रायपुर। बीजेपी में एक बार फिर मंथन का दौर चल रहा है। इसकी वजह राजधानी में संगठन की मजबूती और पारदर्शिता का होना है। राजधानी में किसी तरह का विवाद न हो इसे ध्यान में रखते हुए भाजपा जिला कार्यकारिणी बनाने में हर पहलू को देखा जा रहा है। इसमें एक बात पर गंभीरता से विचार हो रहा है कि नगर निगम के 70 वार्ड में पार्टी प्रत्याशी या उनके परिजन को संगठन में स्थान न देकर उस समय जिन्होंने प्रत्याशी के पक्ष में अपना समर्थन देते हुए नाम वापस लिया था उन्हें स्थान मिल सके । वहीं पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ने वालों और उन्हें समर्थन देने वालो की भी सूची संगठन ने तैयार कर ली है। ऐसे लोगों को अब एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में ही कार्य करना होगा। इसके अलावा पूर्व में भी जो पदाधिकारी निगम मंडल आयोग में स्थान पा चुके है अब उन्हें भी सामान्य कार्यकर्ता के रूप में ही कार्य करना होगा। ये इसलिए क्योंकि कार्यकर्ताओं में अच्छा मैसेज जाए। यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि पदाधिकारी बनाये जाने पूरे प्रदेश में एक बेहतर संदेश जाए इसलिए ये हो रहा है। राजधानी की कार्यप्रणाली का संदेश पूरे प्रदेश में जाता है। पार्टी संगठन में पूर्व में जिन्होंने संगठन में अपने उत्तरदायित्व को भली भांति निभाया है उन्हें प्राथमिकता में रखा जाएगा। योग्य और संगठन के अनुरूप कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता होगी। जिलाध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी की मंशा है कि भाजपा जिला रायपुर की कार्यकारिणी किसी तरह के विवाद से दूर रहे और काम करने वालों को जगह मिले। राजधानी से प्रदेश के हर जिले में संगठन का संदेश जाएगा। 35 पार वाले कार्यकर्ताओं को भी मौका ? जिला कार्यकारिणी में युवा मोर्चा से ओवर ऐज हुए कार्यकर्ताओं को भी स्थान देने पर विचार हो रहा है। ताकि वो पार्टी लाइन से बाहर न हों। पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने चहेतों को स्थान दिलाने के चलते योग्य पार्टी समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है इस पर भी संगठन विचार कर रहा है । पार्टी युवा मोर्चा में 35 वर्ष का नियम भी पार्टी के लिए बहुत विचारणीय हो गया है क्योंकि 35 वर्ष पार कर चुके बहुत से कार्यकर्ताओं के लिए भविष्य की राजनीति पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है।