तर्रीघाट (पाटन) में 2500 साल पहले व्यापारिक शहर था, शोध और उत्खनन जारी…

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राजधानी रायपुर के करीब, दुर्ग जिले के पाटन-अभन पुर मार्ग पर है तरीघाट… यहां खारून नदी के किनारे 2500 साल पुरानी बसाहट का इतिहास बिखरा पड़ा है। प्रमाण मिले हैं कि यहां एक सुव्यवस्थित बसाहट थी जहां कीमती पत्थरों को तराशा जाता था। पुरातत्व विभाग को राजा जगतपाल के टीले के उत्खनन के दौरा न सुव्यवस्थित व्यापारिक केन्द्र मिला है। नदी के तट पर होने के कारण अनुमान लगाया जाता है कि आवा गमन के लिए नावों का उप योग किया जाता था।पाटन (दुर्ग) के कई गांव तर्रीघाट, केसरा, जमराव, उफरा, पहंदा, अपंदर, बठेना, असोगा, आगेसरा, गुढ़ि यारी, झीट, कौही, रुही, मगरघटा,पुरा तात्विक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पाटन की जीवनदायिनी खारुन के दोनों किनारों में प्राचीन बसाहट के संकेत मिले हैं इनमें तर्रीघाट,जम राव दो स्थलों की खुदाई से प्रमाण मिला है कि पाटन और इसके आसपास के क्षेत्रों में 2500 वर्ष प्राचीन अवशेष भरे पड़े हैं।शोध के अनुसार क्षेत्र कभी वीरान नहीं रहा। पाटन विकास खंड पुरातत्विक धरोहरों से भरा पड़ा है,खारुन नदी को खारुन नदी घाटी सभ्यता का नाम दिया है, पाटन तहसील अंतर्गत जमराव, तरीघाट,खारुन नदी के बाएं तट पर स्थित प्राचीन टीले में उत्खनन जारी है, पाटन के कई गांवों में खुदा ई के दौरान पुराने मिट्टी के बर्तन,सिलबट्टे, मिट्टी की मूर्तियां, ईंट आदि निकलते रहते हैं। जमराव में नदी के दोनों किनारों के टीलों से कुषाण और सात वाहन कालीन सिक्के,हाथी दांत के पासे,मिट्टी की भी मुहरें मिली हैँ। कुषाणवंश का शासन दूसरी-तीसरी शता ब्दी तक रहा है। जमराव में तर्रीघाट पुरातत्व स्थल से भी प्राचीन अवशेष मिल सकते हैं इसके संकेत मिले है, इस स्थल में वर्तमान में उत्खनन जारी है वहीं तर्री घाट की खुदाई में प्राचीन शहर और व्यापारिक केंद्र होने के अवशेष मिले हैं, जिसे दूसरी शताब्दी का माना गया है।जमराव के टीलों का विस्तृत अन्वेषण कराया गया था। इससे कुषाण कालीन सिक्के, मनके, मृण्मय मूर्तियां,मिट्टी के ठीकरे मिले थे। इन पुरा वशेषों के आधार पर स्थल की प्राचीनता लगभग 25 00 साल अनुमानित है, शोध जारी है । पाटन के कई गांवों में पुरातात्विक धरोहर की भरमार है। मगर घटा भी खारून नदी के तट पर है। यहां भी नदी तट पर टीला है पर ग्रामीणों ने उसे खोद कर खेत बना लिया है। पूरे टीले में खेती की जा रही है।भोथली में उस स्थान का निरीक्षण किया गया जहां बिजली पोल की खुदाई करते समय चांदी के 200 सिक्के मिले थे। यह गांव खारून नदी के तट पर बसा है। विभाग की टीम ने खारूननदी के तटवर्ती क्षेत्रों को भी देखा है। टीम,समीप के गांव मगरघटा भी गई।खुदाई में मिले सिक्के मुगल कालीन 15 वीं शताब्दी के हैं। सिक्कों पर अरबी भाषा है। यहां से प्राप्त वस्तुओं से पता चलता है कि पाटन वृहद व्यापारिक केन्द्र रहा है।व्यापार की दृष्टि से भी यह प्रसिद्ध रहा होगा ।

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