लग गया….। घायल बिम्बाजी को नर्रा लाया गया। उपचार के बाद भी वउन्हें नहीं बचाया जा सका और उसका अंतिम संस्कार वहीं नर्रा गांव में ही कर दिया और इस बाबत एक चिट्ठी नागपुर लिखकर भेजी गयी। बताया जाता है कि यह चिट्ठी अभी पुणे संग्रहालय में है। अंतिम संस्कार किसी पंडित ने करवाया था और यह चिट्ठी भी उसी ने लिखी थी?आज क़ी स्थिति में नर्रा में बिम्बाजी भोसले की यह समाधि 15 फ़ीट की लंबाई चौड़ाई का ध्वस्त स्मारक है। इस समाधि पर बिम्बाजी भोसले की तलवार को उल्टा करके गाड़ा गया है जिसकी पीतल की मूठ दिखाई देती है।इस घटना में एक घटना यह भी है कि यहां उसकी पत्नी उमादेवी भी उसके साथ सती हो गयी थी ! नर्रा में गड़ा सती स्तम्भ उसका प्रमाण है।
राज्यसभा….. दो महंतों की चर्चा तेज….
छत्तीसगढ़ क़े विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत ने फिर दोहराया है कि उनकी अंतिम इच्छा राज्यसभा में जाने की है। हालांकि उनके बारे में कांग्रेस हाईकमान को निर्णय लेना है। उनकी वरिष्ठता तथा मुख्यमंत्री क़े प्रमुख दावेदारों में भी एक होने क़े कारण सीएम भूपेश बघेल को भी राज्यसभा भेजनें में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए पर डॉ महंत को राज्यसभा में भेजनें का मतलब है फिर विधानसभा का फिर एक उप चुनाव…….।छग में भूपेश की सरकार बनने क़े बाद लोकसभा चुनाव, नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव, कोरोना का लगभग 2साल का प्रभाव, विधानसभा क़े 4उप चुनाव भी हुए। डॉ महंत को राज्यसभा में भेजना मतलब फिर एक विस उपचुनाव…..बस यही महंत क़े पक्ष में नहीं जा रहा है ….। जून में रास से कांग्रेस की छाया वर्मा और भाजपा से रामविचार नेताम की सीट खाली हो रही है, इस बार विस में संख्याबल क़े आधार पर दोनों रास सदस्य कांग्रेस क़े बनेंगे… छाया फिर एक बार रास में जाने उत्सुक है तो महंत रामसुंदर दास भी उम्मीद से हैँ वहीं सीएम क़े एक करीबी पिछड़ावर्ग क़े नेता का भी नाम उछल रहा है…. वैसे महिला तथा आदिवासी कोटे से रास में छ्ग से फूलोदेवी नेताम नेतृत्व कर रही हैं इसलिए पिछड़ा और सामान्य वर्ग की राह आसान हो सकती है… खैर अंतिम निर्णय सीएम की सलाह पर कांग्रेस हाई कमान को ही लेना है….?
बुलडोजर का कानून और आईपीसी….
उत्तर प्रदेश क़े बाद छ्ग के पड़ोसी राज्य मप्र में भी गैरकानूनी ढंग से बुलडोजर का इस्तेमाल कर सस्ती लोकप्रियता का प्रयास हो रहा है। बुलडोजर का प्रदर्शन और प्रयोग हो रहा है। सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या प्रशासन के पास किसी आरोपी के घर बुलडोजर चलाने का अधिकार है…..? वैसे देश में कहीं भी किसी आरोपी का घर गिराने जैसा क़ानून नहीं है। चलो माना कि आरोपी आदतन अपराधी है तो उसके निर्दोष घरवालों को सड़क पर लाने के लिए कौन जिम्मेदारी लेगा…. बुलडोजर की अवैधानिक पुलिस कार्यवाही अब कानूनी मर्यादा भी लाँघने लगी है। आरोपी को सजा दिलाने के लिए इंडियन पैनल कोड है, दोष और सजा दिलाने अदालत हैँ……। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा या निर्माण पर बुलडोजर चलाना समझ में आता है पर किसी भी आरोपी के घर पर यह कहकर बुलडोजर चलाना कि यह पाप क़ी कमाई योजना से बनाया गया है….? यह किस आधार पर तय किया जाता है।मप्र खरगौन में तो पीएम आवास योजना में बने मकान पर भी बुलडोजर चला क्या वह निर्माण भी अवैध था.. ? अब तो लगता है कि अदालत का काम भी राजनीतिक दबाव में सरकारी अमला कर रहा है…. वैसे ज़ब कोई अदालत जाएगा तभी इस तरह क़ी कार्यवाही पर विराम लगेगा ऐसा लगता है।
और अब बस
0 खैरागढ़ उप चुनाव क़े बाद 2मई से सीएम का सभी 90विस में मेराथन दौरे क़े बाद एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल के संकेत मिले हैं….
0आगामी विस चुनाव में निगम, मण्डल क़े ब्राम्हण पदाधिकारियों क़े लिए ब्राह्मण मतदाताओं को साधना बड़ी चुनौती होंगी….?
0एडीजी निलंबित मुकेश गुप्ता, जी पी सिंह क़े बाद अब कौन सा बड़ा पुलिस अफसर सरकार क़े टारगेट में है…?
0कौन सा एडीशनल एसपी आजकल सरकार क़े काफ़ी करीबी है….?