शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छ्ग में नई भाजपा की सरकार को ग्रामीण अर्थ व्यवस्था ठीक करने के साथ मंहगाई,बेरोजगारी के अलावा अपनी घोषणा के अनुसार किसानों को दो पिछला बोनस देना पड़ा है वहीं महतारी वंदन योजना में हर विवाहित महिला को एक हजार ₹मासिक भी भुगतान करना होगाजिसके कारण आर्थिक भार पड़ेगा वहीं पिछली भूपेश सरकार का करीब 82 हजार करोड़ का कर्ज भी विरासत में मिला है।नई सरकार के वित्तमंत्री ओपी चौधरी(पूर्व आईएएस)पर बड़ी जिम्मे दारी होगी क्योंकि अपनी सरकार की घोषणा तो पूरी करनी होगी वहीं कर्ज की अदायगी भी करनी पड़ेगी।भूपेश सरकार ने विधान सभा में बताया था कि जनवरी,2023तक उस पर कुल 82,125 करोड़ रुपये कर्ज है।कर्ज की राशि में भारी वृद्धि की एकअहम वजह कोरोना महामारी का काल है जिसकी वजह से देश के तकरीबन सभी राज्यों के राजस्व के अपने स्त्रोत सूख गये थे।तथ्य यह है कि नई सरकार को आने वाले पांच वर्षों के दौरान उक्त कर्ज के एक बड़े हिस्से की अदाएगी करनी होगी।आरबीआई डाटा केअनुसार वर्ष 2024-25 से वर्ष 2028-29 के दौरान मप्र पर बकाये कुल कर्ज का 40.3% राशि को चुकाना होगा।राजस्थान की सरकार को इस दौरान 40.5% तेलगांना की नई सरकार को 29.7% कर्ज की राशि चुकानी होगी।सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ की सरकार को मौजूदा कर्ज की राशि की 70.4%राशि चुकानी होगी।
पहले भगवान फिर,भक्त
बनते हैं छ्ग के गृहमंत्री..
छग गठन के बाद भगवान के नामधारी गृहमंत्री बनते रहे,पर भूपेश सरकार में भक्त नामधारी को गृहमंत्री बनाया था।विष्णुदेव साय ने डिप्टी सीएम विजय शर्मा कोगृहमंत्री बनाया है,विजय शर्मा भी हनुमान केभक्त हैं।पिछले गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू,भगवान कृष्ण के परम भक्त राजा मयूरध्वज के पुत्र का नाम था।आरे से चीरने की जानकारी ताम्र ध्वज की पौराणिक किव दंतियों में मिलती है खैरआंकड़े के हिसाब से राज्य बनने के बाद या यों कहें कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से नक्सल वाद बढ़ा,अपराध दर में वृद्धि भी हुई थी। नक्सलियों के हमले से कांग्रेस के बड़े नेताओं की हत्या, 74सीआरपीएफ के जवानों कीशहादत,दंतेवाड़ा में देश का सबसे बड़ा नक्सली जेल ब्रेक,नक्सली हमले से युवा पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे की शहादत,युवा पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा की खुदकुशी (?),भिलाई- कुम्हारी के पास रेलअप हरण कर एक कुख्यात अपराधी को पुलिस हिरासत से छुड़वा लिया गया?खैर नये राज्य के गठन और भगवान के नामधारी गृहमंत्रियों पर एक नजर डालें..नया राज्य बनने के बाद जोगी की सरकार में पहले गृहमंत्री नंदकुमार पटेल बनें।नाम में ‘नंद’ का समावेश था नंद यथा कृष्ण से जुड़ा हुआ है।बाद में भाजपा की सरकार बनी और डा. रमनसिंह की पहली पारी 2003 में वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल को गृहमंत्री बनाया गया। इनके तो नाम मेँ ही ‘मोहन’ जुड़ा था यानि इनका नाम भी कृष्ण का ही उपनाम है।इसके बाद से डा.रमन ने कृष्ण के नाम को सुरक्षा से नहीं जोड़ने का संभवत: निर्णय लिया तथा ‘मोहन’ को हटाकर ‘राम’ नाम का सहारा लिया।वैसे भी ‘श्रीराम’ को तो भाजपा अपनी पार्टी का ही मानती है।श्रीराम को तो एक तरह से भाजपा अपना ‘कापी राइट’ ही समझती है।डा. रमन की दो पारियों में क्रमशः रामविचार नेताम और ननकी राम कंवर को गृहमंत्री बनाया इनके नाम में भी ‘राम’ जुड़ा था,ननकी राम 1977 के संसदीय सचिव रहे, इस राम के खाते में भी कोई खास उपलब्धि नहीं आई यही नहीं 2013 का विधानसभा चुनाव भी वे हार गये2013 में गठित मंत्रिमंडल में गृहमंत्री के रूप में तीसरे राम को जिम्मेदारी दी गई।तीसरे राम थे रामसेवक पैकरा,सीधे-सादे पैकरा का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष होने के कारण प्रदेश के आम तथा नेताओं से अच्छे संबंध थे,पर वे भी सफल नहीं हो सके यही नहीं अगला चुनाव भी हार गये।बाद में भूपेश की सरकार में सीएम के दावेदार ताम्रध्वज साहू को कॉंग्रेस आलाकमान की राय पर गृहमंत्री बनाया गया था पर वह भी 2023 का विस चुनाव हार गये।
हिट एंड रन…
नये कानून का विरोध……?
2024 के पहले दिन ही पेट्रोल पम्पों में लम्बी लाइनें लग गई थी, कारण था ट्रक और बड़ी गाड़ी के ड्राइवरों की हड़ताल। पेट्रोल टेंकरों के ड्राइवर की भी हड़ताल से पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित होने संकट की आशंका थी।ड्राइवरों की हड़ताल का कारण केंद्र द्वारा ‘हिट एंड रन’ के मामलों में विदेश की तर्ज पर सख्त प्रावधान लाया गया है। इसे लाने से पहले विदेश की तरह बेहतर सड़क और परि वहन व्यवस्था सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए था।प्रदर्शन कारी ड्राइवरों का कहना था कि नएकानून के अनुसार,’हिट एंड रन’ मामलों में 10 साल तक की जेल और सात लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। ड्राइवर इतनी बड़ी राशि कैसे भर सकते हैं। हिट एंड रन मामले में आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना),304 ए (लापरवाही के कारण मौत)और 338(जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है।इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। खास मामलों में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती है।हिट एंड रन कानून में बदलाव के बाद सेक्शन 104(2) के तहत हिट एंड रन के बाद अगर आरोपी ड्राइवर घटना स्थल से भागता है या पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित नहीं करता है तो उसे 10 साल तक की सजा भुगतनी पड़ेगी।7 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा।वैसे फिलहाल केंद्र सरकार इस क़ानून पर पुनर्विचार का आश्वासन देकर आदोलन को कुछ दिन टालने में सफल हो गई है?
विष्णु देव,किरण देव के
बाद कुछ ‘देव’ की बारी…
छ्ग की सरकार के मुखिया यानि सीएम विष्णु देव साय बने हैं,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव बने है लगता है कि अब ‘देव’ नाम धारियों की निकल पड़ी है।जल्दी ही 2वरिष्ठआईपीएस तथा ‘देव’नाम धारीडायरेक्ट जनरल (डीजी)बन जाएँगे।छ्ग में नई सरकार बनते ही एसीएस तथा सचिव की पदोन्नति हो गई है अब पुलिस मुख्यालय में कुछ बड़ेअफसरों की पदोन्नति होना है।2 एडीजी कोडीजी बनाने के लिये जल्दी ही डीपीसी होने की चर्चा तेज है।छ्ग पुलिस में डीजी के 2 रिक्त पदों के 1992 बैच के पवन ‘देव’ और अरुण ‘देव’ गौतम दावेदार हैं।हालांकि दोनों एडीजी को जनवरी 22 में ही पदोन्नत हो जाना था पर इनका इंतजार खत्म नहीं हुआ। वैसे डीपीसी की चर्चा तेज हुई थी पर छ्ग विधान सभा चुनाव को लेकर आचार संहिता के चलते पदोन्नति समिति की बैठक नहीं हो सकी थी।जल्दी डीपीसी होने की संभावना है।इधर काफ़ी समय से जनसंपर्क में लूपलाईन में पदस्थ आलोक ‘देव’भी जल्दी ही एडीशनल डायरेक्टर पदोन्नत होने वाले हैं।
88आईएएस का तबादला,आईपीएस
मयंक को बड़ी जिम्मेदारी
छ्ग की विष्णुदेव सरकार ने 88आईएएस तथा एक आईपीएस का तबादला कर बड़ी प्रशासनिक सर्जरी कर दी है।जिसमें एसीएस, सचिव,उप सचिव से लेकर 19 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं।इधर एडीजी स्तर के अधिकारी दीपांशु काबरा को आयुक्त जन संपर्क के पद से हटाकर उनकी जगह आईपीएस मयंक श्रीवास्तव कीनियुक्ति महत्वपूर्ण जिम्मेदार पद पर की गई है।2009-10 तथा 2014 में इन्होंने 3 राज्य पालों के एडीसी का कार्य भार भी सम्हाला था।मयंक कोरबा,दुर्ग,बिलासपुरआदि जिलों में एसपी रह चुके हैँ तो नक्सली क्षेत्र सुकमा, नारायणपुर आदि में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जांजगीर में एक मूक बधिर बालक के गड्डे में गिरने के मामले में इनकी टीम ने इनके निर्देश में सफल आपरेशन भी चलाया था।
और अब बस…
0क्या दिल्ली से कोई रिटायर आईएएस छ्ग आ सकता है…?
0छ्ग के एक चर्चित पूर्व मंत्री को नई सरकार में मंत्री नहीं बनाने के पीछे क्या एक बड़े नेता का दबाव था?