{किश्त 157}
भारत की राजनीति में आदिवासी नेता अरविन्द नेताम बड़ा नाम रहा है, इंदिरा गाँधी,नरसिम्हाराव मंत्रिमंडल के सदस्य रहे,तो इनकी पत्नी छबीला भी सांसद रह चुकी हैं, वैसे इनकी डॉक्टर बेटी ने भी विस चुनाव लड़ा था पर वह जीत नहीं सकीँ।एमए और एलएलबी के अलावा लंदन से पर्यावरण का सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले अरविंद नेताम ने 29 साल की उम्र में पहला चुनाव बस्तर की कांकेर लोकसभा सीट से लड़ा था।पांचवीं लोकसभा के लिए 1971 में हुए इस चुनाव में नेताम ने एकमात्र प्रतिद्वंद्वी जनसंघ के बृज लाल सिंह बारसाय को हरा संसद में पहुंचे। इंदिरा गांधी ने तब युवा नेताम को अपने मंत्रिमंडल में जगह भी दी।उस समय अरविंद नेताम को केंद्र सरकार में शिक्षा समाज कल्याण, संस्कृति उपमंत्री बनाया था।1980, 1984,1989 और 1991 में भी नेताम,कांकेर से ही सांसद चुने गयेअविभाजित मप्र में कांग्रेस पार्टी के कार्य कारी अध्यक्ष समेत पार्टी में कई जिम्मेदारियां भी संभा लीं।1993 से1996 तक वे नरसिम्हा राव की सरकार में कृषि राज्यमंत्री भी रहे,ये वही दौर था,जब 1993 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पर्यवेक्षक सीताराम केसरी ने चुनाव जीतने पर राज्य में आदिवासी सीएम बनाने की घोषणा की थी।अरविंद नेताम,अजीत जोगी और दिलीप सिंह भूरिया जैसे नेता पहले से ही राज्य में आदिवासी सीएम की मांग करते रहे थे।इस सीट पर भाजपा के सोहन पोटाई जीत कर आए,बाद में इन्हीं सोहन पोटाई के साथ मिल कर नेताम ने सर्वआदिवासी समाज की कमान संभाली, 2017 में ‘जय छत्तीसगढ़ पार्टी’ भी बनाई।2012 में राष्ट्रपति चुनाव के समय अरविंद नेताम ने यूपीए के राष्ट्रपति के लिये प्रणब मुख र्जी की जगह आदिवासी नेता पीए संगमा को सम र्थन दिया था।चुनावी हार के बाद 1998 में अरविंद नेताम की घर वापसी हुई।दो साल बाद छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना लेकिन अरविंद नेताम हाशिये पर रहे।15 अक्टूबर, 2003 को नेताम ने कांग्रेस छोड़ एनसीपी का दामन थाम लिया।लेकिन चार महीने में ही उनका एनसीपी से मोह भंग हो गया,7 फरवरी 20 04 को नेताम भाजपा में शामिल हो गए लेकिन वहां भी मन नहीं लगा,अंततः 21 सितंबर, 2007 को वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए, 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के समय यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी की जगह आदिवासी नेता पीए संगमा को समर्थन दिया था।नेताम ने तब कहा था,”हम आदि वासी राष्ट्रपति के पक्ष में हैं।नेताम एक बार बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैँ पर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था।इस तरह अरविन्द नेताम का कॉंग्रेस छोड़ दूसरी पार्टी में आने- जाने का सिलसिला जारी रहा,अभी भी वे कांग्रेस से बाहर हैं।
पत्नी छबीला नेताम भी
बनी थी लोस सदस्य…
1991 के बहुचर्चित हवाला कांड में अलग अलग राज नीतिक दलों के नेताओं का नाम चर्चा में आया, उनमें एक नाम अरविंद नेताम का भी था।हवाला कांड को कारण बताते हुए 1996 में कांग्रेस पार्टी ने नेताम की जगह उनकी पत्नी छबिला नेताम को टिकट दिया और छबिला नेताम ने भी जीत हासिल की।छबीला अरविंद नेताम कांग्रेस से कांकेर से 11वीं लोकसभा में 1996 -1998 तक सदस्य रहीं।उन्होंने भाजपा के सोहन पोटाई को 24,420 मतों से पराजित किया था। छबीला का जन्म 22 मई 1948 को बस्तर के भैसमुंडी गाँव में हुआ था, उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की थी ।इस बीच अरविंद नेताम के छोटे भाई और मध्यप्रदेश सरकार में वन मंत्री, शिव नेताम का नाम बस्तर में पेड़ कटाई से जुड़े ‘मालिक मकबूजाकांड’ में आया।हवाला कांड के बाद ‘मालिक मकबूजा कांड’ में शिव नेताम की भी कथित संलिप्तता केआरोप के बाद पार्टी के भीतर ही नेताम परिवार को लेकर विवाद बढ़ता गया….!