नजरों में तेरे कुछ जादू है… तभी तो दिल मेरा बेकाबू है…

  शंकर  पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार  )            

वर्तमान में कांग्रेस में दो जादूगर..चर्चा में हैँ….?एक जादूगर हैँ भूपेश बघेल.. दूसरे जादूगर हैँ राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत…. अशोक तो पीढ़ीगत जादूगर हैं पर भूपेश बघेल का भी जादू कांग्रेस आलाकमान पर चढ़ कर बोल रहा है… भाजपा की 15 साल से छग में काबिज डॉ रमन सरकार को सत्ता से हटाने….68सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की ऐतिहासिक जीत, बाद के विस उप चुनावों में कांग्रेस की जीत, पिछले नगरीय चुनावों में सफलता के बाद क़ल ही नगरीय निकाय के चुनावों में कांग्रेस की सफलता के पीछे भूपेश का जादू ही माना जा रहा है… अजीत जोगी जैसे दिग्गज नेता को कॉंग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाने का काम भूपेश का हाई कमान पर जादू चलना ही तो था…..सत्यनारायण शर्मा, अमितेश शुक्ला, धनेन्द्र साहू और अरुण वोरा जैसे वरिष्ठ नेताओं को मंत्री मण्डल में शामिल नहीं करके भी 3साल की बेरोक टोक सरकार चलाने, टीएस सिंहदेव बाबा के ढाई साल के फार्मूले की हवा निकालने …? उप्र के चुनाव का प्रभारी बनना…. भूपेश के कांग्रेस आला कमान पर चल रहे जादू का प्रमाण ही है… उप्र के आगामी चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत तथा सीट बढ़ना तय है और उसके बाद भूपेश का जादू बरकरार रहेगा ऐसा भी लगता है…. इधर राजस्थान के अशोक गहलोत का जादू तो अभी भी क़ायम है… उनके विरोधी सचिन पायलेट भी अब हाई कमान पर गहलोत के चल रहे जादू के कायल हो गए हैँ ऐसा लगता है…. काफ़ी कम लोगों को पता है कि अशोक के पिता बाबू लक्ष्मण सिंह जाने-माने जादूगर थे. वो देशभर में यात्राएं करते हुए अपने मैजिक शो करते थे….वो जादूगरी के क्षेत्र में जाना-माना नाम थे. अशोक गहलोत के पिता बड़े जादूगर थे और अशोक गहलोत ने भी पिता से जादू के कुछ गुर सीखे थे… वह उस समय दिल्ली में जब इंदिरा गांधी और फिर राजीव गांधी से मिलने जाया करते थे तो कभी-कभी लंबा इंतजार करना पड़ता था….. तब प्रियंका और राहुल गांधी छोटे बच्चे हुआ करते थे….गहलोत दोनों को ताश के पत्तों के साथ हल्का जादू दिखाते थे…. 1980 को लोकसभा चुनावों में जोधपुर से बड़े कांग्रेस नेता चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. तब इंदिरा गांधी ने जाट नेता परसराम मदेरणा से किसी युवा नेता के बारे में पूछा…मदेरणा के घर अशोक गहलोत का आना जाना था. मदेरणा ने कहा कि “अशोक्या” को लड़वा देते हैं चुनाव…..lअशोक गहलोत के पास खाद की दुकान छोड़ कर राजनीति में दांव आजमाने का यह आखिरी मौका था. गहलोत से विपरीत हालात में चुनाव लड़ा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा…. गहलोत को देखते ही राहुल और प्रियंका जादू दिखाने की फरमाइश कर बैठते थे.. लगता है कि अभी भी अशोक गहलोत का जादू प्रियंका, राहुल पर बरकरार है….

बांग्लादेश, इंदिरा और छोटी सोच…       

वे लोग जो इतिहास बनाते हैं, ज़िंदा रहते हैं…! भूलने या भुलाने से इतिहास नहीं बदलता….!
इतिहास का उपभोग करने वाले इतिहास नहीं बनाते….यह लगभग तय है…!
जब स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री शेख़ मुजीबर्रहमान का स्वागत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने दमदम हवाई अड्डे पर किया था।6 फ़रवरी 1972 को ब्रिगेड मैदान में ऐतिहासिक सभा हुई थी।
बंगबंधु शेख़ मुजीबुर्रहमान ने मुक्ति युद्ध में भारत सरकार, सशस्त्र सेना,तथा भारत के लोगों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा था…
“मुझसे पूछा जाता है कि भारत के साथ आपकी इतनी निकटता क्यों है… ? मैं उनसे कहता हूँ कि ये निकटता, नीतियों की निकटता है। मैं जनतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूँ।श्रीमती इंदिरा गांधी भी इन्हीं आदर्शों में विश्वास करती हैं। हमारी ये निकटता, आदर्शों की निकटता है, विश्व शांति के लिये है ।”
इन आदर्शों को गरियाने वाले आज इन आदर्शों को भुलाकर, इंदिरा गांधी को भुलाकर विजय दिवस मना रहें हैं….!खैर बांग्लादेश निर्माण में दिल्ली में किसी आंदोलन….? में शामिल होकर श्रेय लेने का प्रयास कर चुके एक पार्टी के नेता तथा उनकी ही पार्टी के कुछ और नेता,इंदिरा जी का नाम लेने से परहेज कर रहे हैँ…नेहरू पर पाकिस्तान बनाने का आरोप मढ़ने में तो कुछ लोग आगे रहते हैँ पर पाक के विभाजन… बांग्लादेश के निर्माण के पीछे अहम भूमिका निभाने वाली इंदिरा गाँधी का उल्लेख नहीं करना भी छोटी सोच का ही परिचायक है…

आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ना….

संसद के शीतकालीन में निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 जैसा महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया । हालांकि ये विधेयक भी बिना किसी चर्चा के चंद मिनटों में पारित हुआ। सरकार ने अपने बहुमत से निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक को भी पारित करा लिया है, जिसके बाद मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य हो जाएगा। कांग्रेस, वामदल, टीएमसी जैसे तमाम विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इसे निजता के लिए ख़तरा बताया है। मगर सरकार ने विपक्ष की मांगों पर ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि मतदान कराना निर्वाचन आयोग का काम है, जो स्वायत्त संस्था है, जबकि आधार कार्ड का जिम्मा यूआईडीएआई के अधीन है, जो सरकार के तहत काम करती है। ऐसे में अगर वोटर आईडी कार्ड और आधार आपस में जुड़ जाएंगे, तो सरकार के लिए सारे वोटर्स की जानकारी लेना आसान हो जाएगा…. और चुनाव की निष्पक्षता संदिग्ध हो जाएगी….।

गुरु गुरुनानक और छग का एक गांव….       

छत्तीसग़ढ़ के महासमुंद जिला मुख्यालय से 107 किलोमीटर दूर ‘सुरम्य’ वादियों में बसा एक ऐसा गांव है, जहां 517/518 साल पहले जगन्नाथ पुरी से अमरकंटक जाते समय सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देवजी दो दिन रुके थे।तब से यह गांव “नानक सागर ” के नाम से जाना जाने लगा।गुरु की पुण्य भूमि के साथ ही स्वच्छता, आपसी प्रेम, भाईचारा और विवादमुक्त गांव के तौर इसकी पहचान है। गांव में गुरुनानक देव जी जहां बैठकर प्रवचन दिया था वह जगह नानक डेरा के नाम से विख्यात है। राजस्व रिकार्ड में गुरुनानक देवजी के नाम पर करीब पांच एकड़ भूमि दर्ज है! जिसके सर्वराकार जसपाल सिंह के नाम है। दस्तावेजी रिकार्ड के मुताबिक फुलझर के राजा मानसराज सागरचंद भैना, जिन्हें मंझला राजा के नाम से जाना जाता है, उन्होंने गुरुनानक देव जी से प्रभावित होकर पांच एकड़ जमीन उनके नाम पर की थी।गुरुजी यहां पुरी से अमरकंटक जाते समय दो दिन के लिए ग़ढ़ फुलझर में रानी सरोवर के पास इसी स्थान में बिताए थे। इस दौरान वे रानी सागर भी गए थे, जिसे आज नानक सागर के नाम से जाना जाता है। अब यहां गांव है। 20 साल पहले ग्राम पंचायत बना। यहां कुल 215 घर हैं और आश्रित गांव को मिलाकर आबादी 1056 है। अब यह गांव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ चुका है.. कलेक्टर महासमुंद भी इस गांव को पर्यटन के रूप में उभारने प्रयत्नरत हैँ….

गृहमंत्री साहू,रमन, सरोज, अजय के वार्ड में हारे प्रत्याशी

निकाय चुनाव में कई जगह दिलचस्प नतीजे मिले हैँ….। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत उतई नगर पंचायत के तहत वार्ड क्रमांक 5 के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सतीश चंद्राकर जीत गए हैं। उन्हे 110 वोट मिले,दूसरे क्रम पर भी निर्दलीय सतीश पारख को 94,भाजपा के चंदू देवांगन को 78 और कांग्रेस प्रत्याशी सोनचंद को मात्र 35 वोट मिले और वे चौथे क्रम में रहे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह के राजनांदगांव के एक वार्ड,पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के इलाके में हुए एक वार्ड के उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हार गए हैं।चुनाव में मतदाताओं का मूड भांप पाना आसान नहीं। वहीं पार्टी से नाराज लोगों का कुनबा मजबूत रहा तो पार्टी के घोषित प्रत्याशियों को बड़े नेता भी नहीं जिता पाते हैं। रिसाली के वार्ड -27 में जहां भाजपा सांसद सरोज पांडे का घर है,भाजपा से टिकट न मिलने पर नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले सुनंदा पप्पु चंद्राकर ने यहां से जीत हासिल कर पार्टी नेताओं को आईना दिखाया है।

और अब बस…

0 छग मंत्रिमंडल में सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग से किन नेताओं की छुट्टी हो रही है…..?
0 सरगुजा की कमिश्नर किंडो को सेवानिवृत होने के चंद दिनों पहले हटाकर मंत्रालय में अटैच किया गया है…और डीजी पी आर के विज 31को सेवानिवृत होने वाले हैँ…एक प्रशासनिक फेरबदल तय है…
0छग सरकार के 3साल पूरा होने पर “भूपेश है तो भरोसा है ” यह नारा काफ़ी चर्चा में रहा है.
0मुंगेली जिला पंचायत के आईएएस सीईओ रोहित व्यास के साथ एक महिला नेत्री के दुर्व्यवहार और सैंडिल लेकर दौड़ाने की घटना की आईएएस एसोसियेशन ने कड़ी भर्त्सना की है।

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