आन्तरिक शक्ति कमजोर होने से तनाव… प्रो. ई.वी. स्वामीनाथन
रायपुर,। मुम्बई के कार्पोरेट ट्रेनर एवं मेमोरी एक्सपर्ट प्रो. ई.वी. स्वामीनाथन ने कहा कि बाहरी परिस्थितियाँ हमारे अन्दर तनाव पैदा नहीं करती है। जब बाहरी परिस्थिति का दबाव हमारी आन्तरिक शक्ति से अधिक हो जाता है तब हम तनाव महसूस करने लगते हैं। इसलिए तनाव से बचने के लिए आन्तरिक शक्ति को बढ़ाने का तरीका सीखना होगा।
प्रो. स्वामीनाथन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के रायपुर सेवाकेन्द्र द्वारा विशेष रूप से शिक्षकों के लिए यूट्यूब पर आयोजित वेबीनार में बोल रहे थे। विषय था-तनाव मुक्त जीवन। इस पांच दिवसीय वेबीनार का आनलाईन प्रसारण शाम को छ: बजे शान्ति सरोवर रायपुर चैनल पर किया जाता हे। उन्होंने आगे कहा कि अगर हमें तनाव मुक्त जीवन जीना है तो हमें अपने मन को शान्त, स्थिर और खुशनुमा रखना होगा। प्राय: लोग यह मानकर चलते हैं कि जब परिस्थितियाँ ठीक हो जाएंगी, व्यापार ठीक हो जाएगा, बच्चों की पढ़ाई पूरी हो जाएगी, बच्चों की शादी हो जाएगी तब मैं अपने मन को शान्त और स्थिर रखूंगा।
उन्होंने बतलाया कि हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम जब विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में भाग लेने वर्ष 2008 में नवी मुम्बई आए थे तो उन्होंने कहा था कि एक छोटे से बच्चे के संस्कार को बनाने में तीन लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चे की माता, उसका पिता और तीसरा प्राथमिक स्कूल का शिक्षक। ये तीनों मिलकर बच्चे के पैदा होने से लेकर तीन साल के अन्दर बच्चे के पूरे व्यक्तित्व का निर्माण कर देते हैं।
तनाव क्या है? उसे स्पष्ट करते हुए प्रो. स्वामीनाथन ने कहा कि जब बाहरी परिस्थितियों अथवा घटनाओं का दबाव हमारी आन्तरिक शक्ति से बढ़ जाती है तो व्यक्ति तनाव महसूस करने लगता है। अगर हम तनाव से बचना चाहते हैं तो हमें अपनी इस मान्यता को बदलना होगा कि तनाव हमें बाहरी परिस्थितियों के कारण हो रहा है? इस पर जब शोध किया गया तो पाया गया कि एक ही परिस्थिति पर दो व्यक्ति अलग-अलग तरह से प्रतिकियाएं दे रहे थे। इसका सीधा मतलब यह निकला कि बाहरी परिस्थिति तनाव पैदा नहीं कर रही थी। जब बाहरी परिस्थिति का दबाव हमारी आन्तरिक शक्ति से बढ़ जाता है तब हम तनाव महसूस करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम परिस्थिति को नहीं बदल सकते हैं। इसलिए हमें अपनी आन्तरिक शक्ति को बढ़ाना होगा। क्योंकि आने वाले समय में परिस्थितियाँ और अधिक विकराल रूप ले सकती हैं। इसलिए हमें अपनी आन्तरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए राजयोग मेडिटेशन को अपनाना होगा। राजयोग सभी योगों में श्रेष्ठ है। यह बहुत ही सहज है। इसे कोई भी व्यक्ति कहीं भी कर सकता है। इसे स्वयं परमात्मा ने हम बच्चों को सिखाया है। राजयोग का तीन माह तक अभ्यास करें तो हम जो चाहते हैं वैसा बन सकते हैं। राजयोग एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाता है।