शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
भाजपा के अभी सबसे बड़े नेता नरेंद्र दामोदर मोदी ने तीसरी बार (भाजपा नहीं) एनडीए के बहुमत के आधार पर सरकार बनाकर भले ही देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू की बराबरी कर ली पर राजीव गाँधी के 414 लोक सभा सीट कांग्रेस की जीत के रिकार्ड तक नहीं पहुंचे हैं।1984 में कांग्रेस ने 49.01% मत हासिल कर 404 सीटों पर कब्जाकिया था तो भाजपा 7.74 %मत हासिल कर 2 सीट ही जीत सकी थी।मोदी की भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जन तांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लोकसभा चुनाव 2024 में अपने महत्वाकांक्षी ‘400 पार’ सीटों के लक्ष्य तक पहुं चने में विफल रहा, पीएम मोदी और शीर्ष भाजपा नेताओं ने चुनाव अभियान में 543 सदस्यीय लोस चुनाव 24 में ‘400 पार’ सीट लक्ष्य के बारे में बात की थी। ऐतिहासिक रूप से, केवल एक बार किसी पार्टी या गठबंधन ने 400 से अधिक लोकसभा सीटें जीती हैं। 1984 चुनाव में कांग्रेस ने 414 सीटें जीत कर आंकड़ा पार कर लिया था। वह चुनाव राजीव गांधी की मां,पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था।अपनी मां की हत्या के बाद अंतरिम पीएम नियुक्त किए गये राजीव गांधी ने 1984 के लोस चुनावों में कांग्रेस को रिकॉर्ड 414 सीटों पर जीत दिलाई। सबसे पुरानी पार्टी ने 1984 के आम चुनावों में 514 सीटों में से 404 सीटें जीतीं, विलंबित चुनावों में 10 सीटें और जीतीं। 1984 में, कांग्रेस ने न केवल रिकॉर्ड संख्या में सीटें जीतीं, बल्कि किसी भी पार्टी के लिए सबसे अधिक 48.12% वोट शेयर हासिल किया। 414 सीटों में से, कांग्रेस की 19 84 की सफलता 50% से अधिक वोट शेयर के साथ जीतकर चिह्नित की गईथी। सबसे ज्यादा अंतर राजीव गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में था,जहां 83.67 % वोट पड़े। 1984 के बाद से, 2019 में 37.7% के साथ भाजपा का वोट शेयर के मामले में सबसे करीब आ गई थी ।1984 में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों में कांग्रेस का दबदबा था।हालाँकि,उसे आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब में संघर्ष करना पड़ा,19 84 में सिक्किम, त्रिपुरा और दादरा और नगर हवेली में कोई भी सीट जीतने में असफल रही।1989 में कांग्रेस ने 197 सीटों के साथ सत्ता खो दी और जनता दल गठबंधन ने सरकार बनाई।स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में भी,कांग्रेस की उच्चतम सीट संख्या 1957 में 371 थी।पार्टी ने 1951-52, 1957, 1962 और 1971 में 300 से अधिक सीटें जीतीं थीँ।
आगजनी,उग्र प्रदर्शन के बाद
कलेक्टर, एसपी निलंबित …
छ्ग में प्रदर्शन करनेवालों द्वारा कलेक्टर,एसपी ऑफिस को फूँकने की घटना पहली बार ही हुई है, इसमें इंटेलिजेंट फ़ैल नहीं हुआ बल्कि जिले के नेतृत्व की असफलता सामने आ रही है,इसीलिये सरकार ने कलेक्टर,एसपी को हटा कर निलंबित भी कर दिया है।क्या बलौदाबाजार में हुई हिंसा के पीछे षड्यंत्र है…? जिस तरह के संगठन के पदाधिकारी उग्रता से आंदो लन के पहले रणनीति बना रहे थे,आंदोलन के दौरान भी जिस तरह इसे पेश कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है? हालांकि यह षड्यंत्र कैसा है… इसके तार कहाँ-कहाँ से जुड़े हैं, उसे समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कियह प्रदर्शन क्यों किया जा रहा था.?सामाजिक सौहार्द एवं शांतिप्रिय क्षेत्र के रूप में पहचाने जानेवाले छग में 10 जून को एक ऐसीघटना हुई, जिसने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया, बलौदा बाजार जिले में सतनामी समुदाय के प्रदर्शन ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया है। इस प्रदर्शन के दौरान कुछ उपद्रवियों ने इस स्तर पर हिंसा की है किकलेक्टर और एसपी के कार्यालयों को आग लगाकर फूंकदिया गया है।प्रदर्शन को अंजाम दे रहे उपद्रवियों नेकलेक्ट्रेट में खड़ी गाड़ियों मेंतोड़फोड़ किया, फिर आगजनी की , जिससे महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर खाक हो गए। सत नामी समुदाय के इस प्रद र्शन में शामिल उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव भीकिया जिसके चलते कई पुलिस कर्मी घायल हुए। हिंसक प्रदर्शन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस दौरान करीब 7-8 हजार प्रदर्शनकारी मौजूद थे,जिसमें कुछ उपद्रवी भी शामिल थे। कलेक्ट्रेट परि सर में मौजूद 100 से अधिक दुपहिया वाहनों में तोड़फोड़ की,30 से अधिक चारपहिया वाहनों को भी निशाना बनाया,सुनियोजित तरीके से शहर में लगे सीसी टीवी कैमरों को तोड़ा गया, और पुलिस बल पर पथराव भी किया गया। मामले की गंभीरता देखते हुए 16 जून तक क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है। समाज द्वारा किया गया यह प्रदर्शन, हिंसा का रूप धारण कर लेगा, ऐसा कोई अनुमान नहीं था।दरअसल बीते 15 मई को सतनामी समाज के पवित्र स्थल गिरौदपुरी धाम से 5 किलोमीटर की दूरीपर स्थित मानकोनी क्षेत्र में अवस्थित जैत खाम को कुछ तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।इसके बाद से ही क्षेत्र के सतनामी समाज के लोगों ने सरकार से कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर 3आरोपियों को गिरफ्तार भी किया, जिन्होंने नशे की स्थिति में घटना को अंजाम दिया था? तीनों आरोपी बिहार के मजदूर हैं,क्षेत्र में चल रहे कार्य के बाद ठेके दार द्वारा पैसे नहीं दिएजाने से नाराज़ थे और नशे की स्थिति में उन्होंने जैत खाम को नुकसान पहुंचाया…!
घटना के 4 दिन बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी होने के बाद भी,सतनामी समाज का कहना था कि असली दोषियों की तो गिरफ्तारी नहीं की गई है, हालांकि समाज ने आरोप लगाने के दौरान यह नहीं बताया कि उनके अनुसार घटना को किसने अंजाम दिया? 9 जून, को गृहमंत्री विजय शर्मा ने घटना कि न्यायिक जांच कराने के निर्देश दिए। कुल मिला कर देखें तो समाज की जांच की मांग को भी सरकार ने मान लिया था, बावजूद इसके 10 जून की रैली के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी गई, जिसमें कहा गया था कि प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा।लेकिन बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में आंदोलन दोपहर के बाद उग्र हो गया,जिसके बाद हजारों की भीड़ नेकले क्टर परिसर में तोड़ फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। इस घटना के पीछे की संभावनाओं, षड्यंत्रों को भी समझना आवश्यक है। इस घटना को पर्दे के पीछे से हवा देने का काम किया ‘भीम आर्मी’ जैसे संगठनों ने, जिसके पदाधिकारी खुलेआम सोशल मीडिया में आग उगलते रहे। 10 जून के आंदोलन के लिए जो पोस्टर ‘भीम आर्मी’ के पदाधिकारियों ने प्रसारित किया, उसमें ‘जैत खाम की घटना’ को नया मोड़ देकर ‘समाज के साथ अन्याय और अत्याचार’ का एंगल दिया गया, ताकि भाव नात्मक रूप से समाज के लोगों को भड़काया जा सके…?
सत्ता पक्ष और विपक्ष की
जल्दबाजी चर्चा में ….?
आगजनी मामले में अभी मामला गर्म है और छ्ग के तीन कबीना मंत्रियों ने कांग्रेस पर उकसाने का आरोप भी लगा दिया…?सतनामी समाज के भावी गुरुगद्दीनशीन रूद्र गुरु सहित सतनामी समाज की महिला विधायक कविता प्राणलहरे और भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव पर आरोप लगाया गया…, रूद्र गुरु द्वारा आरोप से व्यथित होकर रायपुर के एसएसपी ऑफिस में स्वयं की गिर फ्तारी के लिये प्रस्तुतकरना भी चर्चा में रहा, सत्ता पक्ष द्वारा आरोपियों से ही नुक सान की भरपाई करने की बात उठाना भी अभी जल्द बाजी ही माना जा रहा है, नये कलेक्टर दीपक सोनी, नये एसपी विजय अग्रवाल ने काम सम्हाल लिया है, उन्हें इस मामले की तहतक पहुंचने दिया जाना चाहिये, पहले वहाँ की स्थिति सम्हा लना प्राथमिकता होना चाहिये, बेवजह की बयानबाजी से फिलहाल बचना ही बेहत्तर विकल्प होगा….!
और अब बस…..
0क्या निलंबित गये बलौदाबाजार कलेक्टर, एसपी की नियुक्ति के पहले उनके पूर्व के रिकार्ड की अनदेखी की गई थी…?
0 छ्ग में भाजपा, कांग्रेस में बयानवीर नेताओं की संख्या में वृद्धि दिख रही है…?