शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओडिसा की मूल निवासी,झारखंड की पूर्व गवर्नर द्रौपदी मुर्मू एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाई गईं हैं। उनके मुकाबले यशवंत सिन्हा विपक्ष के उम्मीदवार होंगे।
अगर द्रौपदी मुर्मू चुनी जाती हैं तो वो भारत के इतिहास में पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. साथ ही अगर वो चुनाव जीतती हैं तो प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। अगर वो जीतती हैं तो ओडिशा राज्य से आने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला गवर्नर रही हैं. वो ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता रही हैं, जिन्हें किसी भारतीय राज्य में गवर्नर बनाया गया हो और जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया हो. द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद संघर्षमय रहा है और उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बड़ा योगदान दिया है. वो एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार में पैदा हुईं. लेकिन उनके अंदर समाज के उत्थान के लिए काम करने की ललक थी. उन्होंने रैरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बिना वेतन के अध्यापन कार्य किया. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर रैरंगपुर एनएसी के वाइस चेयरमैन के तौर पर शुरू किया. उन्हें ओडिशा विधानसभा ने वर्ष 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के तौर पर नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित किया. उन्होंने ओडिशा सरकार में ट्रांसपोर्ट, वाणिज्य, मछलीपालन, पशुपालन जैसे कई अहम विभाग संभाले. यहाँ यह बताना जरुरी है कि 1960 बैच के आईएएस तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (अटलजी के मंत्रिमंडल में शामिल) कुछ विपक्षी दलों की और से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे।
ठेके पर सेना में भर्ती अग्निवीर योजना…
भारतीय सेना में ठेका भर्ती अग्निवीर योजना को लेकर देश में युवाओं, बेरोजगारों के भड़के आंदोलन को लेकर देश में चर्चा तेज है….भूमि अधिग्रहण बिल से लेकर एससी, एसटी एक्ट, सीएए, एनआरसी, कृषि बिल तो वापस लेने पड़े इधर जीएसटी से लेकर नोटबन्दी, अग्निवीर इत्यादि तक सबका विरोध ही हुआ। इस विरोध कोआक्रोशित या असहमति के नजरिये से मत देखिए बल्कि पीछे मुड़कर समझने की कोशिश कीजिए। कोई भी फैसले बिना बातचीत, बिना तैयारी तथा अपनी मर्जी से नहीं थोपे जाते हैं। परिवार में भी जब कोई कार्य किया जाता है तो सभी सदस्यों के बीच विमर्श होता है। एक व्यक्ति यदि फैसले थोपेगा तो वह तानाशाही होती है और तानाशाही आखिर कितनी सही होती है तथा कितने दिन चलती है? अग्निवीरों को विभिन्न सैन्य कौशल और अनुभव, अनुशासन, शारीरिक दक्षता, नेतृत्व का गुण, साहस और “देशप्रेम” की ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी।अब रोजगार के क्षेत्रों की ओर नजर डालें। अब तक “संचार व रेलवे” दो क्षेत्र थे जिसमें रोजगार की सबसे अधिक गुंजाईश थी , इन दोनों क्षेत्रों में कम पढ़े लिखे युवकों के साथ साथ उच्च शिक्षित एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवक बहुतायत में काम पा जाते थे। परन्तु दोनों क्षेत्र निजी हाथों को सौंपे जा रहे हैं तो धीरे धीरे इन क्षेत्रों में रोजगार की सम्भावना भी समाप्त होते जा रही हैं।संचार एवं रेलवे के बाद सेना ही है जो सबसे आधिक रोजगार देती है। सेना में “मॉर्डनाईजेशन” के नाम पर एक विचार उभरा कि सेना में सैनिकों को कम करके उन्नत किस्म के हथियारों पर अधिक व्यय किया जाय जो शायद एक अच्छा विचार हो सकता है। सैन्यबल में सैनिकों की औसत आयू 32 वर्ष से 26 वर्ष लाने के लिए ये “अग्निपथ योजना” लाई जा रही है। इस योजना के लिए युवाओं की न्यूनतम आयु 17 साल 6 महीने और अधिकतम आयु 21 साल निर्धारित की गई है। ये वही उम्र है जिसमें “जोश होता है , अदम्य साहस होता है , कुछ कर गुजरने की इच्छा होती है।” इसलिए इस “अग्निपथ योजना” के मूल में जाने की कोशिश कीजिए। अब सरकार को ‘सैनिक’ नहीं चाहिए ‘शस्त्र’ चाहिए।”अग्निवीरों” के प्रति सरकार की कोई जिम्मेदारी भी नहीं जैसे नई पीढ़ी के शस्त्र आने पर पुराने शस्त्रों को निष्प्रयोजित घोषित कर दिया जाता है वैसे ही इन “अग्निवीरों” को भी चार साल बाद निष्प्रयोजित घोषित कर दिया जाएगा। पर सरकार को ध्यान रखना होगा कि प्रशिक्षण के समय चलाई गई “गोली” और दुश्मन के सीने में धंसी “गोली” के महत्त्व व सम्मान में तनिक भी अन्तर नहीं होता। सैनिक शस्त्र नहीं होता जिसे चार साल में कण्डम कर दिया जाए…. निष्प्रयोजित घोषित कर दिया जाए।17 से 21 वर्ष की वह आयु होती जब युवक अपने लिए एक सुरक्षित रोजगार का चयन करता है। “अग्निपथ योजना” में सुरक्षित रोजगार तो है ही नहीं? अब आते हैं जिन युवकों को इस उम्र में रोजगार नहीं मिल पाता तो वह क्या करते हैं ? वे युवक इस उम्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने , तकनीकी कौशल प्राप्त करने की कोशिश करते हैं ताकि एक सुरक्षित रोजगार मिल सके। इसका तो मतलब यह हुआ इन “अग्निवीरों” को रोजगार के साथ साथ उच्च शिक्षा व तकनीकी कौशल से भी वंचित किया जाना है।”अग्निवीरों” की सैन्य बलों के लिए उपयोगिता तो आप समझ ही गए होंगे। युवक भी “अग्निवीरों” का भविष्य और अपने भविष्य के बार में चेत रहे होंगे क्योंकि छुटपुट विरोध तो होने भी लगा है। पर समाज में “अग्निवीरों” का योगदान क्या होगा…..? सैन्य अनुशासन में जोशखरोश से भरेपूरे , देशप्रेम से ओतप्रोत जब ये युवक समाज में स्वयं को ठगा पाएंगे तो क्या करेंगे ? फिर यह “अग्निवीर” भी इसी देशप्रेम में घण्टा बजाएंगे , हनुमान चालीसा पढंगे और क्या करेंगे रोजगार लायक तो इनको रहने नही दिया जाएगा…..?
पूर्व सीएम चामलिंग
और उद्धव ठाकरे……
महाराष्ट्र के सीएम, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के पास तो हाल ही के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद फिर भी एक दर्जन से अधिक विधायक बच गये हैँ… वे करीब ढाई साल सीएम रहे पर उन्हें यह भी सोचकर संतोष होगा कि 32 साल की उम्र में राजनीतिक करियर के साथ शुरुआत करने वाले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने भारत के इतिहास में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बना लिया था । इससे पहले यह रिकार्ड ज्योति बासु के नाम था जो अब दूसरे नंबर पर आ गए। पवन कुमार चामलिंग ने 29 अप्रैल, 2018 को इतिहास रच दिया। 21 मई 2014 को उन्होंने पांचवीं बार सिक्किम के मुख्यमंत्री पद को संभाला।पर 2019 में विधानसभा चुनाव के कुछ माह पश्चात राज्य में नाटकीय घटनाक्रम में एसडीएफ विधायक दल से 10 विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 2 विधायक एसकेएम में शामिल हो गए और फिर पार्टी में उसके पास एक भी विधायक नहीं था….वो खुद भी चुनाव हार गये थे।वैसे सिक्किम और महाराष्ट्र के पीछे भाजपा की बड़ी भूमिका रही है…..
हीरा खदान और कोर्ट
का स्थगन ….?
छत्तीसगढ़ के विषय में पहले मुख्य मंत्री स्व. अजीत जोगी कहा करते थे ‘अमीर धरती गरीब लोग’। फिर हम केंद्र सरकार की दया पर क्यों निर्भर रहें…? केंद्र और राज्य में अलग-अलग दल की सरकारें हैं जाहिर है कि इन के बीच राजनीति जरूर रहेगी। हमें स्वयंआत्मनिर्भर होना होगा…छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने बड़ी फुरसत से गढ़ा है। यहां 44 फीसदी क्षेत्र वनों से परिपूर्ण है।
छत्तीसगढ़ में हीरा की किम्बर लाईट पाईप होने की पुष्टि हो चुकी है। गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र में हीरा खनिज की मातृशिला किम्बर लाइट की 6 पाईप लाईन बेहराडीह, पायलीखंड, जांगड़ा, कोरोमाली, कोसमबुड़ा एवं बेहराडीह क्षेत्रों में होने की संभावना प्रकट की गई है। बेहराडीह और पायलीखंड में तो किम्बर लाइट पाईप में हीरा होने की पुष्टि भी हो गई है। वैसे राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में 2002-2003 में एक निजी कंपनी के हीरा पूर्वेक्षण खनन लायसेंस को निरस्त कर दिया गया था और संबंधित कंपनी उच्च न्यायालय बिलासपुर जाकर स्थगन ले लिया था। उसके बाद प्रदेश में 15 साल तक एक ही पार्टी भाजपा की सरकार रही, केवल एकमात्र डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री रहे और बिलासपुर उच्च न्यायालय में इस मामले में पेशी दर पेशी ही चलती रही…। 15 साल की भाजपा की सत्ता को 68 (उपचुनाव के बाद 71) सीटे जीतकर भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार बन गई है। 3साल से अधिक समय हो चुका है पर हीरा पूर्वेक्षण खनन के मामले में न्यायालय में कुछ प्रगति हुई है ऐसा लगता नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य बना था तो इसे करमुक्त राज्य बनाने का सपना दिखाया गया था उसका क्या हुआ…?
भूपेश सरकार ने किसानों की उन्नति के लिए कुछ बड़े कदम उठाये हैं, आदिवासियों की उन्नति के लिए भी प्रयास तेज किये हैं, उन्हें विरासत में खराब आर्थिक स्थिति प्रदेश की मिली है फिर कोरोना संक्रमण और लॉकडाऊन के चलते आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई है भूपेश सरकार लगातार केन्द्र की मोदी सरकार से आर्थिक पैकेज मांग रही है पर प्रदेश में कांग्रेस और केंद्र में भाजपा की सरकार होने से यह अपेक्षित सहयोग प्रदेश सरकार को मिलेगा ऐसा लगता नहीं है…? वैसे भी पिछले कुछ सालों से केंद्र राज्यों के संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं ऐसे छत्तीसगढ़ कोआत्मनिर्भर बनाने गर्भ में छिपा हमारा हीरा बड़ी भूमिका निभा सकता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर 18 -19 सालों से बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित हीरा मामला किस स्थिति में है, मामले के निराकरण में आखिर क्या दिक्कतें है….?भूपेश बघेल को चाहिए कि कुछ बड़े वकीलों का पैनल बनाकर इस लंबित मामले का निराकरण कराना चाहिये उन्हें लिए व्यक्तिगत रूचि भी लेनी होगी…।
और अब बस…
0 बोरवेल से राहुल साहू को निकालने वालों को सम्मानित किया गया। पर जनसंपर्क के दिल्ली में नेशनल मिडिया देख रहे एक अफसर को विमान से बुलवाकर बड़े होटल में ठहरा कर सम्मान करवाना किसी को समझ में नहीं आ रहा है….?
0 छ्ग काडर के दूसरे वरिष्ठ आईपीएस स्वागत दास को केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव आंतरिक सुरक्षा बनाया गया है।
0 छ्ग के आईएएस अमित कटारिया की केंद्र में प्रतिनियुक्ति 2साल और बढ़ गईं है।