शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
विनायक दामोदर सावरकर ने अंडमान की सेल्यूलर जेल में सज़ा काटते हुए अंग्रेजी हुक़ुमत के सामने जो मर्सी पिटिशन (दया याचिकाएँ) दायर कीं, क्या वो महात्मा गांधी के कहने पर लिखी और भेजी गई थीं….?
अगर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दावे को सच माना जाए तो बिल्कुल ऐसा ही हुआ था….. ये दावा राजनाथ सिंह ने 12 अक्टूबर को सावरकर पर लिखी गई एक नई किताब के विमोचन के मौके पर किया था….. जबकि पुस्तक में इस बात का उल्लेख ही नही है।राजनाथ सिंह ने ‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ नाम की किताब के विमोचन के समारोह में कहा, “सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया. कहा गया कि उन्होंने अंग्रेज़ों के सामने बार-बार दया याचिका दी, लेकिन सच्चाई ये है कि दया याचिका उन्होंने ख़ुद को माफ़ किए जाने के लिए नहीं दी थी, उनसे महात्मा गांधी ने कहा था कि दया याचिका दायर कीजिए. महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने दया याचिका दी थी.”इस बयान के बाद भारत में एक बहस छिड़ गई है. जहाँ एक तरफ विपक्षी पार्टियां इस बयान पर सरकार पर निशाना साध रही हैं, वहीं दूसरी ओर इतिहासकार भी इस बयान की सत्यता पर सवाल उठा रहे हैं.नई किताब में ऐसा कोई ज़िक़्र नहीं….राजनाथ सिंह ,सावरकर और गांधी पर राजनाथ सिंह का ऐसा दावा, जिस पर छिड़ गई है बहस…
‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ या ‘वीर सावरकर: वह शख्स जो बंटवारे को रोक सकते थे’ को उदय माहुरकर और चिरायु पंडित ने लिखा है.
उदय माहुरकर पत्रकार रह चुके हैं और फ़िलहाल भारत सरकार में सूचना आयुक्त हैं माहुरकर ने कहा है कि “मेरी किताब में इसका ज़िक़्र नहीं है ।इधर “वीर सावरकर के छोटे भाई डॉक्टर नारायण राव सावरकर के पोते रंजीत सावरकर हैं और मुंबई में ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ से जुड़े हुए हैं. वे इस बात को नहीं मानते कि महात्मा गांधी के कहने पर वीर सावरकर ने दया याचिका दायर की थी.राजनाथ सिंह के बयान के बारे में वे कहते हैं, “मुझे लगता है इसमें ज़बान फिसलने की बात हो सकती है……महात्मा गांधी ने अपने लेखों में याचिका दायर करने का समर्थन किया था. उन्होंने सावरकर बंधुओं की रिहाई पर दो लेख लिखे थे. गांधी ने कहा था कि हमारे बीच वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन अगर सावरकर शांतिपूर्ण वार्ता के रास्ते पर आ रहे हैं तो हम उनका स्वागत करते हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सावरकर एक महान देशभक्त हैं और वे अंडमान में रहकर मातृभूमि से प्यार करने की क़ीमत चुका रहे हैं.”
रंजीत सावरकर का कहना है कि वीर सावरकर की याचिकाएं सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि अन्य सभी राजनीतिक बंदियों के लिए थीं।विवादित बयान के बारे में गांधी शांति प्रतिष्ठान के चेयरमैन और गांधी के गहन अध्येता कुमार प्रशांत कहते हैं, “ऐसा न तो पहले देखा है न सुना है क्योंकि न ऐसा हुआ, और न कहीं इसके बारे में लिखा गया.”वो कहते हैं, “ये लोग इतिहास के नए-नए पन्ने लिखने की कला में बहुत माहिर हैं. मैं अक्सर कहता हूँ कि जिन लोगों के पास अपने इतिहास नहीं होते, वे लोग हमेशा दूसरों के इतिहास को अपनी मुट्ठी में करने की कोशिश करते हैं. राजनाथजी ने बहुत हल्की बात कर दी है.”कुमार प्रशांत का कहना है कि गांधी का सावरकर के माफ़ीनामे से कभी कोई रिश्ता नहीं रहा है. वो कहते हैं, “अगर माफ़ीनामे जैसी कोई चीज़ गांधी जी के जीवन में होती तो उन्होंने ख़ुद भी अमल किया होता इस पर. उन्होंने न तो कभी माफ़ीनामा लिखा और न ही किसी दूसरे सत्याग्रही के लिए माफ़ीनामे का रास्ता बताया, इसलिए इस बात में किसी भी तरह की सच्चाई और ईमानदारी नहीं है. ये बहुत छिछली चीज़ें हैं। इधर यह भी चर्चा है कि जब सावरकर ने पहला माफीनामा लिखा था तब तो गांधी साऊथ अफ्रीका में थे।
वैक्सीन, फोटो और राष्ट्र के नाम संबोधन…
भारत में कोरोना महामारी से निपटने के लिए 100करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का रिकार्ड बन गया है। भारत सरकार ने मुफ़्त यह वैक्सीन उपलब्ध कराया है। मोदी भक्त तथा भाजपा इसका श्रेय ले रही है। लोग जानते हैं कि कोरोना महामारी का दूसरा चरण भारी पड़ा था… गंगा में बहती लाशे, ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ते लोगों को देखा गया है… मुफ्त में वैक्सीन के पीछे आम जन पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को भी तो देख ही रहा है। खैर 100 करोड़ वैक्सीन के सर्टिफिकेट में नरेंद्र मोदी की फोटो भी सभी के पास पहुंच गई है… फिर भी राष्ट्र के नाम संबोधन के पीछे क्या प्रचार, प्रसार ही है….?
जशपुर दुर्घटना और राजनीति….
जशपुर जिले के पत्थलगांव थाने के अंतर्गत एमपी के एक कार चालक द्वारा नव दुर्गा विसर्जन करने जाते लोगों को कुचलने की वारदात हुई… कार में गांजा उड़ीसा से एमपी ले जाया जा रहा था। बस साधारण सड़क दुर्घटना को लखीमपुर उप्र से जोड़ा गया… वहां तो भाजपा नेता, सेंट्रल गृह राज्य मंत्री के पुत्र द्वारा आंदोलनरत किसानों को रौंदा गया, आरोपी को पुलिस ने पकड़ने में कोताही बरती…. जशपुर में तो आक्रोशित भीड़ ने कार में आग लगा दी, कार सवारों से मारपीट की.. पुलिस ने न केवल उनकी जान बचाई बल्कि उन्हें तत्काल गिरफ्तार भी कर लिया…. बाद में प्रारंभिक रूप से लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मचारी निलंबित कर दिए गए, सीएम बघेल ने मृतक के परिजनों को 50लाख का मुआवजा देने का भी ऐलान किया… गांजा ओडिसा से लाया जा रहा था और एमपी ले जाया जा रहा था। खैर भाजपा ने विरोध करना है इसलिए विरोध भी किया….?
भारत में कोयले का संकट….!
भारत के पास 319अरब टन कोयले का भंडार है फिर भी कोयले की कमी और बिजली उत्पादन संकट की चर्चा तेज क्यों हो गई…? क्या यह सोची, समझी रणनीति थी? वैसे भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का 70 फ़ीसदी से अधिक कोयला संचालित संयंत्रों से ही हासिल करता है. साल 1973 में कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के बाद से अधिकतर कोयले का उत्पादन, सरकारी कंपनियां ही करती हैं.
भारत में 90 फ़ीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया करती है. कुछ खदानें बड़ी कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है. इन कैप्टिव खदानों का उत्पादन कंपनियां अपने संयंत्रों में ही ख़र्च करती हैं.
भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं. दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं.भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक़ भारत के पास 319 अरब टन का कोयला भंडार हैं. भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार छत्तीसगढ़,झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है.दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों में शामिल भारत आज अभूतपूर्व कोयला संकट के कगार पर खड़ा है. आशंका जाहिर की गई है कि यदि समय रहते देश इस संकट से नहीं उबरा, तो बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो सकती है…..?
नेता,मॉल और वायर फैक्टरी….
छग सरकार में शामिल एक नेता आजकल चर्चा में हैं, उनके विभागों में बिना लिये/दिये कोई काम नहीं होता है। छत्तीसगढ़िया/गैर छत्तीसगढ़िया की परिभाषा इनके ही बंगले में सुनने को मिलती है। खैर चर्चा तेज है कि किसी अपने आदमी के नाम पर अपने पुराने ग्रामीण इलाके में डेढ़ से दो एकड़ जमीन पर एक आधुनिक मॉल खुलवा दिया है यही नहीं इलेक्ट्रिक वायर निर्माण की दो फैक्ट्री भी शुरू करवा दी है….? कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को छोड़कर दूसरे गुट में शामिल होने वाले यह नेता यह भी जानते हैं कि यदि छग में नेतृत्व बदला तो उनका पद जाना तय है इसीलिए वे भविष्य की तैयारी में लग गए हैं। वे जगह जगह पी एल पुनिया के निकट होने का भी दावा करते रहते हैं…..? रायपुर के एक कालेज से पढ़े लिखे इस नेता का व्यवहार अपने लोगों से ही बदल गया है। उनके समाज के लोग भी अब आहत हो रहे हैं, जबकि समाज के नाम पर ही उन्हे पद दिया गया है!
और अब बस
0कलेक्टर/एसपी कांफ्रेंस के बाद किस पर गाज गिरेगी यही देखना है….?
0कोरबा, बिलासपुर के एसपी बनते बनते गिरिजा शंकर जायसवाल आखिर नारायणपुर के एसपी बनाने में सफल हो ही गए।
0आईपीएस उदय किरन ट्रेनिग के दौरान बिलासपुर, महासमुन्द में अपनी हरकतों को लेकर चर्चा में रहे… नारायणपुर में भी एक सिपाही से मारपीट करने पर सीएम के कहने पर हटा दिए गए… वैसे सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके खिलाफ एफआईआर करने का आदेश दिया था।
0 राजधानी रायपुर में काफी दिनो बाद बतौर थाना निरीक्षक रह चुके वीरेंद्र चतुर्वेदी, राजेश
चौधरी, नवनीत पाटिल को सीएसपी बनाया गया है।