बहार आ गई तो,, कहते हो- “तुम्हारा क्या काम है”
✒️सत्य से साक्षात्कार
संजय त्रिपाठी
नई पीढ़ी की भाजपा मैं चर्चा चल पड़ी है, पीढी परिवर्तन का दौर है, नगर पालिका अध्यक्ष, हो या महापौर, ज्यादातर टिकट युवाओं को देंगे,, वैसे भारतीय जनता पार्टी के आज संगठन पर उस युवा नेतृत्व का कब्जा है,, जो अपने सत्तारूढ़ अहंकार से ग्रस्त है, और परिवर्तन के नाम पर मनमाने निर्णय ले रहा है,,,, यह वही लोग हैं, जिन्होंने सत्ता की हरियाली ही देखी है,, पुराने कार्यकर्ताओं के संघर्ष का दौर नहीं देखा , एयर कंडीशनर महंगी कारों में घूमने वाले,, डिजाइनर कुर्ते पजामा बैठकर,, वर्षों की मेहनत के साथ तैयार किए गए इस संगठन पर परिवार की तरह नहीं अहंकार के साथ हुकूमत कर रहे हैं।*
*इन युवाओं ने वह संगठन मंत्री व्यवस्था देखी जो कार्यकर्ता की साइकिल या स्कूटर पर बैठकर कार्यकर्ताओं के घर- धर जाकर एक एक परिवार को जोड़कर संगठन का निर्माण करते थे,,, भाजपा की इस बुलंद इमारत की इमारत में लाखों लाख कार्यकर्ताओं ने अपना जीवन आहुति के रूप में अर्पित कर दिया है।*
*👉राष्ट्रवाद को समर्पित वह भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता जो सालों से विचारधारा और राष्ट्रवाद के नाम पर संघर्ष करता रहा,, संघर्ष के दौर में जब कांग्रेस की सत्ता थी,, गरीब पर अनेक मुकदमे का लगे,, अनेकों बार घायल हुआ,,, अपना धंधा, परिवार बच्चों को छोड़कर जान जोखिम में डालकर,भगवा ध्वज लिए विचारधारा के लिए लड़ता रहा,,, हम तो जनसंघ वाले हैं,, ,, हमारे पिताजी ने कहां है ,जीना मरना यही है,, भाई दीनदयाल उपाध्याय कार्यालय अपना मंदिर है,,,, इन भावनाओं की कीमत करने वाला ,, अब यह शब्द बेमानी हो चुके हैं,, इन कार्यकर्ताओं को पूछने वाला कोई कुशाभाऊ ठाकरे या प्यारेलाल खंडेलवाल,, बचा है क्या?*।
*☝️ अब तो इस “पवित्र कुर्सी” पर बैठने वालों ने ,, भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा चमत्कार कर डाला “संगठन” की “आस्था” केंद्र बिंदु रहे संगठन मंत्रियों की टोली, ही लाल बत्ती लिए घूम रही है,,,,, सोशल मीडिया को देखें तो भाजपा कार्यकर्ता द्वारा ही जिनमें कुछ पर तो अति गंभीर किस्मआरोप सरेआम लगाए थे,,,, कार्यकर्ताओं की माने तो यह “”भाई साहब”” लोग अपने कार्यकाल के दौरान ही भाजपा के अति संपन्न नेताओं से सांठगांठ करके आर्थिक संपन्नताप्राप्त कर चुके थे,,, कार्यकर्ताओं के अधिकार को छीन कर लाभ के पद पर बैठा दिए गए हैं,!,,, चौराहे पर खड़ा कार्यकर्ता पूछ रहा है क्यों बलिदानी त्यागी कार्यकर्ता,, निगम मंडलों के अध्यक्ष बनाए गए ,ऐसी क्या मजबूरी आज के भाजपा संगठन को थी!,, यह वही “भाई साहब” लोग हैं जो कुर्ता पजामा पहन कर विचारधारा के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को राष्ट्रवाद,, हिंदुत्व के लिए सब कुछ लुटा देने का संदेश देते थे*,,।
*कार्यालय पर गीत गाते थे,,*
———————————–
*देश हमें देता है’ सब कुछ*,,,,
*हम भी तो कुछ’ देना सीखे,,,*
———————————-
*👉🚩इस समर्पण व त्याग की महान भावना में आकर हजारों हजार कार्यकर्ताओं ने पीढ़ी दर पीढ़ी जिन्होंने सर्वस्य विचारधारा के लिए लुटा दिया,, उन घरों को कौन पूछने जा रह,, कर्ताओं का परिश्रम समर्पण और बलिदान किस काम आ रहा है,,, युवा परिवर्तन के नाम पर जिला इकाइयों से बाहर होने के बाद क्या अधेड़ कार्यकर्ता अब जिला पंचायत और शहरी वार्डों के प्रतिनिधित्व करने के भी लायक नहीं है,, सालों के समर्पण के बाद भी तानाशाही पूर्वक निपटाए जा रहे हैं?*
*👉 विचार धारा का नाम पर हजारों कार्यकर्ताओं की जवानी बीत जाने के बाद “आज के संगठन” के लिए सत्ता समाज में परिवर्तन के लिए दायित्व है ,,या फिर,बालात कब्जा है,,!, खुली आंखों से देखें तो आज के मठाधीश सिर्फ अपने आदमी के लिए किसी भी कीमत पर कुर्सी या लाभ का पद ही लक्ष्य है , फिर तो सर्वप्रथम सत्ता की चासनी का रस सालों साल काम करने वाले पुराने कार्यकर्ताओं को क्यों नहीं मिल रहा है,, क्या संगठन का आदेश सिर झुका कर मानने वाले, कार्यकर्ता के हिस्से में ही विचारधारा , समर्पणऔर बलिदान हैं,,,*
*,,👉 तभी तो भाजपा के संघर्ष काल के पुराने कार्यकर्ता,, सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे हैं, कांग्रेसियों को पद देने का सरेआम आरोप लगा रहे हैं।*
*👉 पार्टी अब महंगी गाड़ियों पर डिजाइनर कुर्ता ,पजामा ,जैकेट डालें,, मेनेजमैट करने वाले नए नवेले कार्यकर्ताओं के बल पर नहीं चलने लगी है,?,,, पैसे बल पर परिक्रमा करने वाले, भोपाल दिल्ली , कार्यालय के चक्कर काटने वाले, कलाकार संगठन व सत्ता में नियुक्तियां क्यों पा रहे हैं,, इन कलाकारों ने एक नया रास्ता निकाल लिया है,,”भाई साहबौ”” का फाइव स्टार होटलों में रुकने का प्रबंध,,””बड़े-बड़े, ड्रेस डिजाइनर से महंगे लीलन के कुर्ते पजामे सिलवा कर देने वाले वाले ,, क्यों पद प्रतिष्ठा पाने लगे है,,,*
*👉 80% युवा व नए लोगों को टिकट देने के जिम्मेदार नेताओं के बयान आने के बाद पार्टी के कार्यकर्ता और अधिक सशंकित हैं,, सालों तक काम करने वाले कार्यकर्ता को सीधे पार्षद का टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता है,?*
, *👉 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का,,, का संगठन में सफाया होने के बाद अब स्थानीय स्तर की सरकार में भी टिकट संकट में है,,?*
*”युवा राज” कैसा है,जो बालों की सफेदी को, दरकिनार कर देना चाहता है, अधेड़ उम्र में पूरा जीवन देने के बाद छोटी सी सत्ता का केंद्र कॉलोनी ,मोहल्ले में पार्षदों काम भी नहीं करने देना चाहता है*?
*👉अब संगठन में वह नैतिक बल क्यों नहीं बचा है,, जो मोहल्ला, मोहल्ला घर घर जाकर सालों तक काम करने वाले कार्यकर्ताओं से यह पूछे,, क्या तुम पार्षद का चुनाव लड़ना चाहते हो,,,, मुझे याद है, जब भाजपा विपक्ष में थी,, तुमने उस आंदोलन में कितने लठ खाए थे,, जब तुम्हारे पिता मर गए थे ,,तब तुम भी जेल भरो आंदोलन संगठन के आदेश पर जेल गए थे,,, कांग्रेस की सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए तुम्हारे दादाजी आपातकाल में जेल चले गए थे,,, उस संघर्ष को हम समझते हैं,, अरे क्या तुम्हारे परिवार से कोई सदस्य पार्षद बनना चाहता है,,तुमने पार्टी के इतने सारे अभियानों में कार्यकर्ता के रूप में सालों काम किया,,, क्या तुम एमआईसी में आना चाहते हो?*
—————
*👉 कार्यकर्ताओं की माने तो सत्ता व संगठन पर काबिज वर्तमान मठाधीशओं को, लाखों कार्यकर्ताओं के परिश्रम के बल पर, मिल रही सत्ता के अहंकार से ग्रसित होने के कारण, !
*🔥””शिखर के कंगूरे”” ही दिखाई देते हैं,,जो सोने से चमकीले हैं !,,*
*🔥 संघर्ष काल में लड़ने वाले ,, तपे हुए “सफेद” बालों वाले “नींव के पत्थर” क्यों नहीं ‘दिखाई दे रहे हैं।*
*यह कैसा पीढ़ी परिवर्तन है!*