{किश्त 41}
छत्तीसगढ़ में कॉंग्रेस के बड़े नेता पूर्व सीएम श्यामाचरण शुक्ला, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला,अरविन्द नेताम,अजीत जोगी,संत कवि पवन दीवान कांग्रेस छोड़ी थी तो भाजपा केनेता ताराचंद साहू,नंद कुमार कुमार साय भी पार्टी से अलग हुए पर दलबदल का कोई लाभ नहीं हुआ…. श्यामाचरण ,विद्याचरण अरविन्द नेताम,पवन दीवान आदि को फिर कांग्रेस में लौटना पड़ा,हां अजीत जोगी,ताराचंद साहू जरूर पार्टी में वापस नहीं लौटे,नेताम तो फिर बागी की भूमिका में हैं तो नंद कुमार साय तो हाल फिलहाल भाजपा से कॉंग्रेस में आये हैं।छग में दलबदल करने वाले नेता चुनावी सड़क पर औंधे मुंह गिरते हैं।आपातकाल के बादकॉंग्रेस में विभाजन हुआ तब छ्ग के बड़े नेता पंडित श्यामा चरण शुक्ला कॉंग्रेस (आर) में ही रह गये जबकि उनके छोटे भाई विद्याचरण शुक्ला,इंदिरा गांधी के साथ कॉंग्रेस (आई) में चले गये।बाद में कई सालों की प्रतिक्षा के बाद श्यामाचरण शुक्ला की वापसी हो सकी। छ्ग राज्य गठन के बाद पहला दल बदल मरवाही से तत्कालीन भाजपा विधायक राम दयाल उइके ने किया।उइके की सीट पर चुनाव जीतकर अजीत जोगी तो सीएम बन गए,लेकिन कांग्रेस की 15 साल सरकार नहीं बनी और उइके को सत्ता सुख नहीं मिल पाया। 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष रहे उइके ने एक बार फिर कांग्रेस को छोड़कर भाजपा सदस्यता ली।उइके अपना चुनाव तो हारे ही,भाजपा भी सत्ता से बाहर हो गई। पिछले चुनाव से पहले स्वर्गीय अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी जोगी कांग्रेस का गठन किया था परंतु उन्हें भी कोई खास सफलता नहीं मिल पाई।राज्य गठन के समय सीएम पद के प्रबल दावेदार रहे विद्याचरण शुक्ल को ज़ब कांग्रेस संगठन ने सीएम नहीं बनाया,तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी।राकांपा में गए और विधानसभा चुनाव लड़ाया ,लेकिन उनकी पार्टी से सिर्फ एक विधायक चुना गया। बाद में फिर विद्या चरण की कांग्रेस में वापसी हुई,लेकिन वह राजनीतिक कद नहीं प्राप्त कर सके। विद्याचरण के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले शक्राजीत नायक रायगढ़ से विधायक बने,लेकिन अगले चुनाव में वह हार गए।बाद में उनके बेटे प्रकाश नायक कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने। आदिवासी नेता अरविंद नेताम की इंदिरा गांधी के जमाने में पूछपरख थी।बस्तर के एकलौते बड़े नेता के रूप में पहचान थी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर एनसीपी में चले गये।बसपा से भी चुनाव लड़ा फिर भाजपा के साथ भी गए,फिर कांग्रेस में वापसी हुई। लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दिन पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस पकड़ा दिया।इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले अपनी राजनीति कर रहे थे।हालांकि उनका एक भी विधायक नहीं चुना गया। ओबीसी वर्ग के बड़े नेता और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताराचंद साहू ने छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच का गठन किया,लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाए। उनकी पार्टी को न तो लोकसभा चुनाव में सफलता मिली,न ही विधानसभा चुनाव जीत पाए। 2018 के चुनाव में ताराचंद के बेटे दीपक साहू भाजपा में चले गए। लेकिन उनको भी चुनावी सफलता नहीं मिली।अजीत जोगी के सीएम बनने के बाद भाजपा के 12 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी।बाद में इनमें से कुछ ही राजनीति में सफल रहे……?