शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
25 जून1975 यानि 45 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘इमरेजेंसी या आपातकाल’ देश पर थोपा था। कांग्रेस पार्टी के तब के अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने इंदिराजी का यशोगान करते हुए एक नारे का इजाद किया था इंडिया इज इंदिरा… इंदिरा इज इंडिया… पूरे आपातकाल में यह नारा गूंजता रहा और लगभग हर कांग्रेसियों की जबान पर यह नारा था तब विपक्ष के नेता तथा बाद में प्रधानमंत्री बने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कविता लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ को चमचों का सरताज कहा था। आपातकाल की साल गिरह आती है तब बरूआ का नारा और अटलजी की कविता की भी चर्चा होती है। दरअसल 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरागांधी के रायबरेली के 1971 के चुनाव में अनियमितता का दोषी ठहराकर उनकी संसद सदस्यता रद्द कर आगामी 6 साल के लिए चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी उसके बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल की देश में घोषणा कर दी थी। बहरहाल उसी समय देवकांत बरूआ के ‘इंदिरा इज इंडियाÓ के नारे के बाद अटलजी ने कविता लिखी थी…
“इंदिरा इंडिया एक है इति बरूआ महराज
अक्ल घास चरने गई, चमचों के सरताज!
चमचों के सरताज, किया भारत अपमानित
एक मृत्यु के लिए कलंकित भूत भविष्यत!
कह कैदी कविराय, स्वर्ग से जो महान है,
कौन भला उस भारत माता के समान है?”
खैर आपातकाल के बाद कांग्रेस की जो देश में हालत हुई वह किसी से छिपी नहीं रही… पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र में बनी थी उपरोक्त संदर्भ का उल्लेख इसलिए करना पड़ा क्योंकि वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो देवकांत बरूआ से सैकड़ों कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘देवता’ही ठहरा दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भाषा से खिलवाड़ करते हुए घोषित कर दिया कि मोदी ‘सुरेन्द्र’ है। राहुल ने समपर्ण मोदी को मजाकिया ढंग से ‘सुरेन्द्रर’ (सरेंडर) लिख दिया था जगतपाल नड्डा ने इसे सुरेन्दर बना दिया सुरेन्द्र का दूसरा नाम इंद्र है और वे देवताओं के राजा होते हैं। नड्डा जी की मंशा के अनुसार, नरेन्द्र मोदी इंसानों के ही नहीं देवताओं या भगवानों के भी नेता है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो मोदी को भगवान का वरदान ही ठहरा दिया है। बहरहाल स्वामी भक्ति, चाटुकारिता, व्यक्ति पूजा की यह तो पराकाष्ठा ही मानी जा सकती है…। खैर अब अटलजी जैसे कवि, नेता नहीं रहे नहीं तो एक नई कविता का जन्म हो जाता? वैसे नड्डा जी की ही बात नहीं इसके पहले भी कुछ नेता मोदी को ‘अवतार’ घोषित कर चुके हैं।
बेटे को पैकेज….
कोरोना काल में एक खबर की चर्चा जमकर है…. एक बच्चे ने अपने पिता से एक मोटर सायकल खरीदने की बात की, पिता ने उसके लिए 20 लाख का एक पैकेज देने की बात की साथ ही कहा कि कल मां से बात कर लेना। बेटे ने बाप को विश्व का सबसे अच्छा पापा का खिताब देकर किसी तरह रात काटी, सुबह वह मा के पैकेज घोषणा का इंतजार करता रहा…।
दूसरे दिन शाम को मां ने अपने 20 लाख के पैकेज की घोषणा कर दी। मां ने कहा… तुम्हारे जन्म लेते समय हास्पिटल का बिल आया था 40 हजार…। तेरे जन्म के पहले हमने तेरे पिता और मैंने विवाह किया था उसका खर्च आया था 2 लाख…। तेरे जन्म से अभी तक तेरी पढ़ाई पर खर्च आया है 5 लाख… तेरे खाने-पीने, कपड़े, मेडिकल, गिफ्ट, खिलौने वगैरह पर खर्च आया है अभी तक 7 लाख रुपये..। तब एक बच्चा 14 लाख 40 हजार का पैकेज जोड़ चुका था। मां ने कहा कि तेरे स्नातक तक पढ़ाई, एडमीशन पर करीब 10 लाख का खर्च आना संभावित है उसके लिए किसी बैंक से कर्ज ले लेगें। इस तरह तेरे पापा ने 20 लाख का पैकेज कहा था मैंने तो 24 लाख 40 हजार का पैकेज घोषित कर दिया है। तुझे मोटर सायकल खरीदने का इंतजाम कैसे करना है… कौन सी बाईक लेना है, किस रंग की किस कंपनी की लेना है…। यह तो तुझे ही करना है तू खुद अपनी पसंद से खुद अपनी बाईक ले लेना…। बच्चा सोच रहा था कि मम्मी का पैकेज तो पापा से 20 प्रतिशत अधिक है। कुल 24 लाख 40 हजार का पैकेज में उसके तो एक भी पैसा हाथ में नहीं आया… इससे अच्छा तो पापा पैकेज घोषित करने की जगह 8-10 हजार नगद दे देते तो सेकेंड हेण्ड बाईक लाकर अपना काम तो चल ही जाता खैर…। (इसका किसी वर्तमान घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है)
पुलिस में केवल एक डीजी….
छत्तीसगढ़ राज्य बना तो डीजी के 2 पद स्वीकृत थे एक डीजीपी तथा एक नान काडर डीजी का पद था। बाद में वरिष्ठ अफसरों के चलते केंद्र ने डीजी के 4 पद स्वीकृत कर दिये 2 कॉडर तथा 2 नॉन काडर पद।
बहरहाल बाद में इस पद पर डीजी बनते रहे। नवंबर 2017 के पहले प्रदेश में डीजीपी आरएन उपाध्याय, गिरधारी नायक, डीएम अवस्थी तथा एमडब्लु अंसारी डीजी पद पर तैनात थे। दिसंबर 2017 में एमडब्लु अंसारी के सेवानिवृत्ति के बाद एक डीजी का पद रिक्त था और वरिष्ठता के आधार पर जनवरी 2018 में संजय पिल्ले को डीजी बन जाना था पर राज्य सरकार ने संजय पिल्ले, आर के विज तथा मुकेश गुप्ता को डीजी पदोन्नत करने पत्राचारा किया और केंद्र से स्वीकृति मिले बिना ही 3 डीजी पदोन्नत कर दिया इस तरह 4 के स्वीकृत पद के खिलाफ 6 डीजी हो गये। इसी बीच केंद्र से व्ही. के. सिंह भी छग आ गये और 7 डीजी प्रदेश में हो गये। बाद में जैसे ही भूपेश बघेल की सरकार बनी तो मुकेश गुप्ता को निलंबित कर तीनों पदोन्नत डीजी (संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा मुकेश गुप्ता) को एडीजी पुन: बना दिया गया। इसी बीच जून 2019 में गिरधारी नायक, उपाध्याय अगस्त 19 तथा व्ही के सिंह नवंबल 19 में सेवानिवृत्त हो गये। आज की हालात में केवल डीजीपी डीएम अवस्थी ही एकमात्र डीजी स्तर के अफसर हैं 3 डीजी के पद रिक्त हैं। वैसे अब अशोक जुनेजा भी डीजी बनने की निर्धारित योग्यता हासिल कर चुके हैं। अब जब भी डीजी पदोन्नति होगी तो संजय पिल्ले, आर के विज के साथ अशोक जुनेजा भी डीजी बन जाएंगे पर डीजी पदोन्नति के लिए डीपीसी आखिर क्यों नहीं हो पा रही है कौन नहीं चाहता कि ये तीनों डीजी बने… और क्यों…?
झीरम कांड चर्चा में…
छत्तीसगढ़ में सन 2013 में झीरम घाटी नक्सली हमला में कांग्रेस के बड़े नेताओं विद्याचरण शुक्ल,नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, उदय मुदलियार, सहित 27 लोगों की मौत तथा एनआईए की जांच से असंतुष्ठ उनके परिजनों तथा कांग्रेस नेताओं की मांग के चलते मुख्यमंत्री भूपेश ने एसआईटी गठित की थी पर एनआईए उस जांच के कागजात देने तैयार नहीं है। कभी एनआईए अपनी जांच पूरी होने की बात करती है तो हाल ही में उदय मुदलियार के बेटे द्वारा लिखाई गई एफआईआर के बाद उस मामले की जांच करने एनआईए फिर सक्रिय हो गई है। हाल ही में प्रदेश सरकार के 3 मंत्री रविन्द्र चौबे, मो. अकबर, शिव डहरिया तथा कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का आरोप है कि झीरमघाटी मामले की जांच नहीं कराने के पीछे कौन सक्रिय है? सीबीआई जांच नहीं करने के पत्र को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने क्यों सार्वजनिक नहीं किया? वैसे भी झीरम घाटी वारदात में कांग्रेस की यात्रा को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करने, किसी राजनीकि षडयंत्र को नजरअंदाज करने, पहले एनआईए ने 88 नक्सलियों को इस मामले में संलिप्त पाया था पर बाद में केवल 9 लोगों के खिलाफ ही चार्जशीट दाखिल की बाद में पूरक चार्जशीट में 30 लोगों के खिलाफ दाखिल की, रमन्ना, गुडसा उसेण्डी, गजराला अशोक आदि के नाम भी चार्जशीट में गायब मिले…। बहरहाल आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है भाजपा भी इस नक्सलीकांड का खुलासा चाहती है तो केंद्र में दबाल डालकर एनआईए से इस जांच को राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी को सहयोग करने क्यों तैयार नहीं करती है…।
और अब बस….
0 भाजपा शासनकाल के पूर्व मंत्री तथा वर्तमान विधायक अजय चंद्राकर ने कहा है कि गोबर को प्रदेश का प्रतीक चिन्ह घोषित किया जाए….। एक टिप्पणी कोरनटाईन में रह रहे अजय की हालत, मनोदशा तथा स्थिति देखकर ही कांग्रेसियों को टिप्पणी करनी चाहिए। भाजपा तो उनके हालात से लगभग परिचित है।
0 नान घोटाले के आरोपी प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला को भूपेश सरकार द्वारा संविदा नियुक्ति देने के खिलाफ भाजपा ही क्यों हाईकोर्ट चली गई है?
0 पाठ्य पुस्तक निगम में एक संयुक्त कलेक्टर को उपमहाप्रबंधक बनाया गया है जाहिर है प्रबंधक उससे उपर के स्तर के अधिकारी को बनाया जाएगा।
0 रमन सरकार के बाद भूपेश सरकार के खास से आम बने एक पुलिस अफसर, दूसरे एक पुलिस अफसर के रिश्तेदार तथा विरोधी और एक मीडिया कर्मी आजकल भूपेश सरकार और उनके कुछ अफसरों की चरित्र हत्या का सुनियोजित अभियान शुरू कर चुके हैं।
0 जांजगीर के पूर्व कलेक्टर, जनकराम पाठक के खिलाफ जुर्म कायम होने के बाद उन्हें पुलिस आखिर क्यों नहीं ढूंढ पा रही है…।