{किश्त78}
छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित बस्तर प्राकृतिक सौंदर्यता,जैव विविधता को लेकर कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी के प्रश्नपत्र में शामिल हो गया है।बस्तर के दस्तावेज कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी में पहले से शामिल है।बस्तर पर ही फिल्माई गई पहली फिल्म विवि के साऊथ एशियन अध्ययन केन्द्र का हिस्सा पहले से ही है।ईएस हाईड ने 25 मिनट फिल्म बनाया था जिसमेंबैलाडिला की पहाडिय़ां,चित्रकोट जल प्रपात,मुरिया आदिवासियों के रस्म रिवाज आदि को शामिल किया गया था। बस्तर से लौटकर ब्रिटिश पत्रकार जिलस्टे्रली ग्रेरंगर के यात्रा वृतांत पर लिखे एक लेख को लेकर प्रश्नपत्र बनाया गया था। यात्रावृतांत में कांगेर नेशनल पार्क के पशु-पक्षी,पहाड़ी मैना जंगली भैंसे,उड़ते सांप आदि के उल्लेख के साथ ही कुटुमसर की प्राकृतिक संरचना,अंधी मछलियों का भी जिक्र है तो मां दंतेश्वरी मंदिर,विश्व में सबसे लंबे समय तक चलनेवाले बस्तर दशहरा का भी जिक्र है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रश्नपत्र में बस्तर को जगह मिलने से अंतरराष्ट्रीय स्तर में बस्तर को शामिल करने से निश्चित ही छग को नई पहचान मिलेगी यह तय है।वहीं छग के लोकगीत और लोकनृत्य पर अमेरिका में शोध हो रहा है।छग के लोकगीतों पर शोध करने कांकेर पहुंची एमरी यूनि वर्सिटी की प्रो.जो.एस. फ्लिकिंगर ने माना था कि भारत की संस्कृति,धर्म निरपेक्षता से विश्व प्रभावित है।छग के लोकगीतों की किताब एमरी युनिवर्सिटी की लायब्रेरी में है।वे छग की मितान परंपरा के बारे में भी पढ़ाती हैँ।राज नांदगांव जिले की नांगल दाह निवासी पूर्व महिला सरपंच दीलिपबाई वर्मा से भोजली मितान परंपरा का निर्वाह कर रही है छ्ग की भरथरी,बांसगीत सुआ नाच,रेला,चुटकी,धनकुल सहित ब्रज के फाग गीत, मध्यभारत केआल्हा को अमेरिका के अटलांटा स्थित एमरी यूनिवर्सिटी में कला संकाय के विद्यार्थी पढ़ने के साथ इस पर शोध भी कर रहे हैं।ज्ञात रहे कि आदिवासी अंचल बस्तर शुरू से ही विश्व के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है।बस्तर घोटुल सांस्कृतिक केन्द्र,आदिवासी परंपराएं हो,आदिवासियों के आंगा देव हो,आदिवासी नृत्य भी विदेशों में जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।ज्ञात रहे कि दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर तथा कांकेर सियासत के डॉ.आदित्य प्रताप ने भी आदिवासी परंपरा के आंगादेव पर अंग्रेजी में एक पुस्तक पूर्व में लिखी थी।