उज्जैन। उज्जैन महाकाल स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के गेट साल में एक बार नाग पंचमी पर 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन भगवान नागचंद्रेश्वर के भक्तों को दर्शन होते हैं। इस बार भी नाग पंचमी के दिन पट खोले गए हैं। कहा जाता है कि नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पार्वती विराजमान है। इसके साथ ही इसमें नंदी और सिंह भी विराजमान है। भगवान शिव की पूरी दुनिया में यह एक अनोखी प्रतिमा है जिसमें नाग शैया पर भोले विराजमान है। इस अद्भुत प्रतिमा के साथ मंदिर में सप्तमुखी नाग देव की प्रतिमा है। नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा में भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी भी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। मंदिर को लेकर माना जाता है कि 1050 ईस्वी के आसपास परमार राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद 1973 सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोध्दार करवाया था।