कैंसर के प्रबंधन में बेहद कारगर इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री 23 फरवरी को नई तकनीकों पर लाइव प्रशिक्षण
रायपुर.। . पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर में इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी) पर संगोष्ठी-सह-कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। महाविद्यालय के पैथोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के अनेक विशेषज्ञ, प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों के पैथोलॉजी विभाग के प्राध्यापक और निजी अस्पतालों के पैथोलॉजिस्ट हिस्सा ले रहे हैं। संगोष्ठी में पैथोलॉजी के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को कैंसर के इलाज में इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री के महत्व व उपयोग के साथ ही इस क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान, शोध-पत्र और पत्रिका प्रकाशन के बारे में जानकारी दी जा रही है।
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. चंद्राकर ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। कोलकाता के इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, एस.एस.के.एम. अस्पताल की प्राध्यापक डॉ. मधुमिता मुखोपाध्याय ने कार्यशाला में ‘यूटीलिटी ऑफ आईएचसी इन ट्रूकट बायोप्सी ऑफ लंग ट्यूमर्स’ पर कहा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। कैंसर के विभिन्न प्रकारों के बीच अंतर बताने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। कैंसर के ट्यूमर में पाई जाने वाली असामान्य कोशिकाओं के निदान में इम्यूनोहिस्टोकेमिकल स्टैनिंग का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाओं की सतह पर हॉर्मोन रिसेप्टर्स की जांच के लिए किया जाता है।
उद्घाटन सत्र को सम्बोन्धित करते हुए रायपुर मेडिकल कॉलेज की अधिष्ठाता डॉ. आभा सिंह ने भी रोगों की जांच व निदान में आईएचसी की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज इस क्षेत्र में नई तकनीक के आ जाने से मरीज की बीमारी का सटीकता से पता लगाकर बेहतर उपचार करने में मदद मिल रही है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल ने बताया कि इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री जांच की ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है जिससे गंभीर बीमारियों के डायग्नोसिस में मदद मिल रही है। समय के साथ आईएचसी कैंसर रोग के बेहद कारगर निदान के तौर पर उभरा है। इससे कैंसर प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है।
डॉ. नेरल ने कहा कि कार्यशाला में इस विषय पर उच्च स्तरीय व्यवहारिक एवं वैज्ञानिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में आईएचसी से कैंसर निदान की सुविधा शुरू करने में मदद मिलेगी। उन्होंने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉउंसिल ने इस कार्यशाला को मान्यता प्रदान करते हुए इसमें शामिल प्रतिभागियों को दो क्रेडिट प्वाइंट्स देने की घोषणा की है। रायपुर मेडिकल कॉलेज की ओर से डॉ. वर्षा पाण्डेय ने इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री विषय पर पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। कार्यशाला का तकनीकी संयोजन कोलकाता की एस.पी. इंटरप्राइजेस द्वारा किया जा रहा है।
23 फरवरी को विशेषज्ञों द्वारा लाइव प्रशिक्षण
संगोष्ठी के दूसरे दिन 23 फरवरी को हैंड्स ऑन लाइव कार्यशाला में कोलकाता के डॉ. (मेजर) पलाश मंडल, प्राध्यापक डॉ. मधुमिता मुखर्जी, तकनीकी विशेषज्ञ आर.एन. भूनिया एवं एस.पी. जैन इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री की नई तकनीक के संबंध में लाइव प्रशिक्षण देंगे।