नई दिल्ली। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लगातार बात की जा रही है। यही कारण है कि महिलाओं का पीछा करने जैसे अपराध के मामले दर्ज कराने में तेजी आई है। हालांकि, इस तरह के मामलों में कार्रवाई की दर काफी कम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि महिलाएं बीते कुछ सालों में आगे आकर अपने साथ पीछा करने या कमेंट करने जैसे मामलों की शिकायत दर्ज कराने लगी हैं। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2018 में महिलाओं का पीछा करने की दोगुनी घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस तरह का उत्पीड़न देशभर में आम है।
आंकड़े बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं पर कार्रवाई की दर काफी कम है। वर्ष 2018 में 12,947 पीछा करने के मामलों में जांच चल रही थी। इनमें से 9438 नए मामले और 3505 पुराने मामले थे।
साल 2018 के अंत तक करीब 31 फीसदी मामलों में जांच लंबित थी जबकि 10.7 फीसदी मामलों को बिना चार्जशीट दाखिल किए ही खत्म कर दिया गया। करीब 30 फीसदी मामलों में ही दोषियों को दंड मिला।
पीछा करने या कमेंट करने वालों पर सख्त हुई महिलाएं
नई दिल्ली। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लगातार बात की जा रही है। यही कारण है कि महिलाओं का पीछा करने जैसे अपराध के मामले दर्ज कराने में तेजी आई है। हालांकि, इस तरह के मामलों में कार्रवाई की दर काफी कम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि महिलाएं बीते कुछ सालों में आगे आकर अपने साथ पीछा करने या कमेंट करने जैसे मामलों की शिकायत दर्ज कराने लगी हैं। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2018 में महिलाओं का पीछा करने की दोगुनी घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस तरह का उत्पीड़न देशभर में आम है।
आंकड़े बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं पर कार्रवाई की दर काफी कम है। वर्ष 2018 में 12,947 पीछा करने के मामलों में जांच चल रही थी। इनमें से 9438 नए मामले और 3505 पुराने मामले थे।
साल 2018 के अंत तक करीब 31 फीसदी मामलों में जांच लंबित थी जबकि 10.7 फीसदी मामलों को बिना चार्जशीट दाखिल किए ही खत्म कर दिया गया। करीब 30 फीसदी मामलों में ही दोषियों को दंड मिला।