शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
ईडी जब नगद,सामग्री या प्रॉपर्टी की जब्ती करती है तो बाद में उसका आंकलन किया जाता है। बाद मेंजब्त हुए सामान की बाकायदा विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है। ईडी, भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बरामद रकम की गिनती करने के लिए बुलाती है। इस दौरान नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती खत्म होने पर ईडी, बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार करते हैं। बाद में जब्त हुई नगद राशि को ईडी के किसी भी सरकारी बैंक में जमा कर दिया जाता है। इसमें एक बात और है अगर जब्त हुई राशि, सामान या जेवरात पर कोई निशान हो तो ईडी उसे सील कर लिफाफे में रखती है, जिससे उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके।जब्त किये रुपयों का इस्तेमाल ईडी, बैंक,सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है। एजेंसी एक अंतिम कुर्की आदेश तैयार कर जारी करती है। कुर्की की पुष्टि करने के लिये मामला अदालत के सामने जाता है। इसके बाद मुकदमा समाप्त होने तक पैसा बैंक में पड़ा रहता है। इसके बाद यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो नकद राशि केंद्र की संपत्ति बन जाती है, यदि आरोपी को अदालत द्वारा बरी कर दिया जाता है, तो नकद राशि वापस कर दी जाती है।
छ्ग मंत्रिमंडल का विस्तार
फिलहाल नहीं होगा?
छ्ग में विष्णुदेव सरकार के मंत्रिमंडल में रिक्त 2 मंत्रियों को शामिल करने की चर्चा थी पर फिलहाल विस्तार होगा ऐसा लगता नहीं है।विस सत्र के पहले छ्ग मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा यह तय लग रहा है।क्योँकि केदार कश्यप को संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई है वहीं बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद संसदीय कार्य छोड़कर बाकी विभाग सीएम के पास है।
डीजीपी जुनेजा को छह
माह की सेवा वृद्धि की चर्चा…!
क्या डीजीपी अशोक जुनेजा को 6 माह की सेवा वृद्धि दी जा रही है…?सूत्रों की मानें तो केंद्र सहित राज्य स्तर पर पर इसको लेकर मंथन चल रहा है। दरअसल छग में भाजपा की सरकार बनने के बाद नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई मजबूती से शुरू हुई है।जिसका परिणाम है कि 6 महीने में लगभग 142 नक्सली धाराशायी हो चुके हैं, एक हजार से अधिक नक्सलियों की गिरफ़्तारी हुई है या आत्मसमर्पण किया है। बस्तर में अभी तक लगभग 32 सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए हैं, जो वहां के निवासियों के लिए सुविधा कैंप की तरह कार्य कर रही है। आगामी दिनों में 29 नए सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए जाने की योजना है। नक्सलियों के खिलाफ इस अभियान का नेतृत्व अशोक जुनेजा ने ही किया है। उनसे किसी को कोई शिकायत भी नही है क्योंकि वे काम से काम रखनेवाले अफसर माने जाते हैं, इसलिए यदि राज्य सरकार अनुरोध करती है तो केंद्र सरकार कम से कम 6 माह की सेवा वृद्धि कर दे तो आश्चर्य नही होगा…!
बस्तर आईजी की लम्बी तैनाती,
6-7 माह में रिकार्ड कार्यवाही….
छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभा वित बस्तर में लगभग साढ़े 4 साल की पदस्थापना, पिछले 6-7 महीनों में रिकार्ड नक्सलियों को मुठभेड़ में मारने,गिरफ्तारी तथा आत्म समर्पण कराने का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह निश्चित ही आईजी सुन्दर राज पी.और उनकी टीम को ही जाता है। नक्सली क्षेत्र में लांगकुमेर का पहले कोई विकल्प नहीं माना जाता था, वे 2009 से 20 12 तक बस्तर में पदस्थ रहे फिर आईपीएस एस आरपी कल्लूरी 2014 से 2016 तक वहाँ बतौर आईजी पदस्थ रहे, फिर चर्चा हुई कि कल्लूरी का विकल्प कौन होगा? वैसे कल्लूरी कुछ मामलों में चर्चा में भी रहे।उनके बाद डीआईजी सुन्दरराज पी.को 2 माह के लिये तैनातकिया गया, फिरआईजी विवेका नंद 2017 से 2019 तक बस्तर में पदस्थ रहे।11नव म्बर 2019 को आईजी सुन्दरराज पी.को बस्तर की कमान सौँपी गई और आज तक यानि जुलाई 2024 तक तैनात हैँ ,नवम्बर 24 में उनकी तैनाती के 5 साल पूरे हो जाएंगे। जनवरी में छ्ग में नई सरकार बनने के बाद नक्सली क्षेत्र बस्तर में सुन्दरराज और उनकी टीम ने उल्लेखनीय सफलतापाई है।सुरक्षाबल नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ भी पहुंचकर सफलता पूर्वक मुठभेड़ कर चुका है।आई जी बस्तर रेंज सुन्दरराज पी.से हाल ही में मुलाक़ात हुई,उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में नक्सलियों के विरूद्ध प्रभा वी रूप से नक्सल विरोधी अभियान संचालित किये जाने के परिणाम स्वरूप बस्तर रेंज के अंतर्गत अब तक कुल 142 नक्सलियों के शव मिले ,482 माओ वादियों को गिरफ्तार किया गया तो अभी तक 453 ने आत्मसमर्पण भी किया है। बस्तर रेंज में तैनात पुलिस एवं सुरक्षा बल ने क्षेत्र की जनता की जान- माल की रक्षा हेतु तत्पर होकर माओ वादियों के विरूद्ध प्रभावी रूप से कार्यवाही की जा रही है और आगे भी जारी रहेगी जिससे क्षेत्र कीजनता को नक्सल गतिविधियोें से मुक्ति मिलने के साथ- साथ बस्तर को एक नयी सकारा त्मक पहचान मिलेगी।
छ्ग का शराब घोटाला और
10 हजार पन्नों का आरोप पत्र…..
आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्लू ) ने छग के बहु चर्चित 2 हजार करोड़ रु.के शराब घोटाले का कोर्ट में 10 हजार पन्नों का आरोप पत्र पेश किया।जिसमें तीन चरणों में इस पूरे घोटाले को अंजाम देने का जिक्र किया गया है। पहले चरण में शराब के दामों में बढ़ो तरी,दूसरे में नकली होलो ग्राम का उपयोग और तीसरे चरण में पूरीराशि कीवसूली से लेकर हवाला के जरिये विदेशी कंपनियों में निवेश का ब्योरा है।आरोप पत्र में सीएस एमसीएल के तब के एमडी एपी त्रिपाठी,अनवर ढेबर सहित शराब कारो बारियों,आबकारी अफसरों के भी नाम भी हैं।इलेक्ट्रा निक्स डिवाइस भी सुबूत के तौर पर प्रस्तुत किए गए हैं।ईओ डब्ल्यू का दावा है कि सिंडिकेट ने देसी शराब डिस्टलरी के मालिकों से शराब के रेट बढ़ाने से प्राप्त कमीशन, समानांतर नकली शराब निर्माण,आपूर्ति, क्षेत्र वार कमीशन के रूप में फरवरी 2019 से 23 तक करीब 1,660 करोड़ की अवैध कमाई की। इससे अनवर ढेबर ने परिवार के अख्तर ढेबर,उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर,करिश्मा ढेबर के नाम पर बनाई गई तीन कंपनियों में 35 करोड़ निवेश किए।आरोप पत्र में कहा गया है कि डुप्लीकेट होलोग्राम लगी शराब की आपूर्ति में अधिकारियों ने साथ दिया।मुख्य भूमिका त्रिपाठी ने निभाई। शराब कंपनी डिस्टलरी मालिकों के साथ अनवर के होटल वैनिंगटन में बैठक कर शराब की दर में बढ़ोत्तरी के एवज में कमीशन देने का दबाव बनाया। 2019 केशुरु आत में बैठक में भाटिया वाइंस से भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया,प्रिंस भाटिया,वेल कम डिस्टलरी के राजेंद्र जायसवाल, हीरालाल जायसवाल, नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे। त्रिपाठी व अरविंद सिंह ने वार्षिक कमीशन लेना शुरू किया, हालांकि ईडी ने रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा को इस घोटाले के मास्टर माइंड बताया था।
और अब बस…….
0 किस मंत्री के पीए का थाने में मारपीट का वीडियो वाइरल हो रहा है….?
0 आयुक्त, कलेक्टर और एसपी की तबादला सूची कभी भी जारी हो सकती है….?