नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह पता लगाने के लिए कि देश में सर्वश्रेष्ठ थाना कौन सा है, टॉप-10 या 20 कितने थाने हैं, किसकी क्या खूबी है, कौन सी बुराई है, ये सब पता लगाने की जिम्मेदारी प्राइवेट एजेंसी को सौंपने जा रही है। कंपनी को लगभग 15 हजार थानों का सर्वे करना है। इसमें एनसीआरबी रिपोर्ट से मदद लेने के अलावा पैदल चलने वाले, शिकायतकर्ता और आसपास की मार्केट के लोगों से बातचीत की जाएगी।
सभी थानों के लिए एक समान मापदंड अपनाए जाएंगे।
पुलिस थाने में कर्मियों का भाषाई लहजा कैसा है, चाय-पानी के लिए पूछा जाता है, स्नेचिंग होने पर कितनी देर में पुलिस मौके पर पहुंचती है, रिश्वत से काम निकलता है या निष्पक्षतापूर्वक केस हल किया जाता है, जैसे सैकड़ों सवालों का जवाब लेने के बाद थाने को रैंकिंग मिलेगी। एसएचओ का खर्च, तेल पानी और दूसरी सुविधाओं के लिए पैसा कहां से आता है, ये सब बातें भी सर्वे में शामिल रहेंगी। कंसलटेंट कंपनी को टेंडर मिलने के 75 दिन बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट जमा करानी होगी।
प्राइवेट कंपनी को टेंडर देने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। टेंडर देने से पहले संबंधित कंपनी को बहुत से सवालों का जवाब देना होगा। गृह मंत्रालय का प्रयास है कि यह सर्वे वह कंपनी करे, जिसे इस क्षेत्र में गहराई तक काम करने का अनुभव हो। टेंडर आवेदन के साथ कंपनियों से टेक्नीकल अप्रोच, वर्क प्लान और संगठन व स्टाफ का ब्यौरा मांगा गया है। कंपनी को केसों से संबंधित रिकॉर्ड एनसीआरबी से मिलेगा। देश में इस वक्त 16679 पुलिस थानों को स्वीकृति मिली है। इनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 10021 थाने और शहरी क्षेत्र में 4819 थानों में कामकाज हो रहा है। महिला पुलिस, साइबर अपराध और कमजोर वर्गों के खिलाफ आई शिकायतों का निपटारा करने वाले थानों को भी सर्वे में शामिल किया गया है। सभी थानों के लिए एक समान मापदंड अपनाए जाएंगे।
पुलिस थानों के सर्वे में ये सब रहेगा शामिल….
केसों का निपटारा, दर्ज मामलों की संख्या, किस तरह के अपराधों में बढ़ोतरी या कमी, रिकॉर्ड कैसे रखा जा रहा है, कानून व्यवस्था की स्थिति, लापता हुए लोगों के मामले में कार्रवाई रिपोर्ट और थाना भवन की बारीकि से जांच पड़ताल होगी। थाना परिसर में साफ-सफाई कैसी है, अनुशासन, मैस और बैरक की स्थिति का आंकलन किया जाएगा। सिटीजन फीडबैक में शिकायतकर्ताओं से बात होगी।
पैदल चलने वालों से पुलिस कार्यप्रणाली बाबत सवाल-जवाब होंगे। सर्वे करने वाली एजेंसी को फोटो और डायग्राम से अपनी बात समझानी होगी। अपराध डाटा का विश्लेषण करने के लिए एजेंसी प्रतिनिधियों को विभिन्न जगहों का स्वयं दौरा करना पड़ेगा। नोट, ड्रग, केमिकल, शराब, चोरी का माल और दूसरे मामलों में कितनी जब्ती की गई है, इस बाबत हर थाने की अलग से रिपोर्ट तैयार होगी।
थाना परिसर में पब्लिक पार्किंग, पावर बैकअप, टायलेट, डस्टबीन, पब्लिक लाइब्रेरी, जिम और हेल्पडेस्क को लेकर भी सर्वे होगा। थाने में आने वालों के लिए बैठने की व्यवस्था कैसी है, जांच अधिकारी का कमरा और विटनेस एग्जामिनेशन रूम की विस्तृत जानकारी जुटाई जाएगी। थाने में बने टायलेट की स्थिति को लेकर विशेष रिपोर्ट तैयार होगी। वहां से दुर्गंध तो नहीं आ रही है, हवादार है या चारों तरफ से बंद है, लाइट की व्यवस्था कैसी है, ये सब पता लगाया जाएगा। थाने की दीवारों से पेंट या सफेदी तो नहीं झड़ रही है, स्वच्छ भारत अभियान का स्टे्टस क्या है, सीसीटीवी कितने हैं, लॉकअप में सीसीटीवी की स्थिति, पुलिस कर्मियों की ड्रेस, स्टाफ संख्या और मैनुअल रिकॉर्ड की सुरक्षा जांची जाएगी।
एसएचओ को लेकर भी कई सवाल रहेंगे… जैसे उसका कमरा, साफ सफाई, स्टेशनरी कहां से और कितनी आ रही है, क्या इसके लिए प्रार्थना करनी पड़ती है, क्या सभी वाहनों में जीपीएस लगा है, जैसी बातों को सर्वे में शामिल किया जाएगा। पुलिस के खिलाफ शिकायतें, बंदीगृह से भागने वालों की संख्या या थाने में किसी आरोपी की मौत, वायरलेस रूम, आईटी की स्थिति, शिकायतकर्ताओं के साथ पुलिस का व्यवहार, रिश्वत के मामले, स्थानीय लोगों से यह पूछना कि थाने में भ्रष्टाचार है या नहीं और थाने में जाने वाले व्यक्ति का समस्त अनुभव पूछा जाएगा। स्नेचिंग जैसी घटनाओं में कितनी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंचती है। कार्रवाई से लोग कितने संतुष्ट हैं, ये सब बातें सर्वे में शामिल होंगी।