आदिवासी अंचल बस्तर और पूर्व राष्ट्रपतियों का प्रवास…

{किश्त 98}

आदिवासी अंचल बस्तर का एक अलग आकर्षण है। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद,मिसाइल मैन एपीके कलाम,प्रतिभा पाटिल सहित रामनाथ कोविंद बस्तर प्रवास पर आ चुके हैं,कुछ ने तो वहाँ रात्रि विश्राम भी किया है।
आदिवासी तथा नक्सल प्रभावित बस्तर में 2 दिन के प्रवास पर आकर,रात्रि विश्राम करने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।हालांकि वे बस्तर जाने वाले तीसरे राष्ट्रपति है।देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद 23 मार्च 1953 को बस्तर प्रवास पर आये थे।उसके आगमन के करीब 51 साल बाद नया राज्य बनने के बाद 4 जून 2004 को राष्ट्रपति मिसाइलमैन एपीजे कलाम भी बस्तर पहुंचे थे।पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल 29 सितंबर 2008 को बस्तर -चित्रकूट प्रवास पर पहुंची थी और उसके करीब 10 साल बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दो दिवसीय प्रवास पर 25-26 जुलाई 2017 को बस्तर प्रवास पर रहे।कोविंद ने रात्रि विश्राम भी बस्तर में ही किया।दंतेवाड़ा धूर नक्सली क्षेत्र में कई कार्यक्रमों में राष्ट्रपति कोविंद ने शिरकत की थी।भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 23 मार्च 1952 को जगदलपुर से 15 किमी दूर बस्तर ग्राम में नेहरू बालक छात्रावास भवन का लोकार्पण किया था,हाईस्कूल मैदान में सभा भी ली थी।सीपीएंड बरार के सीएम रविशंकर शुक्ल, आदिम जाति कल्याण मंत्री तथा सारंगढ़ के राजा नरेश चंद्र भी साथ थे। डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के हिन्दी में दिये गये भाषण का अनुवाद हल्बी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेतासूर्य पाल तिवारी ने किया था।मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे कलाम,डीआरडीओ के अध्यक्ष के रूप में तो कई बार बस्तर आये,साथ ही बस्तर में रक्षा अनुसंधान एवं रिसर्च सेंटर कीस्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।बतौर राष्ट्रपति 4 जून 2004 को वे आये थे।वे तोकापाल ब्लाक के राज सरगीपाल में जनसभा को संबोधित किया था।अंग्रेजी में उनके दिये भाषण का अनुवाद तब इकबाल ने किया था।महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी अपने पति के साथ 29 सितंबर 2008 को बस्तर प्रवास पर आई थीं,चित्रकूट जलप्रपात की खूबसूरती को निहारा था उन्होंने न तोआमसभा ली,न ही किसी कार्यक्रम में ही शिरकत की थी।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्नी के साथ 25 जुलाई 2017 को बस्तर प्रवास पर आये थे ।उन्होंने तो रात चित्रकूट के रेस्ट हाऊस में गुजारी और देर रात तक चित्रकूट जलप्रपात की खूबसूरती का नजारा देखते रहे थे।

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