इंदौर। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने महाराष्ट्र के शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा माँ अहिल्याबाई की तुलना ममता बनर्जी से करने के एक बयान पर उनके विरोध में बयानबाजी करने वाले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जिस सांसद महोदय ने खुद इंदौर के राजवाड़ा पर स्थित मां अहिल्याबाई की प्रतिमा को असम्मानजनक तरीक़े से अपने स्थान से पीछे खसकाकर सामने की सड़क बंद कर दी थी , जिसको लेकर पूरा शहर आंदोलनरत हो गया था ,जिसे शहर की जनता ने माँ अहिल्याबाई के सम्मान से जोड़कर महीनों तक शंकर लालवानी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले रखा ,जिसे बड़ा वास्तु दोष बताया गया और जनता के आंदोलन व आक्रोश को देखते हुए खुद इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन व तत्कालीन महापौर उमा शशि शर्मा ने शंकर लालवानी के इस जनविरोधी फैसले को पलटा और वापस ससम्मान व पूजा अर्चना कर माँ अहिल्या की प्रतिमा को दोबारा उसी स्थान पर विराजित करवाया , ऐसा करने वाले इंदौर के सांसद किस मुंह से माँ अहिल्या बाई के सम्मान की आज बात कर रहे हैं ?
सलूजा ने कहा कि संजय राउत ने माँ अहिल्या बाई की तुलना ममता बनर्जी से की तो उसमें गलत क्या किया , माँ अहिल्या बाई एक जनप्रिय शासक होकर जनता के हित में फ़ैसलों के लिये जानी जाती थी , उनकी तुलना ममता बनर्जी जैसे जनप्रतिनिधि से होना चाहिए या नरेंद्र मोदी जैसे नेताओ से होना चाहिये ?
जो ममता बनर्जी जनता के हित में फैसला लेने वाली मानी जाती है , मात्र ₹50 की चप्पल और ₹100 की साड़ी पहनने वाली , सादा जीवन जीने वाली ममता बनर्जी सरकारी खर्च से न वेतन लेती है ,ना कोई सुख सुविधा लेती है , दिन भार जनता की सेवा करती है , उनकी तुलना माँ अहिल्या बाई से कर संजय राउत ने क्या ग़लत किया ?
वही हमारे नरेंद्र मोदी जी जिनके बारे में सभी जानते हैं कि लाखों रुपए के सूट पहनते हैं ,करोड़ों रुपए के प्लेन में घूमते हैं ,करोड़ों रुपए का उनका नया बंगला सेंट्रल विस्ट्रा प्रोजेक्ट के तहत तैयार हो रहा है , उनके ड्रेस अप -मेकअप के बारे में सभी भली-भांति जानते हैं और ऐसे नरेंद्र मोदी की तुलना तो कई भाजपा नेता सार्वजनिक रूप से भगवान विष्णु ,भगवान राम से लेकर कई भगवानों से करते रहते है , तब शंकर लालवानी को गुस्सा क्यों नहीं आता है ?
इंदौर के कई लोग तो सुमित्रा महाजन की तुलना भी माँ अहिल्या बाई से करते हैं , तब शंकर लालवानी चुप क्यों रहते हैं ?