शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने 700 करोड़ का कर्ज लिया है। भाजपा की 15 सालों की सरकार के हटने के बाद बनी कांग्रेस की सरकार ने 19 महीनों के कार्यकाल में करीब 1900 करोड़ का कर्ज लिया है। प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल भाजपा आजकल इसी कर्ज को लेकर कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठा रही है।जबकि अप्रेल से अभी तक मप्र की शिवराज सिंह सरकार 6500 करोड़ का कर्ज ले चुकी है.
छग की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है। केंद्र सरकार की नोटबंदी, नई जीएसटी नीति के कारण वैसे ही हालात खराब थे इसी के बीच कोरोना महामारी का संकट भी सामने आ गया है उससे भी अपने स्तर पर राज्य सरकार को मुकाबला करना पड़ रहा है। वैसे भी जीएसटी की केंद्रीय योजना बनने के बाद राज्य सरकार की आय का श्रोत सीमित हो गया है। शराब, रेत खदान, रजिस्ट्री, डीजल-पेट्रोल की बिक्री आदि ही राजस्व के श्रोत बचे हैं फिर राज्य सरकार द्वारा 2500 रुपये क्विंटल धान खरीदी सहित किसानों के हित में उठाये गये कदम के कारण प्रदेश के खजाने पर अतिरिक्त भार पड़ा है। सूत्र कहते हैं कि 19248 करोड़ का कर्ज भूपेश सरकार ले चुकी है। उसके पीछे यह भी तर्क है कि जीएसटी के तहत 2800 करोड़ की राशि केंद्र सरकार ने रोक रखी है यही नहीं केंद्र ने राज्यों को सलाह भी दी है कि प्रदेशों का काम कर्ज लेकर चलाया जाए…।
अब आते हैं पूर्ववर्ती भाजपा की प्रदेश में चली 15 साल की सरकार पर….। प्रदेश की डॉ. रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में 41239 करोड़ का कर्ज विभिन्न श्रोतों से लिया गया था। यह कर्ज भूपेश सरकार को विरासत में मिला था नई सरकार का कर्ज मिलाकर अब प्रदेश पर करीब 60 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ गया है। कांग्रेस का कहना है कि हमने तो किसान, गरीब के हितों के लिए कर्ज लिया है, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की तरह टावर लगाने मोबाईल बांटने या स्काईवॉक जैसी हवाई योजनाओं के लिए कर्ज नहीं लिया है। एक बात और है कि केंद्र से राज्य की बकाया जीएसटी राशि की वसूली बाबत दबाव बनाने की जगह कोरोना काल में भाजपा भूपेश सरकार को निशाना बनाने में लगी है। वैसे एक बात तो तय है कि 14 सीटों पर विधानसभा में सिमट गई भाजपा का एक सूत्रीय फार्मूला है प्रदेश की सरकार का विरोध करना…। यदि एम्स में कोरोना के मरीज ठीक हो रहे हैं तो उसका श्रेय भाजपा अपनी केंद्र सरकार को देने में भी पीछे नहीं है ये तो हद हो गई है…।
खेतान और विवादों से नाता….।
छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व मंडल बिलासपुर के अध्यक्ष चितरंजन खेतान हाल ही में किये गये अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में है हालांकि पासा उल्टा पड़ने से खेतान अब सफाई देते भी घूम रहे हैं।
चितरंजन खेतान ने एक ट्वीट किया था कि ”कलेक्टर/ डीएम ” पर ही सारी जिम्मेदारी और उसी से सबकी नाराजगी। वह बहुत अच्छा भी है और खराब भी। नेताओं के काम को बनाए और नेताओं की डांट भी वो खाए। क्या करें क्या न करें, बोल मेरे भाई?…. बाद में हालांकि खेतान ने स्पष्ट किया कि उनका वो मकसद था ही नहीं… वे तो किसी दूसरे प्रदेश के संदर्भ में वह लिखा था। बहरहाल प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष को दूसरे प्रदेश की चिंता है अपने प्रदेश के आईएएस की नहीं…। दरअसल कोरोना की त्रासदी में भूपेश मंत्रिमंडल द्वारा आवश्यक कार्यवाही के लिए कलेक्टरों को सारी जिम्मेदारी देने से यह मामला जुड़ा माना जा रहा है।
वैसे भी खेतान के बैच मैट आरपी मंडल के मुख्य सचिव बनने, स्वयं को मंत्रालय से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद मंडल के 6 माह के कार्यकाल वृद्धि के राज्य सरकार के प्रस्ताव के बाद खेतान आहत हो सकते हैं… क्योंकि ऐसे में उनके पास मात्र 2 माह का समय बचेगा और उनका मुख्य सचिव बनने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा… कही उपरोक्त ट्वीट के पीछे यही तो नहीं है…। बहरहाल स्व. अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके साले स्व. रत्नेश सालोमन के जरिये सरकार को साधने वाले खेतान ने भाजपा की सरकार बनने के बाद बिहार के एक बड़े भाजपा नेता के माध्यम से रमन सरकार को साध लिया पर भूपेश सरकार को साधने में सफल नहीं रहे हालांकि भूपेश सरकार के एक सलाहकार ने उन्हें मुख्य सचिव बनाने का वादा किया था पर ….।
वैसे विवादों से चितरंजन खेतान का पुराना नाता रहा है। अपनी आईएएस की शुरुआत में बतौर कांकेर एडीशनल कलेक्टर उनके खिलाफ बस्तर के बहुचर्चित मालिक मकबूजा का मामला सीबीआई ने दर्ज किया था अविभाजित म.प्र. के समय तब के भोपाल के सीबीआई इंस्पेक्टर एफ.बी. खन्ना ने तत्कालीन कमिश्नर बस्तर नारायण सिंह, तत्कालीन एडीशनल कलेक्टर कांकेर चितरंजन खेतान तथा दंतेवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर एम.एस.पैकरा के खिलाफ अपराध भी दर्ज किया था। तब 1/10-120 बी आईपीसी आर/डब्लु 420, 468, 471 आईपीसी म.प्र. विनिर्दिस्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1982 के सेक्शन 14, इंडियन फारेस्ट एक्ट के सेक्शन 42 तथा 13(2) आर/डब्लु 13 (1) (डी) पीसी एक्ट 1988 के तहत अपराध दर्ज किया था हालांकि बाद में इससे मुक्त हो गये थे। जनसंपर्क में संचालक बतौर ढाई लाख के आसपास के मासिक किराये में पटवा भवन किराये पर लेकर संवाद कार्यालय की स्थापना को लेकर भी वे विवाद में रहे। पहली बार जनसपंर्क को लेकर विधानसभा में विपक्ष (भाजपा) ने जोगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास भी किया। स्थानीय निकाय विभाग का जिम्मा सम्हालने के बाद स्वीपिंग मशीन (सफाई सड़कों की) उपयोगिता नहीं होने पर भी उनकी कुछ निगमों में खरीदी के लिए भी वे चर्चा में रहे क्योंकि छग की सड़कों की सफाई उस मशीन से संभव भी नहीं थी। बहरहाल विवादों से खेतान का पुराना नाता रहा है दिल्ली में प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल में एक क्लब में सदस्यता को लेकर भी वे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ( बाद में म.प्र. के मुख्यमंत्री भी बने) की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था। इंदौर नगर निगम में इनके कार्यकाल को लेकर कैलाश विजयवर्गीय भी किस्से मजा लेकर सुनाते थे। बहरहाल भूपेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने के प्रयास में वे कितना सफल हुए यह तो नहीं कहा जा सकता पर सरकार की नजरों में वे फिर चढ़ गये हैं और अब उनका मुख्य सचिव बनने का सपना पूरा होगा ऐसा लगता तो नहीं है…..?
पिल्ले, विज और जुनेजा का डीजी बनना तय…
छत्तीसगढ़ के 3 वरिष्ठ आईपीएस अफसर संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा अशोक जुनेजा के डीजी बनने का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों की मानें तो विभागीय पदोन्नति समिति ने तीनों को डीजी बनने पर सहमति दे दी है,. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्ताक्षर के बाद कभी भी तीनों डीजी बन जाएंगे। ज्ञात रहे कि संजय पिल्ले को तो जनवरी 18 से ही डीजी बन जाना था।क्योंकि एक डीजी का पद रिक्त हो गया था l
छत्तीसगढ़ कॉडर में 4 डीजी बनाए जा सकते हैं। एक डीजीपी का पद है वहीं 3 डीजी और बनाये जा सकते थे। पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में केंद्र सरकार से अनुमति मिलने की अनुशंसा में तीन डीजी संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा मुकेश गुप्ता को डीजी पदोन्नत किया गया था पर केंद्र की अनुमति नहीं मिलने पर भूपेश सरकार ने इन्हें डिमोट करना पड़ा था। इसी के बाद मुकेश गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद प्रदेश में डीजी स्तर के एक ही अधिकारी डीएम अवस्थी ही पदस्थ थे। वैसे सबसे अधिक अन्याय तो संजय पिल्ले का साथ ही हुआ उन्हें तो डीजी एम डब्लु अंसारी के सेवानिवृत्ति के बाद ही जनवरी 18 में डीजी पदोन्नत हो जाना था बहरहाल कई महीनों तक लटकी पदोन्नति फाईल पर विभागीय पदोन्नति समिति ने तीनों अफसरों के डीजी बनाने पर अपनी मुहर लगा दी है वहीं एक वरिष्ठ पर निलंबित अफसर मुकेश गुप्ता के पदोन्नति के फैसले को लिफाफे में बंद कर दिया है। ज्ञात रहे कि गुप्ता की वरिष्ठता के चलते अशोक जुनेजा की पदोन्नति को केंद्रीय कार्मिक विभाग की अनुमति नहीं मिल पा रही थी। यहां यह भी बताना जरूरी है कि मुकेश गुप्ता को नान घोटाले के दस्तावेजों में छेड़छाड़, अवैध फोन टेपिंग आदि मामलों में भूपेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। सूत्रों की मानें तो अब केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्ताक्षर की ही औपचारिकता शेष है। कभी भी संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा अशोक जुनेजा के डीजी बनने का आदेश जारी हो सकता है।
और अब बस….
0 मरवाही विधानसभा उपचुनाव जोगी परिवार, कांग्रेस तथा भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
0 वर्तमान में रायपुर रेल मंडल की 29 हजार 363 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कब्जा है।
0 बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज ने छत्तीसगढ़ बनने के बाद 1769 निर्दोष आदिवासियों की हत्या करने का आरोप माओवादियों पर लगाया है।
0 छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्धि का कारण टेस्ट बढऩा भी है। इस माह के बाद कोरोना में उतार की उम्मीद है।
0 छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में कुछ बड़े बदलाव की चर्चा जमकर है।