चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूं… मैं किसान हूं, चैन से कहां सोता हूं…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )        

पंजाब के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस शासित राज्य के मुखिया अमरिंदर सिंह ने कृषि विधेयक लाकर एस.एम.पी. के नीचे खरीद को अपराध घोषित कर दिया है। यह कितना व्यवहारिक है यह तो समय बताएगा पर उन्होंने केंद्र सरकार के किसान विरोधी कृषि विधेयक के विरूद्ध निश्चित ही एक दिशा दिखाई है कि किस तरह विरोध की राजनीति भी भलाई का मार्ग दिखा सकती है। वैसे उम्मीद की जा रही है कि कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल भी कुछ एेसा ही कदम उठाकर किसानों को राहत देने का प्रयास करेंगे। वैसे भी केंद्र की मोदी सरकार के जल्दबाजी भी पारित किये गये किसान विरोधी कृषि बिल का विरोध छग की कांग्रेस सरकार शुरू से कर रही है। केंद्र के इन्ही 3 बिलों का काट ढूंढने छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र 27 और 28 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश के किसान कानून से अलग छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए कृषि कानून बनाया जाएगा ताकि किसानों का हक, अधिकार सुरक्षित बना रह सके। वैसे केंद्र के किसान बिल का किसान ही जमकर विरोध कर रहे हैं, महामारी (कोरोना) के दौर में आखिर किसान विरोधी बिल लाने की क्या जल्दी थी इसका जवाब सत्ताधारी केंद्र सरकार के किसी भी बड़े नेता के पास नहीं है। वैसे कृषि बिल के पीछे की भावना को समझना होगा। खेती-किसानी जो एक ग्रामीण संस्कृति है उसे हटाकर कृषि में उद्योगपतियों को लाने का उद्देश्य स्पष्ट हो रहा है। किसानों को मजदूर बनाकर शहरों में लाकर छोडऩे की भी योजना है। वैसे भी विश्व बैंक की एक लंबी योजना है कि भारत की ग्रामीण आबादी कम हो और अधिकर लोग शहरों के आसपास बस जाएं… वे या तो पूंजीपतियों के लिए सस्ते श्रम में बदल जाएं या 12-15 हजार रुपये के एक एेसे मध्य वर्ग में तब्दील हो जाएं जो सुबह से शाम तक दुश्चिंताओं में व्यस्त रहें और किसी भी व्यापक परिवर्तन के बारे में सोच भी न सकें। वैसे विश्व बैंक एक एजेंडा में काम कर रही है, भारत की लेटी अर्थव्यवस्था को भारतीय कृषि की ऊर्जा और निजीविषा, उसे पुन: खड़ी कर देती है और यही ऊर्जा देश को आत्मनिर्भर बना सकती है इसीलिए कृषि के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कारपोरेट घुसना चाहते हैं। केंद्र का तीन किसान कानून विश्व बैंक, कारपोरेट की चाल को कामयाब बनाने की ओर सरकार का एक प्रायोजित कदम है। हालांकि विश्व बैंक का दबाव पहले की सरकारों पर भी लगातार पड़ता रहा है पर मोदी सरकार आज जितना अधिक विश्व बैंक या अमरीकी लाबी के समक्ष नतमस्तक है उतना पहले की सरकारें, कृषि सेक्टर के मामलों में नहीं रही है। किसान यही तो चाहते हैं कि प्रोत्साहन देने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएमपी) से कम में कहीं भी खरीदी पर प्रतिबंध की शर्त जोड़ दी जाए। पर सरकार जुबानी तो कह रही है पर कानून में जोडऩे के नाम पर आनाकानी कर रही है। बहरहाल औद्योगिकीकरण जरूरी है पर वह कृषि की तुलना में कृषि से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था की एक मजबूत रीढ़ खेती है। बिगड़ी अर्थव्यवस्था, नोटबंदी, बेरोजगारी के बाद किसानों के तीन बिल निश्चित ही कोरोना काल में भारत के लिए अभिशाप ही साबित होगा बहरहाल, छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान प्रदेश में किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष कानून बनाने विधानसभा सत्र का आयोजन सराहनीय है यह और भी सराहनीय कदम तब साबित होगा जब नया बनाया जा रहा कानून किसानों के हक, अधिकार को सुरक्षित करेगा।

अगला मुख्य सचिव कौन?   

छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव राजेन्द्र प्रसाद मंडल का कार्यकाल एक नवंबर 20 को पूरा हो रहा है हालांकि कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार ने उन्हें 6 माह की सेवावृद्धि का प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा है पर लगता नहीं है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकृत करेंगी क्योंकि अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है, वैसे भी राज्य सरकार की किसी चिट्ठी या प्रस्ताव पर केंद्र सरकार कोई जवाब देना भी उचित नहीं मानती है। ऐसे में मंडल के ही बैंचमेट बीबीआर सुब्रमणियम (मुख्य सचिव जम्मू-कश्मीर) तथा चितरंजन खेतान स्वाभाविक दावेदार बन जाते हैं। बीबीआर सुब्रमणियम की छग वापसी के आसार नहीं दिखते हैं क्योंकि वे संभवत: कश्मीर में विधानसभा चुनाव (अभी तय नहीं) कराकर ही वापस होंगे फिर उनकी वापसी केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री/गृहमंत्री के कार्यालय में होगी या वे छत्तीसगढ़ अपने मूल कॉडर में लौटेंगे यह अभी तय नहीं है, अब आता है चितरंजन खेतान का नंबर…. जिस तरह से भूपेश सरकार से उनके संबंध है उससे उन्हें मुख्य सचिव बनाया जाएगा ऐसा लगता तो नहीं है। 2 जुलाई 21 को यानि मंडल के सेवानिवृत्त होने के कुछ महीनों बाद ही उनकी सेवानिवृत्ति है और कुछ महीनों के लिए किसी को मुख्य सचिव बनाने के उदाहरण कम ही मिलता है।
इसके बाद वरिष्ठता सूची में 87 बैच के आईएएस अमिताभ जैन का नंबर आता है। छत्तीसगढ़ में पले बढ़े अमिताभ मूलत: छत्तीसगढिय़ा है। अजीत जोगी, डॉ. रमन सिंह तथा भूपेश की सरकार में वे काम से काम रखने वाले, विवादों से परे रहने वाले अधिकारी माने जाते हैं। देश/प्रदेश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था के समय अमिताभ की यह उपयोगिता है कि उनका ‘वित्त प्रबंधन’ में अच्छा दखल है। इन्हें 21 जून 25 तक अभी नौकरी करना है। इसके बाद 91 बैच की आईएएस रेणु जी पिल्ले का नंबर आता है। उन्हें 16 फरवरी 28 तक अभी सेवा देना है। भविष्य में कभी यह मुख्य सचिव बनती हैं तो छग की पहली महिला मुख्य सचिव का रिकार्ड इनके नाम बन सकता है। इनके बाद वरिष्ठता सूची में 92 बैच के आईएएस अफसर सुब्रत साहू का नंबर आता है। इन्हें 5 अगस्त 2028 तक अभी कार्य करना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काफी करीबी अफसर तो हैं पर इन्हें यदि मुख्य सचिव बनाया जाता है तो उनकी जगह सीएम कार्यालय में कौन लेगा यह भी तय करना पड़ेगा दूसरा तीन वरिष्ठ अफसरों को सुपरसिट करना होगा फिर मुख्य सचिव बनने के बाद (सन 28 सेवानिवृत्ति तक) वे क्या करेंगे… 8 साल तो कोई मुख्य सचिव रह नहीं सकता? बहरहाल मुख्य सचिव कौन बनेगा यह तय करना पूरी तरह मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है पर वर्तमान हालात देखकर लगता है कि अमिताभ जैन का पलड़ा कुछ भारी लग रहा है।

प्रशासनिक फेरबदल जल्दी

छत्तीसगढ़ में एक प्रशासनिक फेरबदल भी जल्दी होना तय माना जा रहा है।चर्चा है कि पुलिस मुखिया डीऍम अवस्थी की जगह अशोक जुनेजा को लाया जा सकता है…? वैसे यह चर्चा तो जुनेजा के डीजी पदोन्नत होने के बाद से ही शुरू हो गई है, देखना है कि क्या सरकार पुलिस मुखिया बदलती है या नहीं….? इधर आईएएस सोनमणी वोरा की जगह राजभवन में बस्तर के आयुक्त अमृत खलखो की नियुक्ति के बाद बस्तर आयुक्त का पद अभी रिक्त है वहां किसी की नियुक्ति होनी है। गरियाबंद के कलेक्टर छतरसिंह डेहरे इसी माह 30 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं उनके स्थान पर भी किसी की नियुक्ति करनी होगी। इसी के साथ कुछ कलेक्टरों को भी बदला जा सकता है। इधर मंत्रालय में अस्टिेण्ट कमिश्नर ट्रांसपोर्ट पर एक पुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर की नियुक्ति लगभग तय हो गई है उनके स्थान पर बस्तर से एक पुलिस कप्तान की पदस्थापना की चर्चा हैं वहीं जगदलपुर, नारायणपुर, मुंगेली, दंतेवाड़ा जांजगीर के भी पुलिस कप्तानों को हटाने की भी चर्चा तेज है वहीं कुछ आईजी स्तर के अफसरों को भी इधर-उधर किया जा सकता है। वहीं हाल ही में म.प्र. से प्रतिनियुक्ति में छग आने वाले डीआईजी विनीत खन्ना/हिमानी खन्ना तथा एसपीजी से कार्यमुक्त होकर लौटे अमित तुकाराम काम्बले को भी किसी जिले में समायोजित किया जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री निवास पर तबादला सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है संभवत: इसी सप्ताह एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल की सूची जारी हो सकती है।

और अब बस…

0 मरवाही विधानसभा में 20 साल का बाद कोई गैर जोगी विधायक बनेगा।
0 पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार ने डोंगरगढ़ (मां बम्लेश्वरी) को धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने प्रसाद योजना में शामिल करने की मंजूरी दे दी है।
0 आईएफएस राकेश चतुर्वेदी अब हेडऑफ फारेस्ट होंगे। अब मुख्य सचिव, डीजीपी के बाद वे तीसरे अफसर होंगे जिन्हें 80 हजार का स्केल (वेतन) मिलेगा।
0 छग के एक संसदीय सचिव का बिहार चुनाव प्रचार में जाने का दौरा कार्यक्रम बिहार के मुख्य सचिव डीजीपी तथा संबंधित जिले के एसपी/कलेक्टर को भेजकर सुरक्षा/व्यवस्था करने भेजा गया पत्र चर्चा में है है। जबकि संसदीय सचिवों को छग में ही राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नहीं है।

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