कोरोना महामारी को दुनिया में आये करीब 11 महीने होने को हैं। वहीं देश में इससे हमारा पाला 9 माह पहले पड़ा। जब केरल में चीन के वुहान विश्वविद्यालय से आए एक छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे। छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला केस मार्च में आया था। यानी कि 7 महीने पहले। आज छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। हम खुद के लिए और खुद के परिवार के लिए चिंतित हैं। खुद की सुरक्षा व सलामती के लिए हरसम्भव प्रयास भी करते रहे। लेकिन हमारे बीच एक वर्ग ऐसा भी है, जो खुद की व खुद के परिवार की परवाह किये बगैर सम्पूर्ण मानव जाति की सलामती के लिए दिन रात लगा हुआ है। तमाम आक्षेप, उलाहना, आरोप व उपेक्षा के बाद भी उसने न तो अपना संयम खोया न ही आक्रोश की राह अपनायी। अपनी हिपोक्रेटिक ओथ से बंधे ये डॉक्टर्स सचमुच भगवान का ही रूप हैं, ये बार फिर कोरोना महामारी ने साबित कर दिया है। एक ऐसी बीमारी, जिसका कोई इलाज नहीं है, फिर भी डॉक्टर्स उन्हें ठीक कर घर भेज रहे हैं।
लोग एक साधारण मास्क लगाने में घबरा रहे हैं। तो सोचिये की डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट में ग्लव्स, मेडिकल मास्क, गाउन और एन95, रेस्पिरेटर्स जैसी वस्तुओं को 8-8 घण्टे कैसे पहन रहे होंगे?
हम ये भी भूल जाते हैं कि डॉक्टर्स भी इंसान हैं। उनकी भी अपनी शारीरिक या मानसिक परेशानियां हैं। वे भी अपने स्तर पर उनसे जूझ रहे हैं। हम जितना अपने प्रियजनों से प्रेम करते हैं, उतना कोई उनसे भी करता होगा। लेकिन उसके लिए वे अपने घर पर नहीं रुके, बल्कि आपकी हमारी सेवा करने के लिए अस्पताल तक आये।
जिस तरह पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती,उसी तरह सब गलत नहीं होते। इसलिए जो इस महामारी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें कोसने के बजाए उनके त्याग, समर्पण और सेवा भाव के प्रति कृतज्ञता भी दर्शाएं। हमारे अनुरोध पर डॉक्टर्स ने आपके लिए कुछ सन्देश भेजें हैं। उसे सुनिए और उसके मर्म को समझिए। सावधान रहिये, स्वस्थ रहिये और जिम्मेदार नागरिक की भूमिका भी निभाइये। हम सब मिलकर जरूर कोरोना को हराएंगे। ये दुनिया फिर पहले जैसी होगी।