टूटे तो बहुत ही चुभते हैं…… क्या कांच, क्या ख्वाब, क्या रिश्ते……

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

देश के एक प्रमुख,अविभाजित मप्र, छ्ग के सबसे बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने लगभग 50 साल तक रहने के बाद जनसंघ, भाजपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली है, यह भाजपा के लिये बड़ा झटका है। उनका कहना है भाजपा,अटल-आडवाणी की पार्टी अब नहीं रही….? भाजपा में उपेक्षा का भी उनका आरोप है।सच्चाई यह है उनकी राजनीतिक राह में साजिश रची गईं…।1977 में दो आदिवासी साय और ननकी राम कंवर पहली बार विधायक बने थे। साय 85,98 में भी विधायक बने वहीं 89और 96 में रायगढ़ से लोस सांसद तथा 2009में राज्यसभा सदस्य बने तो 2017 में अनुसूचित जनजाति आयोग के केंद्रीय अध्यक्ष बनाये गये थे।मप्र तथा छ्ग के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पर बाद में उन्हें छ्ग भाजपा की कोर कमेटी से भी हटा दिया गया।उन्हें छ्ग राज्य बनने के बाद पहला नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। अजीत जोगी के खिलाफ सड़क पर उतरने वाले नंद कुमार साय क़ो साजिश कर छ्ग के पहले विस चुनाव में मरवाही में तब के सीएम अजीत जोगी के खिलाफ प्रत्याशी बनाया गया,वे चुनाव हार गये।यदि वे अपनी सीट तपकरा से लड़ते,जीतते तो छ्ग के सीएम भी बनते….!चुनावी इतिहास में ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि सीएम के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष क़ो चुनाव लड़ाया गया हो…? खैर बाद में भाजपा की छग में 15 साल सरकार रही पर ये उपेक्षित रहे, इनक़ो लोस प्रत्याशी भी नहीं बनाया गया, हाँ 2009 में राज्य सभा सदस्य बनाया गया,उसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी)का अध्यक्ष बनाया गया,उस पद से हटने के बाद उनकी उपेक्षा का दौर जारी रहा…साय के भाजपा छोड़ने के पीछे वजहें जो भी रही हों,यह तय है कि भाजपा के लिए अब चुनावों में कठिनाइयां बढ़ेंगी। छत्तीसगढ़ में 32% आबादी आदिवासियों की हैऔर कुल 90 में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। पिछली बार भाजपा को आदिवासी इलाकों में एक भी सीट नहीं मिली थी, तो इस बार भी जीत के आसार दिख नहीं रहे….? बल्कि विधानसभा के बाद लोस चुनावों में भी भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। साय के कांग्रेस प्रवेश से अब बस्तर से लेकर सरगुजा तक कांग्रेस को जो मुश्किलें पेश आ रही हैं, उन्हें दूर करने में मदद मिल सकती है, यानी कांग्रेस के लिए दोनों तरह से जीतने वाली स्थिति है, बशर्ते वह साय जैसे वरिष्ठ और जमीन से जुड़े राजनेता का सही इस्तेमाल राज्य और आदिवासियों के हित में करे…? हाँ नंद कुमार साय अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, वैसे वे लोकसभा के लिये भी एक मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं।

रोजगार का रास्ता
सुको ने किया साफ..   

सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण देने पर लगी हाईकोर्ट की रोक को हटाते हुए बड़ी राहत प्रदान की है। इससे सरकार को आरक्षण के तौर पर नियुक्ति देने का रास्ता साफ हो गया है। उल्लेखनीय है कि आरक्षण के इस मुद्दे के कारण विगत वर्षों से सरकारी पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही थी। यहां पर यह बताना भी लाजमी है कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ते की राशि प्रदान करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने युवाओं को संबोधित करते हुए भरोसा दिलाया था कि अखबारों में अब नौकरी के भर्ती विज्ञापन ही दिखाई देंगे और भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार को एक बल मिला है।वैसे विस से सर्व सम्मति से आरक्षण का प्रस्ताव पूर्व राज्यपाल के समय से ही राजभवन में लंबित है।नये राज्यपाल इस पर निर्णय लेंगे ऐसा लगता तो नहीं है।

विस,लोस चुनाव
अमिताभ ही कराएंगे…  

छ्ग में मुख्य सचिव अमिताभ का कार्यकाल 2025 तक रहेगा वैसे अभी के हालात में यह तय माना जा रहा है कि अगला विस और लोस चुनाव वही करवाएंगे।छग में 89 बैच के आईएएस अमिताभ जैन का नंबर वरिष्ठता में सबसे उपर आता है वे अपने बैच के अकेले अफसर हैं । उनके बाद 90 बैच का कोई आईएएस छग में नहीं है। 91 बैच की आईएएस रेणु जी पिल्ले हैं तो 92 बैच के हैँ सुब्रत साहू।अभी दोनों ही एडीशनल चीफ सेक्रेटरी है।वहीं इनके बाद 93 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में है। इसके बाद 94 बैच की रिचा शर्मा, निधी छिब्बर, विकासशील और मनोज पिंगुआ हैं जिनमें मनोज पिंगुआ को छोड़कर बाकी तीन को केंद्र सरकार ने एडीशनल सेक्रेटरी इम्पेनल किया है,वैसे अमिताभ और रेणु पिल्ले केंद्र में एडीशनल सेक्रेटरी इम्पेनल पहले ही हो चुके हैं वहीं अमित अग्रवाल एडीशनल सेक्रेटरी के तौर पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। खैर 94 के बाद 95 बैच की मनिंदर कौर,गौरव द्विवेदी है इसके बाद 97 बैच की निहारिका बारिक हैं। 98 बैच के सुबोध कुमार सिंह हैं।99 बैच के सोनमणी वोरा का नंबर आता है। इसके बाद 2001 बैच की शहला निगार, 2002 बैच के डॉ. कमलप्रीत सिंह एवं डॉ. रोहित यादव हैं। 2003 बैच की ऋतु सेन, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, 2004 बैच की पी. संगीता, आर. प्रसन्ना, अमित कटारिया, अवलंगन पी,अलरमेल मंगई डी का नंबर आता है। बहरहाल अमिताभ 2025 में रिटायर होंगे।

निज़ात अभियान को बिलासपुर
मेंअच्छी सफलता…. 

अवैध नशे के खिलाफ कार्यवाही और जागरूकता अभियान “निजात” के तहत सिर्फ तीन माह के दौरान ही एनडीपीएस व आबकारी में ताबड़तोड़ कार्यवाही में कुल 1733 प्रकरणों में 1845 लोग गिरफ्तार किये गये जिसमे गैर- जमानतीय प्रकरणों में 301 आरोपी जेल भेजे गए है।बिलासपुर के एसपी संतोष सिंह के अनुसार निजात का असर अपराध में कमी के रूप में दिखा है। तीन माह और पिछले वर्ष की इसी अवधि के अपराधों की तुलना की गई तो पाया गया कि आईपीसी के कुल अपराधों में 10 फीसदी, चाकूबाजी में 79 प्रतिशत, मारपीट में 12 प्रतिशत, छेड़छाड़ में 34 फीसदी और चोरी व नकबजनी में 15 प्रतिशत कमी आई है। यद्यपि कुल अपराधों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होकर 3692 अपराध दर्ज हुए है, जो की मुख्यतःएनडीपीएस और आबकारी में बढ़ी कार्यवाहियां की वजह से हैं।

और अब बस

0 बजरंगदल क़ो बजरंगबली से जोड़ने वालों पर तरस ही आता है…?
0 विहिप के बड़े नेता प्रवीण तोगड़िया ने हिंदुत्व की दिशा में छ्ग में भूपेश बघेल सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा कुछ भाजपाइयों को रास नहीं आ रही है।
07 वरिष्ठ आईएफएस अफसरों क़ो नजरअंदाज कर श्रीनिवास राव क़ो छ्ग वन विभाग का मुखिया बनाया गया है।

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