शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
25 जून1975 यानि 46 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘इमरेजेंसी या आपातकाल’ देश पर थोपा था। कांग्रेस पार्टी के तब के अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने इंदिराजी का यशोगान करते हुए एक नारे का इजाद किया था इंडिया इज इंदिरा… इंदिरा इज इंडिया… पूरे आपातकाल में यह नारा गूंजता रहा और लगभग हर कांग्रेसियों की जबान पर यह नारा था तब विपक्ष के नेता तथा बाद में प्रधानमंत्री बने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कविता लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ को चमचों का सरताज कहा था। आपातकाल की साल गिरह आती है तब बरूआ का नारा और अटलजी की कविता की भी चर्चा होती है। दरअसल 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरागांधी के रायबरेली के 1971 के चुनाव में अनियमितता का दोषी ठहराकर उनकी संसद सदस्यता रद्द कर आगामी 6 साल के लिए चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी उसके बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल की देश में घोषणा कर दी थी। बहरहाल उसी समय देवकांत बरूआ के ‘इंदिरा इज इंडिया’ के नारे के बाद अटलजी ने कविता लिखी थी…
“इंदिरा इंडिया एक है इति बरूआ महराज…
अक्ल घास चरने गई, चमचों के सरताज…!
चमचों के सरताज, किया भारत अपमानित…
एक मृत्यु के लिए कलंकित भूत भविष्यत…!
कह कैदी कविराय, स्वर्ग से जो महान है…,
कौन भला उस भारत माता के समान है… ?”
खैर आपातकाल के बाद कांग्रेस की जो देश में हालत हुई वह किसी से छिपी नहीं रही…बाद में कांग्रेस ने अपनी उस गलती के लिये माफ़ी भी मांग ली थी… आपातकाल के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र में बनी थी उपरोक्त संदर्भ का उल्लेख इसलिए करना पड़ा क्योंकि वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो देवकांत बरूआ से सैकड़ों कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘देवता’ही ठहरा दिया है….!कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भाषा से खिलवाड़ करते हुए घोषित कर दिया कि मोदी ‘सुरेन्द्र’ है। राहुल ने समपर्ण मोदी को मजाकिया ढंग से ‘सुरेन्द्रर’ (सरेंडर) लिख दिया था…. जगतपाल नड्डा ने इसे सुरेन्दर बना दिया सुरेन्द्र का दूसरा नाम इंद्र है और वे देवताओं के राजा होते हैं….! नड्डा जी की मंशा के अनुसार, नरेन्द्र मोदी इंसानों के ही नहीं देवताओं या भगवानों के भी नेता है….। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो मोदी को भगवान का वरदान ही ठहरा दिया है। बहरहाल स्वामी भक्ति, चाटुकारिता, व्यक्ति पूजा की यह तो पराकाष्ठा ही मानी जा सकती है…। खैर अब अटलजी जैसे कवि, नेता नहीं रहे नहीं तो एक नई कविता का जन्म हो जाता? वैसे नड्डा जी की ही बात नहीं इसके पहले भी कुछ नेता मोदी को ‘अवतार’ घोषित कर चुके हैं!
21 पुलिस कप्तान बदले गए..
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने अपनी सरकार के ढाई साल पूरा होने पर पहले 9 जिलों के कलेक्टर सहित 29अफसरों के तबादले किये वहीं हाल ही में 21जिलों के पुलिस कप्तानोँ को बदलकर एक संदेश दिया है l वैसे तमाम अटकलों, दावों -प्रतिदावों के बीच 2-3 हाई प्रोफ़ाइल अफसरों को छोड़ दें तो तबादला सूची अप्रत्याशित रही…. दांव पेज और राजनीति पहुंच से दूर अपने “काम से काम” रखने वाले उन अफसरों को भी अहम जिलों की जिम्मेदारी दी गई इससे तो स्पष्ट होता है कि भूपेश सरकार ‘काम’ करने वाले अफसरों को तवज्जो दे रही है क्योंकि अगला विधानसभा चुनाव भी करीब दो -ढाई साल बाद होना ही है….! पिछले साल सितंबर से ही पुलिस कप्तानों के बदलने की चर्चा चल रही थी पर कभी कोविड की लहर, तो कभी असम विस चुनाव, तो छग के विस सत्र के नाम पर विलम्ब होता गया.l मुख्यमंत्री के दो विशेष अफसरों के संपर्क में रहने वाले कुछ अफसरों ने तो अपने प्रस्तावित जिलों के नामों की भी अपने लोगों के बीच घोषणा कर दी थी, कुछ ने तो बकायदा पार्टी भी दे दी थी…..वहीं हाल ही में एक निजी होटल में एक हवलदार द्वारा कुछ आईपीएस अफसरों की बैठक लेकर नवीन पदस्थापना प्रस्ताव लेने की भी चर्चा रही….?हालांकि इसकी किसी ने अधिकृत जानकारी नहीं दी……? बहरहाल तबादला सूची कुछ अफसरों के लिये भी आश्चर्यजनक रही…. कभी बिलासपुर, कभी, जांजगीर तो कभी कोरबा में पदस्थापना का दावा करने वाले गिरिजा शंकर जायसवाल को सीएम सुरक्षा में अटैच किया गया तो प्रशांत अग्रवाल का नाम कभी ट्रांसपोर्ट प्रमुख, कभी रायपुर कप्तान के लिये चला हालांकि उनकी पोस्टिंग दुर्ग जिले में हो गई….. दुर्ग के लिये पारुल माथुर का भी नाम चर्चा में रहा पर उन्हें गरियाबंद जैसे छोटे जिले में पदस्थ किया गया….. जेएन यू दिल्ली में पढ़े संतोष सिंह को रायगढ़ से कोरिया भेजा गया है हालांकि उन्हें बिलासपुर, जगदलपुर जाने का हल्ला चल रहा था, महासमुंद एसपी प्रफुल्ल ठाकुर के रायगढ़ जाने की चर्चा थी पर उन्हें धमतरी का एसपी बनाया गया है….. I
छत्तीसगढिया पुलिस कप्तान…..
वैसे भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़िया सीएम माना जाता है और उन्होंने तबादले में छत्तीसगढ़िया अफसरों का ध्यान जरूर रखा….. आदिवासी अंचल बस्तर में जन्मेँ अजय यादव पहले से ही एसपी रायपुर हैँ उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया गया तो बस्तर में ही जन्मेँ प्रफुल्ल ठाकुर को धमतरी तो प्रशांत ठाकुर को जांजगीर का एसपी बनाया गया है हांलाकि दोनों पहले भी एसपी थे. छग के एक गांव में जन्मेँ भोजराम पटेल को कोरबा जैसे बड़े जिले का एसपी बनाया गया है.वैसे ये कांकेर, गरियाबंद के सफल एसपी रह चुके हैँ.. छग के ही तेज तरार प्रमोटी आईपीएस विजय अग्रवाल को जशपुर जैसे संवेदनशील जिले का एसपी बनाया गया है वैसे ये रायपुर, दुर्ग तथा बिलासपुर में शहर कप्तान की सफल पारी खेल चुके हैं…. वहीं छग के ही महासमुंद जिले में जन्मे त्रिलोक बंसल को राजभवन से पेंड्रा रोड -गौरला का सीधे एसपी बनाया गया है ,छत्तीसगढ़ के ही अरविंद कुजूर को एसपी बेमेतरा, दुखुराम अाँचला को एसपी मुंगेली तो राजेश कुकरेजा को एसपी रेल्वे बनाया गया है..!
अब एडीजी सिंह की बारी…..
भूपेश सरकार ने पहले एडीजी मुकेश गुप्ता को निपटाया है अब लगता हैं दूसरे एडीजी जी पी सिंह की बारी हैं….. उनके खिलाफ सरकार बड़ी कार्यवाही कर सकती है…..!छत्तीसगढ़ के सीनियर आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के यहां पिछले कई घंटे से चल रही छापामार कार्रवाई अभी भी जारी है। एंटीकरप्शन ब्यूरो और ईडी की टीम नेए एक़ को सुबह 6 बजे से रायपुर स्थित जीपी सिंह के सरकारी बंगले सहित कई शहरों में उनके 15 ठिकानों पर छापा मारा था। जीपी सिंह इससे पहले खुद एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ रह चुके हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और काली कमाई की लगातार शिकायतों के बाद प्रशासन ने यह छापामार कार्रवाई की थी। 2जुलाई की रात एंटीकरप्शन ब्यूरो की तरफ से जारी किए गए प्रेस नोट में बताया गया कि पिछले कई घंटों में जो जांच टीम ने वहां की है। उसमें अभी तक 5 करोड़ रुपए की संपत्ति का आंकलन किया गया है। टीम का कहना है कि यह रकम, संपत्ति का प्रारंभिक आंकलन हैं। जैसे जैसे जांच बढ़ेगी यह रकम भी बढ़ने की उम्मीद है वहां पहुंची पुलिस टीम संपत्ति, वाहनों, बैंक खाता, बीमा पॉलिसियों की तादाद देखकर हैरान है। 75 से अधिक बीमा पॉलिसीएडीजी सिंह, उनकी धर्मपत्नी और उनके पुत्र के नाम पर मिली है। इसकी संख्या बढ़ सकती है। इन पॉलिसी के प्रीमियम के रूप में ही लाखों रुपए सालाना बीमा कंपनियों को दिए जाते हैं। टीम बीमा कंपनी से प्रिमियम का हिसाब ले रही है।
आईपीएस जीपी सिंह के यहां छापामार कार्रवाई और जांच जारी है जिससे कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी आगे मिल सकते हैं।
बैंकों और डाकघर में अलग-अलग कई खाते इस परिवार के नाम पर मिले हैं । इसके साथ ही डेढ़ करोड रुपए के म्यूच्यूअल फंड और शेयर के इन्वेस्टमेंट के कागज मिले हैं ।म्यूच्यूअल फंड्स और शेयर के दस्तावेज की गणना शुरू है, सिर्फ इन्हीं की राशि कई करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। वाहनों के कागजात भी मिल हैं। इसमें कंस्ट्रक्शन से जुड़े वाहन, मिक्सर मशीन, ट्रक व अन्य उपकरण हैं। अभी तक 75 लाख रुपए के वाहनों की जानकारी पुख्ता हो चुकी है। छत्तीसगढ़, उड़ीसा समेत दूसरे राज्यों में भी जीपी सिंह ने जमीन, फ्लैट, मकान में बड़ी राशि का निवेश किया है। इसका आकलन भी किया जा रहा है आयकर विभाग भी जाँच शुरू कर चुका है l वैसे भी बस्तर के एक आईजी के सरकारी बँगले से डकैती की रकम जप्त करने, युवा आईपीएस राहुल शर्मा की संदिग्ध मौत, नक्सली के नाम पर आदिवासियों को पूर्व सीएम रमन सिंह के सामने पेश करने सहित कई मामलों में ये चर्चा में रहें हैं….!
और अब बस….
0लम्बे समय से पदस्थ,नक्सलियों को लगातार आत्मसमर्पण कराने वाले तथा सिलगेर गोलीकांड में राज्य सरकार की किरकिरी कराने वाले पुलिस कप्तानों का तबादला सूची में नाम नहीं होना भी चर्चा में है …?
0एक एडीजी, एक आईजी तथा 3अफसरों को डीआईजी कब पदोन्नत किया जायगा….
0प्रभारी मंत्रियों के जिला प्रभार बदलने से कौन से 2मंत्री दुखी हैं….
0क्या मुकेश गुप्ता के बाद एक और एडीजी निपटने वाले हैँ…?