{किश्त 208 }
रामभक्त हनुमान को संकट मोचक कहते हैं,मंगलवार को मंगल करने वाले पवन सुत की स्तुति से सारे कष्ट दूर होते हैं, बिलासपुर जिले की धार्मिक नगरी रतनपुर में दुनिया का एक अनोखा मंदिर है,जहां बजरंग बली की पूजा स्त्री रूप में होती है,कहते हैं यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।संकटमोचन बजरंग बली का जन्म त्रेता युग में मां अंजनी के पुत्र के रूप में शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था,अंजनीसुत होने के कारण ही हनुमान को आंजनेय नाम से भी जाना जाता है। हनुमान ब्रह्मचारी थे, हमेशा स्त्रियों से दूर रहे परंतु छत्तीसगढ़ में हनुमान का एक अनोखा मंदिर है जहां हनुमान जी को पुरुष नहीं बल्कि स्त्री रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर बिलासपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में है जहां श्रद्धालुओं द्वारा हनुमान की नारी प्रतिमा की पूजा होती है। इस मंदिरको “गिरिजाबंध हनुमान मंदिर” कहा जाता है यहां दक्षिण मुखी हनुमान की मूर्ति में पाताललोक का भी चित्रण किया गया है। माँ महामाया की नगरी रतनपुर में एक अतिप्राचीन मंदिर है, सुन कर आश्चर्य होगा लेकिन दुनिया में एक मंदिर ऐसा भी है जहां हनुमान पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के वेश में नजर आते हैं।पवन पुत्र, अंजनीसुत,रामभक्त हनु मान को युगों से लोग पूजते आ रहे हैं, बाल ब्रह्मचारी भी कहा जाता है जिस कारण स्त्रियों को उनकी किसी भी मूर्ति को छूने से मना किया गया है। देवता रूप में विभिन्न मंदिरों में पूजे जाते हैं। गिरजाबंध हनुमान मंदिर, रतनपुर में एक अतिप्राचीन मंदिर बिलासपुर के पास है। हनु मान के स्त्री वेश में आने की यह कथा 10 करीब हजार साल पुरानी मानी जाती है।यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह कि विश्व में हनुमान का अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं।
बहुत प्राचीन है मंदिर
का इतिहास…
रतनपुर के राजा पृथ्वी देव जू ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था । पौराणिक- ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस देवस्थान के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह लगभग दस हजार वर्ष पुराना है।रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू कुष्ट रोग से पीड़ित थे,उन्होंने सपने में देखा कि संकटमोचन हनु मान उनके सामने हैं, भेष देवी सा है,पर देवी है नहीं, लंगूर हैं,पर जिसकी पूंछ नहीं है,जिनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली है तो दूसरे में राममुद्रा अंकित है। कानों में भव्य कुंडल हैं। माथे पर सुंदर मुकुट माला। अष्टसिंगार से युक्त हनुमान ने राजा से कहा कि राजन मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं।तुम्हारा कष्ट अवश्य दूर होगा। मंदिर निर्माण कर उसमें मुझे स्थापित करो। मंदिर के पीछे तालाब खुद वा कर उसमें स्नान कर मेरी विधिवतत पूजा करो,इससे तुम्हारे शरीर में हुए कोढ़ का नाश हो जाएगा। एक रात स्वप्न में फिर हनुमान ने कहा-मां महामाया के कुण्ड में मेरी मूर्ति रखी है।कुण्ड से उसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवा दो।राजा ने मूर्ति तालाब से निकालकर स्थापना करवाई, अदभुत चमत्कारिक प्रतिमा का मुख दक्षिण की ओर है, साथ ही मूर्ति में पाताल लोक़ का चित्रण भी है।मूर्ति में हनुमान को रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है, हनुमान के बाएं पैर के नीचे अहिरा वण और दाएं पैर के नीचे कसाई दबा हुआ है। हनु मान के कंधों पर राम और लक्ष्मण की झलक है उनके एक हाथ में माला, दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली है।