कोंडागांव : इन दिनों कोविड -19 महामारी से पूरा देश जूझ रहा है खासतौर से दिहाड़ी मजदूर और रोजाना छुट-पुट धंधा कर अपने परिवार का लालन-पालन करने वाले लोग काफी परेशानी झेल रहे हैं। वहीं वह लोग भी बेहद परेशान हैं जो लोग मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना जीवन चलाते हैं, आज उनका भी हाल बेहाल है ।
कुम्हार प्राचीन परंपरा को बरकरार रखते हुए मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाकर उन्हें बाजार में बेचकर ही अपना जीवन यापन करते हैं और उनका यही व्यवसाय भी है, परंतु कोरोना की मार में उनका व्यवसाय भी लॉकडाउन हो गया है।
जिले में कुम्हारों की बड़ी बस्ती है जहां के कुम्हार परंपरागत मिट्टी के बर्तन खिलौने एवं अन्य सामग्रियां बना कर अपना गुजारा करते हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्य त्योहारों में से एक पोला पर्व के लिए मिट्टी के बैल एवं खिलौने बनाऐं पर बाजार में ग्राहकों की कमी से कुम्हार चिन्तित दिखाई दे रहे है । कुम्हारों का कहना है कि जिस तरह सरकार सबका ख्याल कर रही है वैसे ही हम कुम्हारों के लिए भी व्यवस्था करें ताकि हम अपने परिवार का भरण पोषण कर सके ।