{किश्त 176}
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सीपी एंड बरार के समय का लाखेनगर का जयस्तम्भ, राज टाकीज का शिलान्यासी पत्थर आजभी अतीत की गवाही दे रहा है।सहकारिता पुरोधा लाखेजी को समर्पित जयस्तम्भ,राज सिनेमा का शिलान्यासी पत्थर अंग्रेजों द्वारा भी छत्तीसगढ़ के अस्तित्व को मानकर “कमिश्नर छत्ती सगढ़” की नियुक्ति की भी गवाही देता है।अविभाजित मप्र के पहले,मध्य प्रान्त सेंट्रल प्रोविंस एन्ड बरार स्टेट यानि सीपी एंड बरार कहलाता था। तब इसकी राजधानी नागपुर थी। वहाँ के विस अध्यक्ष घनश्याम सिंह गुप्ता,सीएम पंडित रविशंकर शुक्ल, विधान सभा नेता प्रतिपक्ष ठाकुर प्यारेलाल सिंह तीनोँ ही छत्तीसगढ़ के निवासी थे यह भी इतिहास में दर्ज है। सीपी एंड बरार स्टेट की यादें अब किताबों के पन्नों तक सीमित रह गई हैं। किंतु रायपुर में अब भी कुछ जगह मौजूद हैं जो कि “सीपी एंड बरार” के समय की याद दिलाती हैं। राज टाकीज में अभी भी लगे शिलालेख से पता चलता है राज सिनेमा,कभी मेहर सिनेमा कहलाता था। 30 दिसम्बर 1946 को सिनेमा गृह की आधार शिला छत्ती सगढ़ के कमिश्नर के.बी. एल. सेठ (आईसीएस) की पत्नी श्रीमती महालक्ष्मी सेठ ने रखी थी। राज सिनेमा भवन के ही मुख्य दरवाजे में ऐतिहासिक शिलान्यासी पत्थर आज भी अंग्रेजों के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता की गवाही देता है, यानि उस समय भी छत्तीसगढ़ का अस्तित्व था तभी तो कमिश्नर छत्तीसगढ़ का पद था(यह बात और है कि आजादी के बाद अपनों ने ही छत्तीसगढ़ को भुला दिया था, आजादी के बाद छत्तीसगढ़ कॉलेज और छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस दो ही नाम चर्चा में रहे) राज टाकीज के मालिक फिल्म कार व्ही. शांताराम हुआ करते थे।टाकीज का नाम अपनी फिल्म प्रोडक्शन यूनिट राजकमल स्टूडियो के नाम पर रखा था। बाद में इसे राठी ग्रुप ने ख़रीद लिया और राज से कमल हटाकर राज नाम रख लिया।लाखे नगर चौक के पास बने जय स्तम्भ चौक में लगे पत्थर में भी सीपी एंड बरार स्टेट का उल्लेख मिलता है। आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को शहर के ह्रदय स्थल जय स्तम्भ चौक में अंग्रेजोँ के खिलाफ विजय के प्रतीक जयस्तम्भ की स्थापना की गई थी। उसी दिन खम्हार डीह में भी जयस्तम्भ बना या गया। लाखेनगर चौक में जयस्तम्भ की स्थापना 1949 में की गई। स्वतंत्रता सेनानी,छत्तीसगढ़ में सह कारिता के अगुवा स्व. वामन बलिराम लाखे को समर्पित जयस्तम्भ का उद्घाटन पं.रवि शंकर शुक्ल ने किया था उनका नाम वहां सीपी एंड बरार स्टेट के प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज है। शुक्ल ही राज्यों के पुन र्गठन 1956 के बाद नये मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्य मंत्री बने थे ।